अयोध्या (Ayodhya)का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। यह माना जाता है कि भगवान राम (ram bhagwan) का जन्म इसी स्थान पर हुआ था। रामायण, हिंदू धर्म का एक प्रमुख महाकाव्य, अयोध्या में भगवान राम ram की कहानी को बताता है। राम मंदिर के शिलान्यास का हिंदू धर्म के अनुयायियों के लिए बहुत महत्व है। यह एक ऐतिहासिक क्षण होगा, जो हिंदू धर्म के लिए एक नए युग की शुरुआत को चिह्नित करेगा।
Ayodhya अयोध्या के धार्मिक महत्व
अयोध्या भारत के सबसे प्राचीन और पवित्र शहरों में से एक है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, यह भगवान राम, हिंदू धर्म के सबसे लोकप्रिय देवताओं में से एक का जन्मस्थान है।
अयोध्या को सप्तपुरियों में से एक माना जाता है, जो सात पवित्र शहर हैं। ये शहर मोक्ष का मार्ग प्रदान करते हैं।
अयोध्या में कई महत्वपूर्ण मंदिर और धार्मिक स्थल हैं। इनमें से कुछ सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में राम जन्मभूमि मंदिर, हनुमानगढ़ी मंदिर और लक्ष्मण मंदिर शामिल हैं।
Ayodhya अयोध्या की स्थापना किसने की ?
रामायण के अनुसार सरयू नदी के किनारे बसा अयोध्या Ayodhya नगर सूर्य पुत्र वैवस्वत मनु के द्वारा स्थापना की गई थी। वैवस्वत मनु का जन्म लगभग 6673 ईसा पूर्व में हुआ था। मनु ब्रह्रााजी के पौत्र कश्यप की संतान थे। बाद में मनु के 10 पुत्र हुए जिनमें- इल, इक्ष्वाकु, कुशनाम, अरिष्ट, धृष्ट, नरिष्यंत, करुष, महाबली, शर्याति और पृषध थे। इक्ष्वाकु कुल में कई प्रतापी राजा, मुनि और भगवान हुए है। इक्ष्वाकु कुल में भगवान राम का जन्म हुआ था।
Ayodhya अयोध्या की स्थापना कैसे हुई ?
स्कंद पुराण के अनुसार जिस तरह से काशी भगवान शिव के त्रिशूल पर टिकी है उसी प्रकार अयोध्या भगवान विष्णु के सुदर्शन चक्र पर विराजमान है। पौराणिक कथा के अनुसार मनु ने ब्रह्रााजी से अपने लिए एक नगर के निर्माण की बात को लेकर उनके पास पहुंचे तब ब्रह्रााजी जी उन्हें भगवान विष्णु के पास भेजा। तब भगवान विष्णु ने मनु के लिए साकेतधाम का चयन किया।
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साकेतधाम के चयन के बाद ब्रह्रााजी और मनु के साथ विष्णुजी ने देवताओं के शिल्पकार विश्वकर्मा को भेज दिया। विष्णु जी ने महर्षि वशिष्ठ को भी भेजा। वशिष्ठ मुनि ने सरयू नदी के किनारे लीला भूमि का चयन किया। भूमि चयन के बाद देवशिल्पी नगर के निर्माण की प्रकिया आरंभ की। रामायण में अयोध्या (Ayodhya) का जिक्र कौशल जनपद के रूप में भी किया गया। भगवान राम ram bhagwan के जन्म के समय इस नगर का नाम अवध के रूप जाना जाता था। अयोध्या (Ayodhya) का एक नाम साकेत भी है। अयोध्या के अलावा कपिलवस्तु, वैशाली, मिथिला और कौशल में इक्ष्वाकु वंश के शासकों ने राजपाठ चलाया।
सप्तपुरी हिंदू धर्म में सात पवित्र शहरों को संदर्भित करता है। इन शहरों को मोक्ष प्राप्ति के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। सप्तपुरियों का उल्लेख कई हिंदू ग्रंथों में मिलता है, जिनमें ऋग्वेद, पुराण और रामायण शामिल हैं।
सभी प्राचीन सप्तपुरियां और उनका महत्व
मथुरा
मथुरा यमुना नदी के किनारे बसा हुआ है। भगवान श्रीकृष्ण का जन्म मथुरा में हुआ था। श्रीकृष्ण भगवान विष्णु के अवतार थे। मथुरा का काफी धार्मिक महत्व है।
उज्जैन
उज्जैन को उज्जयिनी और अवंतिका के नाम से भी जाना जाता है। यह नगर शिप्रा नदी के किनारे बसा हुआ है। यहां पर ज्योतिर्लिंग महाकालेश्व स्थित है और प्रत्येक 12 वर्ष में कुंभ लगता है।
काशी
हिंदू धर्म में काशी का विशेष महत्व है। यह भगवान शिव की नगरी है। यह गंगा नदी के किनारे पर बसा है। यह सप्तपुरियों में से एक है। भोले भंडारी की इस नगरी में काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग स्थित है।
हरिद्वार
हरिद्वार भी एक प्रमुख धार्मिक नगरी है। हरिद्वार भी सप्तपुरियों में एक है। यह पर भी प्रयाग की भांति कुंभ मेला लगता है।
द्वारिका धाम
द्वारिका धाम गुजरात में स्थित है। यह भगवान श्रीकृष्ण का धाम है। यह नगर समुद्र के किनारे स्थित है। द्वारिका धाम भी सप्तपुरियों में एक है।
कांचीपुरम
कांचीपुरम का संबंध देवी पार्वती से है। यह वेगवदी नदी के किनारे बसा हुआ है। कांचीपुरम में बहुत ही धार्मिक स्थल और मंदिर है। यह भी सप्तपुरियों में से एक है।
Ayodhya अयोध्या
अयोध्या भगवान श्रीराम की जन्मस्थली है। यह धार्मिक नगर सरयू नदी के किनारे बसा हुआ है। अयोध्या नगरी की स्थापना राजा मनु ने किया।