Puja Vidhi:नवरात्रि का पर्व देवी दुर्गा के नौ रूपों की उपासना के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस दौरान भक्त नौ दिनों तक व्रत, पूजा और साधना करते हैं। हर दिन की पूजा विधि अलग होती है और इसे सही तरीके से करने से माँ दुर्गा की कृपा प्राप्त होती है। इस पोस्ट में हम नवरात्रि के नौ दिनों के लिए विशेष पूजा विधि के बारे में बताएंगे, साथ ही वेदिक प्रमाण के अनुसार इसकी महत्ता को समझेंगे।

नवरात्रि की पूजा विधि: प्रारंभिक तैयारी (Navratri Puja Vidhi Preparation)

  1. स्नान और शुद्धिकरण: पूजा शुरू करने से पहले स्नान करके खुद को शारीरिक और मानसिक रूप से शुद्ध करें।
    वेदिक प्रमाण: अथर्ववेद और ऋग्वेद में स्नान और शुद्धिकरण को आत्मिक शुद्धि के लिए महत्वपूर्ण बताया गया है।
  2. कलश स्थापना (Kalash Sthapana): नवरात्रि की पूजा की शुरुआत कलश स्थापना से होती है, जिसे घटस्थापना भी कहा जाता है। कलश को शुभ माना जाता है और इसे स्थापित करने से देवी दुर्गा की उपस्थिति मानी जाती है।
    वेदिक प्रमाण: कलश स्थापना का उल्लेख मार्कण्डेय पुराण और विष्णु पुराण में किया गया है, जिसमें इसे देवी और देवताओं का प्रतीक माना गया है।
  3. आसन: देवी दुर्गा की मूर्ति या चित्र को स्वच्छ स्थान पर स्थापित करें। आसन पर देवी के चित्र के सामने दीपक जलाएं और माँ दुर्गा का आह्वान करें।
  4. दीप प्रज्वलन (Lighting of Lamp): पूजन की शुरुआत में दीपक जलाना आवश्यक होता है। यह पवित्रता और आस्था का प्रतीक है।
    वेदिक प्रमाण: दीप जलाने का वर्णन सामवेद में मिलता है, जहाँ इसे देवी-देवताओं का स्वागत करने का माध्यम बताया गया है।

नवरात्रि के नौ दिनों की पूजा विधि (Navratri Puja Vidhi for Nine Days)

पहला दिन: शैलपुत्री पूजा (Shailaputri Puja Vidhi)

रंग: ग्रे
विधि:

  • देवी शैलपुत्री की प्रतिमा या चित्र के सामने घी का दीपक जलाएं।
  • उनको सफेद फूल और गंगा जल अर्पित करें।
  • दुर्गा सप्तशती के श्लोकों का पाठ करें।
  • मंत्र: “ॐ देवी शैलपुत्र्यै नमः”
    वेदिक प्रमाण: देवी शैलपुत्री की पूजा का उल्लेख शिवपुराण में मिलता है।

दूसरा दिन: ब्रह्मचारिणी पूजा (Brahmacharini Puja Vidhi)

रंग: ऑरेंज
विधि:

  • देवी ब्रह्मचारिणी की पूजा में चीनी और पंचामृत का अर्पण करें।
  • दीपक में तिल के तेल का उपयोग करें और धूप जलाएं।
  • मंत्र: “ॐ देवी ब्रह्मचारिण्यै नमः”
    वेदिक प्रमाण: इस पूजा का वर्णन मार्कण्डेय पुराण में मिलता है।

तीसरा दिन: चंद्रघंटा पूजा (Chandraghanta Puja)

रंग: सफेद
विधि:

  • माँ चंद्रघंटा को लाल फूल और शहद अर्पित करें।
  • उनके सामने घंटी बजाकर आरती करें, जिससे नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।
  • मंत्र: “ॐ देवी चन्द्रघण्टायै नमः”
    वेदिक प्रमाण: दुर्गा सप्तशती में देवी चंद्रघंटा की पूजा का वर्णन है।

चौथा दिन: कूष्मांडा पूजा (Kushmanda Puja Vidhi)

रंग: लाल
विधि:

  • माँ कूष्मांडा को कुमकुम और सिंदूर अर्पित करें।
  • उन्हें ताजे फल और नारियल अर्पित करें।
  • मंत्र: “ॐ देवी कूष्माण्डायै नमः”
    वेदिक प्रमाण: देवी कूष्मांडा की पूजा का वर्णन देवी भागवत में मिलता है।

पांचवां दिन: स्कंदमाता पूजा (Skandamata Puja Vidhi)

रंग: रॉयल ब्लू
विधि:

  • माँ स्कंदमाता को कमल का फूल और केले अर्पित करें।
  • घी का दीपक जलाएं और दुर्गा सप्तशती का पाठ करें।
  • मंत्र: “ॐ देवी स्कन्दमातायै नमः”
    वेदिक प्रमाण: स्कंदमाता की महिमा शिव पुराण में वर्णित है।

छठा दिन: कात्यायनी पूजा (Katyayani Puja Vidhi)

रंग: येलो
विधि:

  • देवी कात्यायनी को हल्दी और पीले फूल अर्पित करें।
  • उनकी पूजा में दही और हल्दी का भोग लगाएं।
  • मंत्र: “ॐ देवी कात्यायन्यै नमः”
    वेदिक प्रमाण: देवी कात्यायनी की पूजा का उल्लेख कालिका पुराण में मिलता है।

सातवां दिन: कालरात्रि पूजा (Kalaratri Puja Vidhi)

रंग: ग्रीन
विधि:

  • माँ कालरात्रि को गुड़ और नीम के पत्ते अर्पित करें।
  • सरसों के तेल का दीपक जलाकर पूजा करें।
  • मंत्र: “ॐ देवी कालरात्र्यै नमः”
    वेदिक प्रमाण: कालरात्रि की पूजा का उल्लेख दुर्गा सप्तशती में मिलता है।

आठवां दिन: महागौरी पूजा (Mahagauri Puja)

रंग: पर्पल
विधि:

  • माँ महागौरी को सफेद वस्त्र और नारियल अर्पित करें।
  • गाय के दूध का दीपक जलाएं और आरती करें।
  • मंत्र: “ॐ देवी महागौर्यै नमः”
    वेदिक प्रमाण: महागौरी की पूजा का उल्लेख शिव पुराण और देवी भागवत में किया गया है।

नवा दिन: सिद्धिदात्री पूजा (Siddhidatri Puja)

रंग: पीकॉक ग्रीन
विधि:

  • माँ सिद्धिदात्री को सफेद फूल और मिठाई अर्पित करें।
  • दुर्गा सप्तशती का पाठ करें और दीपक जलाएं।
  • मंत्र: “ॐ देवी सिद्धिदात्र्यै नमः”
    वेदिक प्रमाण: सिद्धिदात्री की पूजा का वर्णन शिव पुराण में मिलता है।

पूजा के दौरान ध्यान रखने योग्य बातें (Important Tips During Puja)

  1. सात्विक भोजन: पूजा के दौरान सात्विक भोजन करें और व्रत का पालन करें।
  2. मंत्र जाप: दुर्गा सप्तशती का पाठ करें और मंत्रों का जाप करें।
  3. कन्या पूजन: अष्टमी या नवमी के दिन कन्या पूजन अवश्य करें।

Navratri Fashion Guide 2024: नवरात्रि में कौन से रंग पहनने चाहिए? (वेदिक प्रमाण सहित)

वेदिक प्रमाण और पूजा का महत्व

वेदों में पूजा की विधि और महत्व का स्पष्ट उल्लेख किया गया है। ऋग्वेद और यजुर्वेद में देवी की पूजा के विभिन्न तरीके और अनुष्ठान बताए गए हैं, जो जीवन में सुख, समृद्धि और शांति लाते हैं। हर दिन की पूजा देवी के एक विशेष रूप की साधना को समर्पित होती है, जो हमारे जीवन के विभिन्न पहलुओं को प्रभावित करती है।

निष्कर्ष

नवरात्रि की पूजा विधि का सही पालन करने से माँ दुर्गा की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है। हर दिन की पूजा विधि, मंत्र और अनुष्ठान का पालन कर आप अपने जीवन में सकारात्मकता और शांति प्राप्त कर सकते हैं। वेदिक प्रमाण के अनुसार नवरात्रि की पूजा आत्मा और शरीर दोनों की शुद्धि का साधन है।

Sources:

  • ऋग्वेद
  • यजुर्वेद
  • मार्कण्डेय पुराण
  • शिव पुराण
  • देवी भागवत
  Puja Vidhi

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *