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  • Create Date October 10, 2023
  • Last Updated July 29, 2024

अन्नपूर्णास्तोत्रम् २ एक संस्कृत भजन है जो देवी अन्नपूर्णा की स्तुति करता है। यह भजन 16वीं शताब्दी के वैष्णव संत और कवि वल्लभाचार्य द्वारा लिखा गया था।

अन्नपूर्णास्तोत्रम् २ के आठ श्लोक हैं, और प्रत्येक श्लोक में देवी अन्नपूर्णा के रूप और गुणों के एक अलग पहलू का वर्णन किया गया है।

अन्नपूर्णास्तोत्रम् २ का पहला श्लोक इस प्रकार है:

अन्नपूर्णे देवी सर्वेश्वरि, त्वं हि जगतां जननी। त्वं सर्वस्य जगतो, पालनहारिणी।

इस श्लोक में, वल्लभाचार्य देवी अन्नपूर्णा को अन्नपूर्णे, या अन्न की देवी, के रूप में स्तुति करते हैं। वे कहते हैं कि देवी अन्नपूर्णा ही सभी जीवों की जननी हैं, और वे ही सभी जीवों का पालन-पोषण करती हैं।

अन्नपूर्णास्तोत्रम् २ के सभी आठ श्लोकों का अर्थ है:

  • श्लोक 1: देवी अन्नपूर्णा ही अन्न की देवी हैं, और वे ही सभी जीवों की जननी हैं।
  • श्लोक 2: देवी अन्नपूर्णा सर्वगुणसंपन्न हैं, और वे सभी भक्तों के लिए आदर्श हैं।
  • श्लोक 3: देवी अन्नपूर्णा दयालु और करुणामय हैं, और वे सभी भक्तों की पीड़ा को दूर करती हैं।
  • श्लोक 4: देवी अन्नपूर्णा ज्ञान और विवेक की देवी हैं, और वे भक्तों को मोक्ष के मार्ग पर ले जाती हैं।
  • श्लोक 5: देवी अन्नपूर्णा भक्तों के लिए आशा और प्रेरणा हैं, और वे उन्हें अपने जीवन में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती हैं।
  • श्लोक 6: देवी अन्नपूर्णा भक्तों के लिए आनंद और समृद्धि का स्रोत हैं, और वे उन्हें अपने जीवन में सुख और समृद्धि प्रदान करती हैं।
  • श्लोक 7: देवी अन्नपूर्णा भक्तों के लिए सर्वस्व हैं, और वे उन्हें अपने जीवन में सभी कुछ प्रदान करती हैं।
  • श्लोक 8: देवी अन्नपूर्णा भक्तों को मोक्ष प्रदान करती हैं।

अन्नपूर्णास्तोत्रम् २ एक शक्तिशाली भक्ति भजन है जो भक्तों के दिलों में देवी अन्नपूर्णा के लिए प्रेम और भक्ति को जगा सकता है। यह भजन देवी अन्नपूर्णा की महिमा को दर्शाता है और उन्हें अन्न, ज्ञान, और प्रेम की देवी के रूप में चित्रित करता है।

अन्नपूर्णास्तोत्रम् २ के आठ श्लोकों का हिंदी अनुवाद इस प्रकार है:

  1. हे अन्नपूर्णा देवी, तुम ही सर्वस्व हो, और तुम ही सभी जीवों की जननी हो।
  2. तुम सर्वगुणसंपन्न हो, और तुम सभी भक्तों के लिए आदर्श हो।
  3. तुम दयालु और करुणामय हो, और तुम सभी भक्तों की पीड़ा को दूर करती हो।
  4. तुम ज्ञान और विवेक की देवी हो, और तुम भक्तों को मोक्ष के मार्ग पर ले जाती हो।
  5. तुम भक्तों के लिए आशा और प्रेरणा हो, और तुम उन्हें अपने जीवन में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती हो।
  6. तुम भक्तों के लिए आनंद और समृद्धि का स्रोत हो, और तुम उन्हें अपने जीवन में सुख और समृद्धि प्रदान करती हो।
  7. तुम भक्तों के लिए सर्वस्व हो, और तुम उन्हें अपने जीवन में सभी कुछ प्रदान करती हो।
  8. तुम भक्तों को मोक्ष प्रदान करती हो।

अन्नपूर्णास्तोत्रम् २ एक लोकप्रिय भजन है जिसे अक्सर पूजा और अनुष्ठानों के दौरान गाया जाता है। यह भजन भक्तों को देवी अन्नपूर्णा की कृपा प्राप्त करने और अपने जीवन में अन्न, ज्ञान, और प्रेम प्राप्त करने में मदद कर सकता है।


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