अर्थ:

यह संस्कृत मंत्र भगवान गणेश को समर्पित है, जिन्हें बाधाओं को दूर करने वाले हिंदू देवता के रूप में जाना जाता है।

यहाँ शब्दों का विवरण दिया गया है:

  • गणनायकाय (गणनायकाय): ​​”गणों के नेता के लिए”
  • गणदेवताय (गंडेवतय): ​​”गणों के देवता के लिए”
  • गणाध्यक्षाय (गणाध्यक्ष): “गणों के प्रमुख के लिए”
  • धीमहि (धीमहि): “हम ध्यान करते हैं”

समग्र अर्थ:

मंत्र का अर्थ है, “हम भगवान गणेश, गणों के नेता, देवता और प्रमुख का ध्यान करते हैं।” यह उनके आशीर्वाद और मार्गदर्शन की प्रार्थना है।

गण:

हिंदू पौराणिक कथाओं में, गण दिव्य प्राणियों का एक समूह है जो भगवान गणेश की सेवा करते हैं। उन्हें अक्सर हाथी जैसी विशेषताओं के साथ दर्शाया जाता है।

महत्व:

इस मंत्र का जाप आमतौर पर किसी भी नए उद्यम या उपक्रम को शुरू करने से पहले किया जाता है क्योंकि ऐसा माना जाता है कि इससे भगवान गणेश का आशीर्वाद मिलता है और किसी भी संभावित बाधा को दूर किया जाता है।

गणनायकाय गणदेवताय गणाध्यक्षाय धीमहि (Gananaykay Gandevatay Ganadhyakshay Dheemahi)

गणनायकाय गणदेवताय गणाध्यक्षाय धीमहि ।
गुणशरीराय गुणमण्डिताय गुणेशानाय धीमहि ।
गुणातीताय गुणाधीशाय गुणप्रविष्टाय धीमहि ।
एकदंताय वक्रतुण्डाय गौरीतनयाय धीमहि ।
गजेशानाय भालचन्द्राय श्रीगणेशाय धीमहि ॥

गानचतुराय गानप्राणाय गानान्तरात्मने,
गानोत्सुकाय गानमत्ताय गानोत्सुकमनसे ।
गुरुपूजिताय गुरुदेवताय गुरुकुलस्थायिने,
गुरुविक्रमाय गुह्यप्रवराय गुरवे गुणगुरवे ।
गुरुदैत्यगलच्छेत्रे गुरुधर्मसदाराध्याय,
गुरुपुत्रपरित्रात्रे गुरुपाखण्डखण्डकाय ।
गीतसाराय गीततत्त्वाय गीतगोत्राय धीमहि,
गूढगुल्फाय गन्धमत्ताय गोजयप्रदाय धीमहि ।
गुणातीताय गुणाधीशाय गुणप्रविष्टाय धीमहि,
एकदंताय वक्रतुण्डाय गौरीतनयाय धीमहि ।
गजेशानाय भालचन्द्राय श्रीगणेशाय धीमहि ॥

ग्रन्थगीताय ग्रन्थगेयाय ग्रन्थान्तरात्मने,
गीतलीनाय गीताश्रयाय गीतवाद्यपटवे ।
गेयचरिताय गायकवराय गन्धर्वप्रियकृते,
गायकाधीनविग्रहाय गङ्गाजलप्रणयवते ।
गौरीस्तनन्धयाय गौरीहृदयनन्दनाय,
गौरभानुसुताय गौरीगणेश्वराय ।
गौरीप्रणयाय गौरीप्रवणाय गौरभावाय धीमहि,
गोसहस्राय गोवर्धनाय गोपगोपाय धीमहि ।
गुणातीताय गुणाधीशाय गुणप्रविष्टाय धीमहि,
एकदंताय वक्रतुण्डाय गौरीतनयाय धीमहि ।
गजेशानाय भालचन्द्राय श्रीगणेशाय धीमहि ॥

गणनायकाय

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