श्रीलक्ष्मीधराष्टकं shreelakshmeedharaashtakan

श्रीलक्ष्मीधराशतकम् एक संस्कृत वर्णनात्मक कविता है जो भगवान विष्णु और उनकी पत्नी लक्ष्मी की महिमा का वर्णन करती है। यह कविता संत कवि विद्यापति द्वारा रचित है। यह कविता वराष्टक छंद में रचित है, जिसमें प्रत्येक चरण में आठ अक्षर…

श्रीलक्ष्मीनृसिंहप्रपत्तिः shreelakshmeenrsinhaprapattih

श्री लक्ष्मीनारायणप्रपाठी एक संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ है “श्री लक्ष्मीनारायण के भक्त”। यह शब्द अक्सर भगवान विष्णु और उनकी पत्नी लक्ष्मी के भक्तों को संदर्भित करने के लिए उपयोग किया जाता है। shreelakshmeenrsinhaprapattih श्री लक्ष्मीनारायणप्रपाठी भगवान विष्णु के विभिन्न…

श्रीलोकनाथप्रभुवराष्टकम् shreelokanaathaprabhuvaraashtakam

श्रीलोकानाथप्रभुवराष्टकम् एक संस्कृत वर्णनात्मक कविता है जो भगवान श्रीकृष्ण की महिमा का वर्णन करती है। यह कविता संत कवि श्रीवल्लभाचार्य द्वारा रचित है। यह कविता वराष्टक छंद में रचित है, जिसमें प्रत्येक चरण में आठ अक्षर होते हैं। श्रीलोकानाथप्रभुवराष्टकम् की…

श्रीविठ्ठलस्तोत्रम् Srivitthalstotram

Srivitthalstotram श्रीविठ्ठलस्तोत्रम् भगवान विठ्ठल (कृष्ण) की स्तुति करने वाला एक संस्कृत स्तोत्र है। यह स्तोत्र 16वीं शताब्दी के कवि श्रीकृष्णदास द्वारा रचित है। श्रीविठ्ठलस्तोत्रम् के 12 श्लोक हैं, जो प्रत्येक भगवान विठ्ठल के एक विशेष गुण का वर्णन करते हैं।…

श्रीविंशत्यक्षरीध्यानम् shreevinshatyaksharidhyaanam

shreevinshatyaksharidhyaanam श्रीविंशति अक्षरी ध्यानम् भगवान विष्णु की एक पवित्र ध्यान मुद्रा है। यह ध्यान मुद्रा भगवान विष्णु के 20 नामों का जाप करके की जाती है। इन नामों का जाप करते समय, भक्तों को भगवान विष्णु की छवि का ध्यान…

श्रीविष्णुस्तुतिः वृत्रकृता shreevishnustutih vrtrakrta

श्रीविष्णुस्तुतिः **शान्तकाराय भुजंगशयनाय नमो नमस्ते नमो नमस्ते॥ पद्मनाभाय सुरपूज्याय नमो नमस्ते नमो नमस्ते॥ सर्वव्यापाराय सर्वाधाराय नमो नमस्ते नमो नमस्ते॥ सर्वहिताय सर्वलोकनाथाय नमो नमस्ते नमो नमस्ते॥ सर्वलोकैकनायकाय नमो नमस्ते नमो नमस्ते॥ सर्वदुःखापहारकाय नमो नमस्ते नमो नमस्ते॥ सर्वशत्रुविनाशनाय नमो नमस्ते नमो नमस्ते॥…

श्रीवृन्दावनाष्टकम् shreevrndaavanaashtakam

श्रीवृन्दावनाष्टकम् एक संस्कृत भक्तिगीत है जो भगवान कृष्ण के वृन्दावन निवास की महिमा का वर्णन करता है। यह भक्तिगीत 16वीं शताब्दी के कवि श्रीरुप गोस्वामी द्वारा लिखा गया था। श्रीवृन्दावनाष्टकम् के आठ श्लोक हैं, जो प्रत्येक वृन्दावन के एक विशेष…

श्रीवृन्देश्वरस्तोत्रम् shreevrndeshvarastotram

श्रीवृन्देश्वरस्तोत्रम् एक संस्कृत स्तोत्र है जो भगवान कृष्ण के वृन्दावन स्वरूप की स्तुति करता है। यह स्तोत्र 16वीं शताब्दी के कवि श्रीवल्लभाचार्य द्वारा लिखा गया था। श्रीवृन्देश्वरस्तोत्रम् के 24 श्लोक हैं, जो प्रत्येक भगवान कृष्ण के एक विशेष गुण का…

श्रीवैकुण्ठगद्यम् shreevaikunthagadyam

श्रीवैकुंठगद्यम् एक संस्कृत गद्य ग्रन्थ है जो भगवान श्रीकृष्ण की वैकुंठ लीलाओं का वर्णन करता है। यह ग्रन्थ 16वीं शताब्दी के कवि श्रीवल्लभाचार्य द्वारा लिखा गया था। श्रीवैकुंठगद्यम् के 100 अध्यायों में भगवान श्रीकृष्ण की वैकुंठ लीलाओं का विस्तार से…

श्रीव्रजनवयुवराजाष्टकम् shreekrshnavaayuvaraajaashtakam

श्रीकृष्णवयुरूजाष्टकम् एक भक्तिपूर्ण कविता है जो भगवान श्रीकृष्ण की युवावस्था की महिमा का वर्णन करती है। यह कविता संस्कृत में लिखी गई है और इसे अक्सर भजनों के रूप में गाया जाता है। श्रीकृष्णवयुरूजाष्टकम् के आठ श्लोक हैं, जो प्रत्येक…

श्रीस्वधर्माबोधे श्रीयुगलतिलक मन्त्रःसङ्क्षेपतः shreesvadharmabodhe shreeyugalatilak mantrah

श्‍रीस्‍वाधर्मबोधे श्‍रीयुगलटिलक मंत्र इस प्रकार है: ऊँ नमः भगवते श्रीकृष्णाय गोविन्दाय नमो नमः। श्रीवल्लभाय नमः। श्रीराधाकृष्णाय नमः। shreesvadharmabodhe shreeyugalatilak mantrah इस मंत्र का अर्थ है: मैं भगवान श्रीकृष्ण को प्रणाम करता हूँ। मैं गोविन्द को प्रणाम करता हूँ। मैं श्रीवल्लभा…

श्रीकृष्णप्रातःस्मरणस्तोत्रम् shreekrshnapraatahsmaranastotram

श्रीकृष्ण प्रातः स्मरण स्तोत्रम् एक संस्कृत स्तोत्र है जो भगवान कृष्ण की महिमा का वर्णन करता है। यह स्तोत्र 10 श्लोकों में रचित है। श्रीकृष्ण प्रातः स्मरण स्तोत्रम् की रचना 14वीं शताब्दी के कवि जयदेव द्वारा की गई थी। यह…