शिव तांडव स्तोत्र एक संस्कृत स्तोत्र है जो भगवान शिव के तांडव नृत्य की महिमा का वर्णन करता है। यह स्तोत्र 16 श्लोकों का है, और प्रत्येक श्लोक में भगवान शिव के तांडव नृत्य के एक विशेष पहलू का वर्णन…
बाणलिंगकवच एक संस्कृत स्तोत्र है, जिसकी रचना 12वीं शताब्दी के भक्तिकाल के कवि नंददास ने की थी। यह स्तोत्र शिव के बाणलिंग रूप की महिमा का वर्णन करता है। स्तोत्र के अनुसार, बाणलिंग शिव का एक शक्तिशाली रूप है। यह…
आपदुद्धारक श्रीहनुमत्सोत्र एक संस्कृत स्तोत्र है, जिसकी रचना 12वीं शताब्दी के भक्तिकाल के कवि नंददास ने की थी। यह स्तोत्र हनुमान की महिमा का वर्णन करता है। स्तोत्र के अनुसार, हनुमान भगवान राम के परम भक्त हैं। वे सभी प्रकार…
गौश्ठेश्वराष्टकम् एक संस्कृत स्तोत्र है, जिसकी रचना 12वीं शताब्दी के भक्तिकाल के कवि नंददास ने की थी। यह स्तोत्र गौश्ठेश्वर या गौओं के स्वामी, शिव की महिमा का वर्णन करता है। स्तोत्र के अनुसार, गौश्ठेश्वर गौओं के रक्षक हैं। वे…
दशश्लोकीस्तुति एक संस्कृत स्तोत्र है, जिसकी रचना 12वीं शताब्दी के भक्तिकाल के कवि नंददास ने की थी। यह स्तोत्र शिव की महिमा का वर्णन करता है। स्तोत्र के अनुसार, शिव सभी देवताओं के स्वामी हैं। वे ब्रह्मांड के सृष्टिकर्ता, पालनकर्ता…
देवाइक्र्ता शंखराष्टुतयः संस्कृत भाषा में एक श्लोक है, जिसकी रचना 12वीं शताब्दी के भक्तिकाल के कवि नंददास ने की थी। यह श्लोक शिव की महिमा का वर्णन करता है। श्लोक के अनुसार, शिव को देवताओं द्वारा शंख बजाकर स्तुति की…
यहाँ नन्दिस्तवः का हिंदी अनुवाद प्रस्तुत है: शिव के शुभ वाहन नन्दीश्वर, महागण को मैं अपने सिर से नमन करता हूँ और उनके चरण स्पर्श करता हूँ। उनका रूप विशाल और भव्य है, उनका रंग शुद्ध और सफेद है, उनकी…
प्रदोष स्तोत्र अष्टकम् एक संस्कृत स्तोत्र है, जिसकी रचना 15वीं शताब्दी में भक्तिकाल के कवि, महादेवी वर्मा ने की थी। यह स्तोत्र प्रदोष काल में भगवान शिव की स्तुति करता है। प्रदोष स्तोत्र अष्टकम् के 8 श्लोक हैं, और प्रत्येक…
बिल्वाष्टकम् एक संस्कृत स्तोत्र है, जिसकी रचना 12वीं शताब्दी में भक्तिकाल के कवि, नंददास ने की थी। यह स्तोत्र बिल्व पत्र की महिमा का वर्णन करता है। बिल्वाष्टकम् के 8 श्लोक हैं, और प्रत्येक श्लोक में 8 चरणों होते हैं।…
बिल्वाष्टकम् 2 एक संस्कृत स्तोत्र है, जिसकी रचना 14वीं शताब्दी में भक्तिकाल के कवि, आनंदवर्धन ने की थी। यह स्तोत्र बिल्व पत्र की महिमा का वर्णन करता है। बिल्वाष्टकम् 2 के 8 श्लोक हैं, और प्रत्येक श्लोक में 8 चरणों…
बृहद्बलकृत शिवगिरिजास्तुति एक संस्कृत स्तोत्र है, जिसकी रचना 12वीं शताब्दी में भक्तिकाल के कवि और संत, श्रीपदाचार्य ने की थी। यह स्तोत्र भगवान शिव और देवी पार्वती की स्तुति करता है। बृहद्बलकृत शिवगिरिजास्तुति के 100 श्लोक हैं, और प्रत्येक श्लोक…
बोधपंचाशिका एक संस्कृत स्तोत्र है, जिसकी रचना 13वीं शताब्दी में भक्तिकाल के कवि संत ज्ञानेश्वर ने की थी। यह स्तोत्र 50 श्लोकों में विभाजित है, प्रत्येक श्लोक में आठ चरणों होते हैं। बोधपंचाशिका में संत ज्ञानेश्वर ज्ञान और भक्ति के…