विवेकानन्द-दर्शनम् vivekaanand-darshanam

विवेकानंद-दर्शन एक आध्यात्मिक और दार्शनिक दर्शन है जो 19वीं शताब्दी के भारतीय संत और दार्शनिक स्वामी विवेकानंद द्वारा प्रतिपादित किया गया था। विवेकानंद-दर्शन हिंदू धर्म के वेदांत दर्शन पर आधारित है, लेकिन उन्होंने इसे पश्चिमी विचारों और मूल्यों के साथ…

वृत्रचतुःश्लोकीकारिकाः vrtrachatuhshlokeekaarikaah

वृत्तचतुष्टकिका एक संस्कृत श्लोक संग्रह है जो 12वीं शताब्दी के कवि और दार्शनिक जयदेव द्वारा रचित है। यह संग्रह चार श्लोकों में विभाजित है, और प्रत्येक श्लोक में एक अलग विषय पर विचार किया गया है। वृत्तचतुष्टकिका की कुछ पंक्तियाँ…

वेदान्तदशश्लोकी Vedanta Dashashloki

वेदांत दशश्लोकी एक संस्कृत श्लोक संग्रह है जो वेदांत के दर्शन को सरल और सुबोध भाषा में प्रस्तुत करता है। यह संग्रह 12वीं शताब्दी के दार्शनिक निम्बार्काचार्य द्वारा रचित है। वेदांत दशश्लोकी की कुछ पंक्तियाँ निम्नलिखित हैं: Vedanta Dashashloki वेदांत…

व्रजगीतिः vrajageetih

व्रजगीतिः एक संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ है “व्रज की गीति”। यह शब्द उन गीतों को संदर्भित करता है जो भगवान कृष्ण की वृंदावन में लीलाओं का वर्णन करते हैं। vrajageetih व्रजगीतिः प्राचीन काल से ही हिंदू धर्म में एक…

व्रजराजसुताष्टकम् vrajrajasutashtakam

वृजराजसुतष्टक एक संस्कृत स्तोत्र है जो भगवान कृष्ण की वृंदावन में लीलाओं की स्तुति करता है। यह स्तोत्र 16वीं शताब्दी के कवि सूरदास द्वारा रचित है। वृजराजसुतष्टक की कुछ पंक्तियाँ निम्नलिखित हैं: vrajrajasutashtakam वृजराजसुतष्टक वृंदावन विहारि, वंशीधर, कृष्णचन्द्र, गोविन्द, मधुसूदन,…

शयनारार्तिकार्या (1) shayanaartikaary (1)

shayanaartikaary (1) शयानार्तकारी एक संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ है “शायनावस्था में होने वाला कष्ट”। यह शब्द आमतौर पर शारीरिक या मानसिक कष्ट को संदर्भित करता है जो किसी व्यक्ति को सोते समय अनुभव होता है। शयानार्तकारी के कुछ उदाहरण…

शिक्षाश्लोकाः shikshaashlokaah

शिक्षाश्लोक वे श्लोक हैं जो शिक्षा के महत्व और उद्देश्यों को बताते हैं। ये श्लोक प्राचीन ऋषियों और विद्वानों द्वारा रचित हैं। शिक्षाश्लोक के कुछ उदाहरण निम्नलिखित हैं: shikshaashlokaah महाभारत के भीष्म पर्व में, भीष्म पितामह युधिष्ठिर को शिक्षा के…

श्री अष्टाक्षरीध्यानम् Shri Ashtaksharidhyanam

श्री अष्टाक्षरी ध्यान एक संस्कृत ध्यान है जो भगवान कृष्ण की आठ अक्षरों वाले नाम “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” की स्तुति करता है। यह ध्यान 16वीं शताब्दी के कवि चैतन्य महाप्रभु द्वारा रचित है। श्री अष्टाक्षरी ध्यान की कुछ पंक्तियाँ…

श्रीअनुरागवल्लिः shreeanuraagavallih

श्रीनृत्यगावल्ली एक संस्कृत स्तोत्र है जो भगवान कृष्ण की नृत्य लीलाओं की स्तुति करता है। यह स्तोत्र 16वीं शताब्दी के कवि सूरदास द्वारा रचित है। श्रीनृत्यगावल्ली की कुछ पंक्तियाँ निम्नलिखित हैं: shreeanuraagavallih श्रीनृत्यगावल्ली व्रजपथ में क्रीड़ा करते, गोपकुमार मधुर गाते,…

श्रीकविराजस्तुतिः Srikavirajastutih

श्रीकृष्णराजस्तुति एक संस्कृत स्तोत्र है जो भगवान कृष्ण की स्तुति करता है। यह स्तोत्र 16वीं शताब्दी के कवि सूरदास द्वारा रचित है। श्रीकृष्णराजस्तुति की कुछ पंक्तियाँ निम्नलिखित हैं: Srikavirajastutih श्रीकृष्णराजस्तुति वृन्दावन विहारि, गोपकुमार, वंशीधर, मधुसूदन, हे कृष्णचन्द्र, गोविन्द, हे नंदनंदन,…

श्रीकृष्ण चालीसा Shri Krishna Chalisa

श्री कृष्ण चालीसा भगवान कृष्ण की स्तुति करने वाला एक भक्तिपूर्ण प्रार्थना गीत है। यह चालीसा 40 श्लोकों में भगवान कृष्ण की लीलाओं और गुणों का वर्णन करती है। श्री कृष्ण चालीसा की रचना 16वीं शताब्दी के कवि सूरदास ने…

श्रीकृष्ण मानसिक पूजा shreekrshn maanasik pooja

श्रीकृष्ण मानसिक पूजा भगवान कृष्ण की पूजा का एक रूप है जो भक्तों को अपने घर या कहीं भी कर सकते हैं। यह पूजा भौतिक वस्तुओं या स्थानों की आवश्यकता के बिना, केवल मन से की जाती है। श्रीकृष्ण मानसिक…