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- Create Date November 19, 2023
- Last Updated July 29, 2024
Mrityunjay Stotram
मृत्युंजय स्तोत्र एक संस्कृत स्तोत्र है जो भगवान शिव की महिमा का वर्णन करता है। इस स्तोत्र का पाठ करने से मृत्यु का भय दूर होता है और व्यक्ति में सकारात्मक ऊर्जा और साहस का संचार होता है।
मृत्युंजय स्तोत्र की रचना ऋषि मार्कंडेय ने की थी। यह स्तोत्र पद्मपुराण के उत्तरखण्ड में मिलता है।
मृत्युंजय स्तोत्र का पाठ इस प्रकार है:
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्।।
ॐ शांते शांते शांते।
मृत्युंजय स्तोत्र का अर्थ है:
"हम तीन नेत्र वाले भगवान शिव की पूजा करते हैं, जो सुगंधित और पोषक हैं। जैसे ककड़ी की डंठल से बंधे हुए ककड़ी का फल बंधन से मुक्त हो जाता है, वैसे ही हम मृत्यु से मुक्त हो जाएं, लेकिन अमरता न प्राप्त करें।"
मृत्युंजय स्तोत्र का जाप करने से कई लाभ हो सकते हैं, जिनमें शामिल हैं:
- सभी प्रकार के भय और परेशानियों से मुक्ति
- सभी प्रकार के पापों से मुक्ति
- सभी प्रकार की सिद्धियों को प्राप्त करना
- मोक्ष की प्राप्ति
Mrityunjay Stotram
मृत्युंजय स्तोत्र का जाप करते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए:
- स्तोत्र का जाप एक पवित्र स्थान पर करें।
- स्तोत्र का जाप करते समय शुद्ध रहें।
- स्तोत्र का जाप एकाग्रचित होकर करें।
मृत्युंजय स्तोत्र का जाप करने के लिए निम्नलिखित विधि का पालन करें:
- एक आरामदायक स्थिति में बैठ जाएं।
- भगवान शिव की मूर्ति या तस्वीर के सामने बैठें।
- स्तोत्र का जाप शुरू करें।
- स्तोत्र का जाप 108 बार या अपनी सुविधानुसार करें।
- स्तोत्र का जाप करने के बाद, भगवान शिव को धन्यवाद दें।
मृत्युंजय स्तोत्र का जाप करने से पहले किसी योग्य गुरु से मंत्र दीक्षा प्राप्त करना उचित है।
मृत्युंजय स्तोत्र एक शक्तिशाली स्तोत्र है जो सभी भक्तों के लिए लाभदायक है।
विष्णुस्तुतिः vishnustutih
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