Baba Goraknath Aarti:बाबा गोरखनाथ आरती के लाभ
Baba Goraknath Aarti:बाबा गोरखनाथ, नाथ संप्रदाय के एक प्रमुख संत हैं और उन्हें योगीश्वर भी कहा जाता है। Baba Goraknath Aarti उनकी आरती का गायन न केवल आध्यात्मिक अनुभव प्रदान करता है बल्कि कई अन्य लाभ भी देता है।
Baba Goraknath Aarti:बाबा गोरखनाथ आरती के प्रमुख लाभ इस प्रकार हैं:
- आध्यात्मिक विकास: बाबा गोरखनाथ की आरती का नियमित जाप आध्यात्मिक विकास में सहायक होता है। यह मन को शांत करता है और आंतरिक शक्ति प्रदान करता है।
- सकारात्मक ऊर्जा: आरती के दौरान सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है जो व्यक्ति को नकारात्मक विचारों से मुक्त करता है।
- मनोबल में वृद्धि: बाबा गोरखनाथ की कृपा से व्यक्ति में मनोबल बढ़ता है और वह जीवन की चुनौतियों का सामना करने में सक्षम हो जाता है।
- संकटों का निवारण: माना जाता है कि बाबा गोरखनाथ की कृपा से व्यक्ति के सभी संकट दूर होते हैं।
- ज्ञान और बुद्धि: बाबा गोरखनाथ को ज्ञान का सागर माना जाता है। उनकी आरती करने से व्यक्ति को ज्ञान और बुद्धि प्राप्त होती है।
- रोगों से मुक्ति: बाबा गोरखनाथ की कृपा से कई तरह के रोग दूर होते हैं।
- सफलता: बाबा गोरखनाथ की कृपा से व्यक्ति को अपने जीवन में सफलता प्राप्त होती है।
- आत्मविश्वास: बाबा गोरखनाथ की आरती करने से व्यक्ति में आत्मविश्वास बढ़ता है।
कब करें आरती:
- प्रतिदिन सुबह या शाम को
- किसी विशेष अवसर पर
- संकट के समय
कैसे करें आरती:
- एक साफ स्थान पर दीपक जलाकर आरती करें।
- मन में बाबा गोरखनाथ का ध्यान करें।
- आरती के दौरान उनकी स्तुति करें।
- शुद्ध भाव से आरती करें।
ध्यान रखें:
- आरती करते समय मन को शांत रखें।
- किसी भी प्रकार की नकारात्मक भावना से दूर रहें।
- नियमित रूप से आरती करने से अधिक लाभ मिलता है।
Baba Goraknath Aarti:बाबा गोरखनाथ आरती
जय गोरख देवा,
जय गोरख देवा ।
कर कृपा मम ऊपर,
नित्य करूँ सेवा ॥
शीश जटा अति सुंदर,
भाल चन्द्र सोहे ।
कानन कुंडल झलकत,
निरखत मन मोहे ॥
गल सेली विच नाग सुशोभित,
तन भस्मी धारी ।
आदि पुरुष योगीश्वर,
संतन हितकारी ॥
नाथ नरंजन आप ही,
घट घट के वासी ।
करत कृपा निज जन पर,
मेटत यम फांसी ॥
रिद्धी सिद्धि चरणों में लोटत,
माया है दासी ।
आप अलख अवधूता,
उतराखंड वासी ॥
अगम अगोचर अकथ,
अरुपी सबसे हो न्यारे ।
योगीजन के आप ही,
सदा हो रखवारे ॥
ब्रह्मा विष्णु तुम्हारा,
निशदिन गुण गावे ।
नारद शारद सुर मिल,
चरनन चित लावे ॥
चारो युग में आप विराजत,
योगी तन धारी ।
सतयुग द्वापर त्रेता,
कलयुग भय टारी ॥
गुरु गोरख नाथ की आरती,
निशदिन जो गावे ।
विनवित बाल त्रिलोकी,
मुक्ति फल पावे ॥