Chandra Dev चंद्र देव की आरती के लाभ (फायदे):
Chandra Dev:चंद्र देव, मन के स्वामी और ज्योतिष में एक महत्वपूर्ण ग्रह के रूप में माने जाते हैं। उनकी आरती करने से मन, भावनाओं और जीवन के अन्य पहलुओं पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
Chandra Dev :चंद्र देव आरती के फायदे:
1. मानसिक शांति और स्थिरता:
- चंद्र देव को मन का अधिपति कहा जाता है। उनकी आरती करने से मानसिक तनाव, चिंता, और अस्थिरता दूर होती है।
- यह आरती मन को स्थिर और शांत रखने में सहायक होती है।
2. भावनात्मक संतुलन:
- जो लोग भावनात्मक अस्थिरता, क्रोध, या अवसाद से परेशान हैं, उनके लिए चंद्र देव की आरती करना अत्यंत लाभकारी है।
- इससे भावनाएं संतुलित रहती हैं और निर्णय क्षमता में सुधार होता है।
3. धन और समृद्धि:
- चंद्र देव जल तत्व के प्रतीक हैं। उनकी कृपा से व्यापार और आर्थिक स्थिति में सुधार होता है।
- विशेष रूप से दूध, चावल, चांदी, और जल से संबंधित कार्य करने वालों को लाभ मिलता है।
4. स्वास्थ्य लाभ:
- चंद्र देव की आरती करने से मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य बेहतर होता है।
- उनकी कृपा से नर्वस सिस्टम और मन से जुड़े विकारों में सुधार होता है।
5. वैवाहिक जीवन में सुख:
- चंद्र देव को प्रेम और मधुरता का प्रतीक माना जाता है। Chandra Dev Aarti उनकी आरती करने से वैवाहिक जीवन में शांति और प्रेम बना रहता है।
- जो लोग वैवाहिक समस्याओं का सामना कर रहे हैं, उनके लिए यह आरती विशेष फलदायी होती है।
6. चंद्र दोष का निवारण:
- कुंडली में चंद्र ग्रह कमजोर होने पर जीवन में मानसिक और भावनात्मक समस्याएं उत्पन्न होती हैं।
- चंद्र दोष निवारण के लिए आरती करना और सोमवार को व्रत रखना अत्यंत लाभकारी होता है।
7. रचनात्मकता और कलात्मक क्षमता:
- चंद्र देव रचनात्मकता और सौंदर्य के प्रतीक हैं। उनकी आरती से कला, संगीत, लेखन, और अन्य रचनात्मक क्षेत्रों में सफलता मिलती है।
Chandra Dev Aarti:चन्द्र देव आरती
ॐ जय सोम देवा, स्वामी जय सोम देवा ।
दुःख हरता सुख करता, जय आनन्दकारी ।
रजत सिंहासन राजत, ज्योति तेरी न्यारी ।
दीन दयाल दयानिधि, भव बन्धन हारी ।
जो कोई आरती तेरी, प्रेम सहित गावे ।
सकल मनोरथ दायक, निर्गुण सुखराशि ।
योगीजन हृदय में, तेरा ध्यान धरें ।
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव, सन्त करें सेवा ।
वेद पुराण बखानत, भय पातक हारी ।
प्रेमभाव से पूजें, सब जग के नारी ।
शरणागत प्रतिपालक, भक्तन हितकारी ।
धन सम्पत्ति और वैभव, सहजे सो पावे ।
विश्व चराचर पालक, ईश्वर अविनाशी ।
सब जग के नर नारी, पूजा पाठ करें ।
ॐ जय सोम देवा, स्वामी जय सोम देवा ।