
Anant Chaturdashi: हिंदू धर्म में अनंत चतुर्दशी का पर्व एक विशेष महत्व रखता है. यह भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है. यह दिन भगवान विष्णु की विशेष पूजा के लिए समर्पित है और इसी दिन गणेश उत्सव का भी समापन होता है, यानी गणेश जी का विसर्जन किया जाता है. इसे ‘अनंत चौदस’ के नाम से भी जाना जाता है.
अनंत चतुर्दशी का महत्व (Anant Chaturdashi Significance)
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, Anant Chaturdashi अनंत चतुर्दशी के दिन विधि-विधान से भगवान विष्णु की पूजा करने और व्रत रखने से जीवन की सभी बाधाएं दूर होती हैं. यह माना जाता है कि इस दिन व्रत रखने और अनंत भगवान की पूजा करने से सारे दुख-दर्द खत्म हो जाते हैं और जीवन में सुख-समृद्धि आती है. ज्योतिष के अनुसार, इस दिन मोक्ष की प्राप्ति के लिए भगवान विष्णु की भी पूजा की जाती है.
इस पावन दिन पर ‘अनंत सूत्र’ नामक एक विशेष धागा धारण किया जाता है. इस धागे में चौदह गांठें होती हैं, जो भगवान विष्णु के चौदह लोकों (भूलोक, भुवलोक, स्वलोक, महलोक, जनलोक, तपोलोक, ब्रह्मलोक, अतल, वितल, सतल, रसातल, तलातल, महातल, और पताल लोक) का प्रतीक मानी जाती हैं. यह भी मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने और श्री विष्णु सहस्त्रनाम स्तोत्र का पाठ करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. धन-धान्य, सुख-संपदा और संतान आदि की कामना के लिए भी यह व्रत किया जाता है.
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अनंत चतुर्दशी 2025: तिथि और शुभ मुहूर्त (Anant Chaturdashi 2025: Date and Auspicious Time)
इस साल, Anant Chaturdashi अनंत चतुर्दशी का पर्व 6 सितंबर, शनिवार को मनाया जाएगा.
• चतुर्दशी तिथि प्रारम्भ: 6 सितंबर 2025 को सुबह 03 बजकर 12 मिनट पर.
• चतुर्दशी तिथि समाप्त: 7 सितंबर 2025 को अर्धरात्रि (सुबह) 01 बजकर 41 मिनट पर.
• अनंत चतुर्दशी पूजा मुहूर्त: 6 सितंबर को सुबह 06 बजकर 02 मिनट से लेकर 7 सितंबर की अर्धरात्रि 01 बजकर 41 मिनट तक रहेगा.
• अवधि: 19 घंटे 39 मिनट.
गणेश विसर्जन 2025 का शुभ मुहूर्त (Ganesh Visarjan 2025 Muhurat)
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Anant Chaturdashi 2025 Date: अनंत चतुर्दशी तिथि, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और गणेश विसर्जन का सम्पूर्ण ज्ञान
Anant Chaturdashi: हिंदू धर्म में अनंत चतुर्दशी का पर्व एक विशेष महत्व रखता है. यह भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष…
Anant Chaturdashi:अनंत चतुर्दशी के दिन ही गणेश उत्सव का समापन होता है और भगवान गणेश को ‘गणपति बप्पा मोरया’ कहते हुए पूरे शौर्य के साथ विदा किया जाता है. इस दिन गणेश विसर्जन के लिए 5 शुभ चौघड़िया मुहूर्त उपलब्ध हैं:
• प्रातः मुहूर्त (शुभ): सुबह 7 बजकर 36 मिनट से लेकर सुबह 9 बजकर 10 मिनट तक.
• अपराह्न मुहूर्त (चर, लाभ, अमृत): दोपहर 12 बजकर 19 मिनट से लेकर शाम 05 बजकर 02 मिनट तक.
• सायाह्न मुहूर्त (लाभ): शाम 06 बजकर 37 मिनट से लेकर रात 08 बजकर 02 मिनट तक.
• रात्रि मुहूर्त (शुभ, अमृत, चर): रात 09 बजकर 28 मिनट से लेकर 7 सितंबर को अर्धरात्रि 01 बजकर 45 मिनट तक.
• उषाकाल मुहूर्त (लाभ): 7 सितंबर को सुबह 04 बजकर 36 मिनट से लेकर सुबह 06 बजकर 02 मिनट तक.
अनंत चतुर्दशी 2025 पूजा विधि (Anant Chaturdashi 2025 Puja Vidhi)
अनंत चतुर्दशी की पूजा विधि अत्यंत सरल और भक्तिपूर्ण है:
1. सुबह स्नान और संकल्प: पूजा की शुरुआत सुबह स्नान करके साफ-सुथरे कपड़े पहनकर होती है. इसके बाद घर के मंदिर को साफ करें और पूजा स्थल पर धातु या मिट्टी का कलश स्थापित करें. सभी देवी-देवताओं का स्मरण करते हुए व्रत का संकल्प लें.
2. भगवान विष्णु की स्थापना और पूजन: घर के साफ स्थान पर भगवान विष्णु की प्रतिमा या तस्वीर रखकर पूजा की जाती है. कुछ स्त्रोतों के अनुसार, विष्णुजी के शेषनाग स्वरूप की प्रतिमा स्थापित की जाती है.
3. अनंत सूत्र अर्पित करें: पूजा में रोली, चावल, फूल, फल, मिठाई और तांबे के पात्र का इस्तेमाल होता है. भगवान विष्णु को 14 गांठों वाला रक्षासूत्र (अनंत सूत्र) अर्पित करें. इन 14 गांठों में 14 देवताओं का स्थान माना जाता है.
4. षोडषोपचार पूजन और हवन: अनंत सूत्र का षोडषोपचार पूजन करें. इसके बाद तिल, घी, मेवा और खीर से हवन करें.
5. कथा श्रवण और आरती: पूजा के बाद अनंत चतुर्दशी की कथा सुनी जाती है. अंत में आरती करके प्रसाद बांटा जाता है.
6. अनंत सूत्र धारण: पूजा के बाद अनंत सूत्र को हाथ में बांधा जाता है. महिलाएं इसे बाएं हाथ में पहनती हैं, वहीं पुरुषों को दाएं हाथ के बाजू में अनंत सूत्र बांधना चाहिए. रक्षासूत्र पहनते समय ‘ऊँ अनंताय नमः’ मंत्र का जाप कर सकते हैं.
7. दान-पुण्य: हवन के बाद दान-पुण्य के काम करें. इस दिन ब्राह्मणों को भोजन कराना भी शुभ माना जाता है. केले के पेड़ का पूजन भी किया जाता है.
इस प्रकार, Anant Chaturdashi अनंत चतुर्दशी का पर्व हमें भगवान विष्णु के अनंत स्वरूप और उनकी कृपा को स्मरण करने का अवसर देता है, साथ ही यह गणेश उत्सव के भव्य समापन का भी प्रतीक है.