भाई दूज: भाई-बहन के अटूट बंधन का पर्व
भाई दूज, जिसे यम द्वितीया भी कहा जाता है, भारत में भाई-बहन के रिश्ते को समर्पित एक महत्वपूर्ण पर्व है। यह त्योहार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है, जो इस साल 3 नवंबर को है। इस दिन बहनें अपने भाई को तिलक करती हैं और उसकी लंबी उम्र, सुख-समृद्धि, और अच्छे स्वास्थ्य की कामना करती हैं। रक्षाबंधन की तरह ही भाई-बहन के स्नेह को दर्शाने वाला पर्व है, परंतु इसकी परंपराएं और विधियां थोड़ी भिन्न हैं।
भाई दूज का महत्व और पौराणिक कथा
भाई दूज का महत्व बहुत ही विशेष है, और इसके पीछे एक पुरानी पौराणिक कथा जुड़ी हुई है। कथा के अनुसार, यमराज (मृत्यु के देवता) अपनी बहन यमुनाजी से मिलने गए। यमुनाजी ने अपने भाई का स्वागत किया और उनका सत्कार कर तिलक किया। यमराज ने प्रसन्न होकर अपनी बहन से वरदान मांगा, और यमुनाजी ने अपने भाई से यह वरदान मांगा कि इस दिन जो भाई अपनी बहन से तिलक करवाएगा, उसे कभी अकाल मृत्यु का सामना नहीं करना पड़ेगा। तभी से दिन बहनें अपने भाई की दीर्घायु की कामना के साथ उसे तिलक करती हैं। इस त्योहार को यमराज और यमुनाजी के रिश्ते का प्रतीक माना जाता है।
तिलक का मुहूर्त और चौघड़िया मुहूर्त
ज्योतिष के अनुसार, इस वर्ष भाई दूज का शुभ मुहूर्त सुबह 10:41 से दोपहर 12 बजे तक है, जो तिलक करने का सबसे उत्तम समय माना गया है। इस दौरान अमृत चौघड़िया भी रहेगा, जो किसी भी शुभ कार्य के लिए सर्वोत्तम समय माना जाता है। इसके अतिरिक्त, यदि बहनें इस समय अपने भाई को तिलक नहीं कर पाती हैं, तो शाम 6 बजे से रात 9 बजे तक के बीच शुभ और अमृत चौघड़िया में तिलक कर सकती हैं। लेकिन ध्यान रखें कि राहुकाल शाम 4:30 से 6 बजे के बीच रहेगा, जिसमें कोई भी शुभ कार्य करना अशुभ माना जाता है, इसलिए इस समय तिलक करने से बचें।
भाई दूज तिलक करने की विधि और सावधानियां
भाई दूज के दिन तिलक करते समय कुछ खास बातों का ध्यान रखना चाहिए। माना जाता है कि इस दिन बहन की अनामिका अंगुली (रिंग फिंगर) में अमृत तत्व प्रवाहित होता है, इसलिए भाई को तिलक करते समय बहन को अपनी रिंग फिंगर का ही उपयोग करना चाहिए। इसके साथ ही, तिलक करते समय भाई का मुख पूर्व या उत्तर दिशा की ओर होना चाहिए। तिलक के साथ-साथ अक्षत (चावल) का प्रयोग भी अवश्य करें, क्योंकि इसे शुभ और मंगलकारी माना गया है।
भाई दूज के दिन की अन्य परंपराएं और कहानियां
भाई दूज की परंपराओं में भोजन का भी विशेष महत्व है। बहनें इस दिन अपने भाई को विशेष पकवान बनाकर खिलाती हैं। यह माना जाता है कि भाई दूज के दिन बहन द्वारा प्रेमपूर्वक परोसा गया भोजन भाई की लंबी उम्र और खुशियों का प्रतीक होता है।
एक और प्रचलित कहानी के अनुसार, एक बार एक राजा की बेटी ने अपने भाई को तिलक करते समय उसकी लंबी उम्र की कामना की और उसे खीर खिलाई। इसने उनके रिश्ते को इतना मजबूत बना दिया कि वह समय आने पर अपने भाई के लिए किसी भी तरह का बलिदान देने के लिए तैयार थी। ऐसी कथाएं इस त्योहार को और भी खास बनाती हैं।
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Conclusion
भाई दूज केवल एक त्योहार नहीं है, यह भाई-बहन के प्यार और विश्वास का प्रतीक है। इस दिन बहनें अपने भाई की सलामती और दीर्घायु की कामना करती हैं, और भाई अपनी बहनों की सुरक्षा और उनका सम्मान बनाए रखने का वचन देते हैं। इस भाई दूज पर, अपने भाई-बहन के साथ इस अटूट रिश्ते को मनाएं और एक-दूसरे के प्रति अपने प्रेम और समर्थन को और मजबूत करें।
Happy Bhai Dooj!