- Version
- Download 129
- File Size 0.00 KB
- File Count 1
- Create Date November 16, 2023
- Last Updated November 16, 2023
अद्वैताष्टकम् एक संस्कृत श्लोक है जो अद्वैत वेदांत दर्शन का सार प्रस्तुत करता है। यह श्लोक 10वीं शताब्दी के कवि रामानुज द्वारा रचित है।
अद्वैताष्टकम् में कुल आठ श्लोक हैं, प्रत्येक श्लोक में आठ अक्षर हैं।
advaitaashtakam
अद्वैताष्टकम् की रचना का उद्देश्य अद्वैत वेदांत दर्शन के सिद्धांतों को सरल और सुगम भाषा में प्रस्तुत करना है। श्लोक में, रामानुज अद्वैत वेदांत के अनुसार ब्रह्म और जीवात्मा की एकता को प्रतिपादित करते हैं।
अद्वैताष्टकम् की कुछ प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं:
- यह श्लोक अद्वैत वेदांत दर्शन का सार प्रस्तुत करता है।
- श्लोक में आठ अक्षरों वाले प्रत्येक श्लोक होते हैं।
- श्लोक में अक्सर मधुर और भावपूर्ण शब्दों का प्रयोग किया जाता है।
अद्वैताष्टकम् को संस्कृत साहित्य की एक महत्वपूर्ण रचना माना जाता है। यह श्लोक आज भी अद्वैत वेदांत दर्शन के अध्ययन और प्रचार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
अद्वैताष्टकम् का एक प्रसिद्ध अनुवाद निम्नलिखित है:
एकं ब्रह्म द्वितीया नास्ति न द्वैतं किंचित् परमार्थतः तस्मिन् ब्रह्मणि सर्वमुक्तं तस्यैव ब्रह्मणे नमो नमः
अर्थ:
ब्रह्म एक है, दूसरा कुछ भी नहीं है। परमार्थतः, द्वैत नहीं है। उस ब्रह्म में सब कुछ मुक्त है। उस ब्रह्म को नमस्कार, नमस्कार।
अद्वैताष्टकम् का एक अन्य अनुवाद निम्नलिखित है:
ब्रह्म है एक, नहीं है दूसरा, परमार्थ में द्वैत नहीं है। उस ब्रह्म में सब कुछ मुक्त है, उस ब्रह्म को प्रणाम है, प्रणाम है।
अद्वैताष्टकम् एक शक्तिशाली श्लोक है जो अद्वैत वेदांत दर्शन के सिद्धांतों को सरल और सुगम भाषा में प्रस्तुत करता है। यह श्लोक भक्तों और दार्शनिकों दोनों के लिए एक प्रेरणा का स्रोत है।
Download