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Shailputri Mantra

Devi Maa Shailputri Mantra: मां दुर्गा का प्रथम अवतार Maa Shailputri हैं। हिंदू मान्यताओं के अनुसार, Maa Shailputri सती का अवतार हैं। इस अवतार में, वह राजा दक्ष प्रजापति की बेटी थी जो भगवान ब्रम्हा के पुत्र थे। 

Maa Shailputri के एक हाथ में त्रिशूल और दूसरे हाथ में कमल का पुष्प है। यह नंदी नामक बैल पर सवार संपूर्ण हिमालय पर विराजमान हैं। इसलिए इनको वृषोरूढ़ा और उमा के नाम से भी जाना जाता है। यह वृषभ वाहन शिवा का ही स्वरूप है। घोर तपस्या करने वाली शैलपुत्री समस्त वन्य जीव-जंतुओं की रक्षक भी हैं। शैलपुत्री के अधीन वे समस्त भक्तगण आते हैं, जो योग, साधना-तप और अनुष्ठान के लिए पर्वतराज हिमालय की शरण लेते हैं।

Maa Shailputri की बड़ी श्रद्धा से पूजा की जाती है। Maa Shailputri चंद्रमा पर शासन करती है। कहा जाता है कि शुद्ध मन से उनकी पूजा करने से चंद्रमा के सभी दुष्प्रभाव दूर हो जाते हैं।

Maa Shailputri मूलाधार (जड़) चक्र से जुड़ी हैं। यह चक्र लाल रंग का होता है। मां शैलपुत्री को प्रसन्न करने और उनसे सिद्धि और अन्य वरदान प्राप्त करने के लिए कई भक्त ध्यान करते हैं, मंत्रों का जाप करते हैं और विशिष्ट अनुष्ठान करते हैं। देवी शैलपुत्री मूलाधार शक्ति होने के कारण व्यक्ति को जीवन का पाठ पढ़ाती हैं। वह एक व्यक्ति को उसकी आत्म-चेतना को जगाने के माध्यम से मूलाधार शक्ति का एहसास कराती है।

Maa Shailputri की पूजा करने के लाभ:

Maa Shailputri की पूजा करने से चंद्र ग्रह के दोष से बचाव होता है

Maa Shailputri की पूजा, शांति, सद्भाव और समग्र खुशी प्रदान करता है

Maa Shailputri की पूजा, रोगों और नकारात्मक ऊर्जा को दूर रखती है

Maa Shailputri की पूजा, विवाहित जोड़े के बीच प्यार के बंधन को मजबूत करती है

Maa Shailputri की पूजा, स्थिरता, करियर और व्यवसाय में सफलता प्रदान करता है

Maa Shailputri के पूजा मंत्र

माता शैलपुत्री की पूजा षोड्शोपचार विधि से की जाती है। इनकी पूजा में सभी नदियों, तीर्थों और दिशाओं का आह्वान किया जाता है। माँ शैलपुत्री को चमेली का फूल अत्यंत प्रिय है, मां शैलपुत्री का मंत्र इस प्रकार है…

Maa Shailputri Mantra

ॐ देवी शैलपुत्र्यै नमः॥

Om Devi Shailaputryai Namah॥

Prarthana

वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
वृषारूढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्॥

Vande Vanchhitalabhaya Chandrardhakritashekharam।
Vrisharudham Shuladharam Shailaputrim Yashasvinim॥

Stuti

या देवी सर्वभू‍तेषु माँ शैलपुत्री रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

Ya Devi Sarvabhuteshu Maa Shailaputri Rupena Samsthita।
Namastasyai Namastasyai Namastasyai Namo Namah॥

Dhyana

वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
वृषारूढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्॥
पूणेन्दु निभाम् गौरी मूलाधार स्थिताम् प्रथम दुर्गा त्रिनेत्राम्।
पटाम्बर परिधानां रत्नाकिरीटा नामालंकार भूषिता॥
प्रफुल्ल वन्दना पल्लवाधरां कान्त कपोलाम् तुगम् कुचाम्।
कमनीयां लावण्यां स्नेमुखी क्षीणमध्यां नितम्बनीम्॥

Vande Vanchhitalabhaya Chandrardhakritashekharam।
Vrisharudham Shuladharam Shailaputrim Yashasvinim॥
Punendu Nibham Gauri Muladhara Sthitam Prathama Durga Trinetram।
Patambara Paridhanam Ratnakirita Namalankara Bhushita॥

Praphulla Vandana Pallavadharam Kanta Kapolam Tugam Kucham।

Kamaniyam Lavanyam Snemukhi Kshinamadhyam Nitambanim॥

Stotra

प्रथम दुर्गा त्वंहि भवसागरः तारणीम्।
धन ऐश्वर्य दायिनी शैलपुत्री प्रणमाम्यहम्॥
त्रिलोजननी त्वंहि परमानन्द प्रदीयमान्।
सौभाग्यरोग्य दायिनी शैलपुत्री प्रणमाम्यहम्॥
चराचरेश्वरी त्वंहि महामोह विनाशिनीं।
मुक्ति भुक्ति दायिनीं शैलपुत्री प्रणमाम्यहम्॥

Prathama Durga Tvamhi Bhavasagarah Taranim।
Dhana Aishwarya Dayini Shailaputri Pranamamyaham॥
Trilojanani Tvamhi Paramananda Pradiyaman।
Saubhagyarogya Dayini Shailaputri Pranamamyaham॥
Charachareshwari Tvamhi Mahamoha Vinashinim।
Mukti Bhukti Dayinim Shailaputri Pranamamyaham॥

Kavacha

ॐकारः में शिरः पातु मूलाधार निवासिनी।
हींकारः पातु ललाटे बीजरूपा महेश्वरी॥
श्रींकार पातु वदने लावण्या महेश्वरी।
हुंकार पातु हृदयम् तारिणी शक्ति स्वघृत।
फट्कार पातु सर्वाङ्गे सर्व सिद्धि फलप्रदा॥

Omkarah Mein Shirah Patu Muladhara Nivasini।
Himkarah Patu Lalate Bijarupa Maheshwari॥
Shrimkara Patu Vadane Lavanya Maheshwari।
Humkara Patu Hridayam Tarini Shakti Swaghrita।
Phatkara Patu Sarvange Sarva Siddhi Phalaprada॥

Aarti

शैलपुत्री माँ बैल असवार। करें देवता जय जय कार॥
शिव-शंकर की प्रिय भवानी। तेरी महिमा किसी ने न जानी॥
पार्वती तू उमा कहलावें। जो तुझे सुमिरे सो सुख पावें॥
रिद्धि सिद्धि परवान करें तू। दया करें धनवान करें तू॥
सोमवार को शिव संग प्यारी। आरती जिसने तेरी उतारी॥
उसकी सगरी आस पुजा दो। सगरे दुःख तकलीफ मिटा दो॥
घी का सुन्दर दीप जला के। गोला गरी का भोग लगा के॥
श्रद्धा भाव से मन्त्र जपायें। प्रेम सहित फिर शीश झुकायें॥
जय गिरराज किशोरी अम्बे। शिव मुख चन्द्र चकोरी अम्बे॥
मनोकामना पूर्ण कर दो। चमन सदा सुख सम्पत्ति भर दो॥

Lakshmanakritam Ramanatha Stotram: लक्ष्मणकृतं रामनाथस्तोत्रम् Lakshmanakritam

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