Diwali Puja ke Niyam: दिवाली, हिंदुओं का सबसे बड़ा त्योहार है. इस दिन हम सभी लक्ष्मी माता की पूजा करते हैं और घरों को रोशनी से जगमगाते हैं. लेकिन ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, दिवाली के दिन कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए. आइए जानते हैं दिवाली के दिन क्या करें और क्या नहीं?
Diwali 2024 : दिवाली हिन्दू धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जिसे पूरे भारत में हर्षोल्लास से मनाया जाता है. इस दिन लक्ष्मी पूजा और अन्य धार्मिक अनुष्ठान होते हैं, जो सुख-समृद्धि लाने के उद्देश्य से किए जाते हैं.
Diwali दिवाली के शुभ मौके पर माता लक्ष्मी की और गणेश जी की विधि विधान से पूजा का नियम हैं. मान्यता के अनुसार, इस दिन माता लक्ष्मी और गणेश जी पूजा और दान पुण्य करने से कई गुना पुण्य फल की प्राप्ति होती है. लेकिन इस दिन विधिवत पूजा करने के साथ कुछ नियमों का पालन करना बेहद जरूरी माना जाता है. आइए ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जानते हैं कि दिवाली के दिन क्या करना जरूरी होता है और किन कामों को करने से बचना चाहिए.
दिवाली के दिन शुभता और सकारात्मकता बनाए रखने के लिए कुछ विशेष सावधानियां बरतनी चाहिए। इस दिन कुछ गलतियाँ होती हैं जिनसे बचना चाहिए, ताकि पर्व का पूर्ण लाभ मिल सके। आइए जानते हैं कि दिवाली के दिन क्या करें और क्या नहीं।
Diwali Pe kya kare:क्या करें
- पूजा का समय ध्यान रखें: लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त देखकर ही पूजा करें। यह समय ऊर्जा और सकारात्मकता के लिए महत्वपूर्ण होता है।
- स्वच्छता का ध्यान रखें: घर और आस-पास की जगह को साफ-सुथरा रखें, जिससे माँ लक्ष्मी का वास बना रहे। माना जाता है कि माँ लक्ष्मी केवल स्वच्छ और व्यवस्थित स्थानों पर निवास करती हैं।
- दीपक जलाएं: घर के हर कोने में एक-एक दीपक जलाएं ताकि पूरे घर में रोशनी और सकारात्मक ऊर्जा बनी रहे।
- दान-पुण्य करें: दिवाली के दिन दान करना शुभ माना जाता है। जरूरतमंदों की सहायता करें, अन्न, वस्त्र या धन का दान करें।
- मिठाई और प्रसाद बांटें: Diwali दिवाली खुशियाँ बाँटने का पर्व है, इसलिए रिश्तेदारों और पड़ोसियों में मिठाई और प्रसाद बाँटें।
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Diwali Pe Kya Nahi Kare:क्या नहीं करें
- वृक्षों और पौधों के पास पटाखे न जलाएं: पौधों को नुकसान से बचाएं और पर्यावरण को सुरक्षित रखें।
- अत्यधिक पटाखे न जलाएं: प्रदूषण से बचने के लिए पटाखों का कम से कम प्रयोग करें, जिससे हवा साफ बनी रहे और प्रदूषण कम हो।
- क्रोध और नकारात्मकता से बचें: दिवाली का पर्व प्रेम और सद्भावना का है, इसलिए किसी भी प्रकार के झगड़े या नकारात्मक व्यवहार से बचें।
- रात में झाड़ू न लगाएं: ऐसी मान्यता है कि दिवाली की रात झाड़ू लगाना अशुभ होता है। इसे घर से धन और सौभाग्य का नुकसान माना जाता है।
- अशुभ शब्दों का प्रयोग न करें: इस दिन किसी भी प्रकार की अशुभ या नकारात्मक बातों से बचें, ताकि वातावरण सकारात्मक बना रहे।
- दिवाली के दिन कर्ज लेना या उधार लेना अशुभ माना जाता है, इससे आर्थिक हानि हो सकती है.
इन छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखकर आप दिवाली का आनंद पूरी शुभता और सकारात्मकता के साथ उठा सकते हैं।
दिवाली की पूजा विधि शुभ मूहुर्त और विधानों का पालन करके सम्पन्न की जाती है, जिसमें माँ लक्ष्मी, भगवान गणेश और अन्य देवी-देवताओं की पूजा की जाती है। यहाँ पर एक सरल पूजा विधि दी जा रही है:
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Diwali Ke Din Pujan Sammgri:दिवाली पूजन सामग्री:
- लक्ष्मी-गणेश की मूर्तियाँ
- कलश (जल से भरा हुआ)
- कलावा, सुपारी, नारियल
- रोली, चावल, कुमकुम
- फूल, माला
- धूप, दीपक, अगरबत्ती
- मिठाई, फल
- पान के पत्ते, लौंग, इलायची
- चांदी या सोने का सिक्का (यदि उपलब्ध हो)
- खील-बताशे
- नोट और सिक्के (धन के रूप में)
- पूजा की थाली और एक सफेद कपड़ा
Diwali Puja Vidhi:दिवाली पूजन विधि:
- मूहुर्त चयन: पूजा का शुभ मूहुर्त जान लें। आमतौर पर प्रदोष काल में लक्ष्मी पूजा करना उत्तम माना जाता है।
- साफ-सफाई: सबसे पहले घर की साफ-सफाई कर लें। लक्ष्मीजी का स्वागत साफ और स्वच्छ वातावरण में होता है।
- स्थापना: पूजा स्थान पर सफेद या लाल कपड़ा बिछाकर लक्ष्मी-गणेश जी की मूर्तियों की स्थापना करें।
- कलश पूजन: जल से भरे कलश में सुपारी, कलावा और पत्ते रखें और उसे माँ लक्ष्मी के पास रखें।
- आचमन: सभी को पूजा से पहले आचमन करना चाहिए, जिससे शुद्धता बनी रहे।
- ध्यान: भगवान गणेश और माँ लक्ष्मी का ध्यान करें।
- आवहन और पूजन: भगवान गणेश का आवाहन करें और फिर लक्ष्मीजी का आवाहन करें।
- संकल्प लें: पूजा में मन, वचन और कर्म से शुभता का संकल्प लें।
- तिलक और अक्षत: लक्ष्मीजी और गणेशजी को तिलक करें और अक्षत अर्पित करें।
- मंत्र जाप:
- गणेश जी के लिए: “ॐ गं गणपतये नमः”
- लक्ष्मी जी के लिए: “ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्मयै नमः”
- अर्घ्य, पुष्प, और माला: भगवान को पुष्प और माला अर्पित करें।
- दीपक जलाएं: दीप जलाकर लक्ष्मी जी की आरती करें।
- प्रसाद वितरण: अंत में प्रसाद वितरण करें।
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