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  • Create Date November 19, 2023
  • Last Updated November 19, 2023

Veereshwar Stutih - 2

वीरेशस्तुतिह - 2 एक संस्कृत स्तोत्र है जो भगवान शिव की महिमा का वर्णन करता है। यह स्तोत्र भगवान शिव को "वीरेश" या "वीरों का स्वामी" के रूप में संबोधित करता है।

वीरेशस्तुतिह - 2 का अर्थ है:

"हे भगवान शिव, आप वीरों के स्वामी हैं। आप ही वीरों को शक्ति और साहस प्रदान करते हैं।

आप ही युद्ध में विजय प्रदान करते हैं। आप ही वीरों की रक्षा करते हैं।

आप ही सत्य के रक्षक हैं। आप ही न्याय के प्रतीक हैं।

आप ही समस्त प्राणियों के कल्याण के लिए कार्य करते हैं।

मैं आपका शरणागत हूं। मैं आपकी शरण में आकर आपसे प्रार्थना करता हूं कि आप मुझे सभी प्रकार के कष्टों से मुक्त करें।

आप मेरे सभी पापों को धो दें। आप मुझे सभी प्रकार की सिद्धियों को प्रदान करें।

आप मुझे मोक्ष प्रदान करें। मैं हमेशा आपकी शरण में रहूंगा।"

वीरेशस्तुतिह - 2 का पाठ इस प्रकार है:

ॐ नमो भगवते शिवाय वीरेशाय वीरवराय शौर्याधिपतये

रणेषु विजयदात्रे वीररक्षकाय सत्यरक्षणाय न्यायस्वरूपाय

सर्वप्राणिहिताय शरणागतवत्सलाय

मम सर्वपापक्षयं कुरु मम सर्वसिद्धिप्रदाय कुरु मम मोक्षप्रदाय कुरु

शरणं गत्वा त्वयि शिव सदा त्वयि रमिष्यामि

वीरेशस्तुतिह - 2 का जाप करने से कई लाभ हो सकते हैं, जिनमें शामिल हैं:

  • सभी प्रकार के भय और परेशानियों से मुक्ति
  • सभी प्रकार के पापों से मुक्ति
  • सभी प्रकार की सिद्धियों को प्राप्त करना
  • मोक्ष की प्राप्ति

वीरेशस्तुतिह - 2 का जाप करते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए:

  • स्तोत्र का जाप एक पवित्र स्थान पर करें।
  • स्तोत्र का जाप करते समय शुद्ध रहें।
  • स्तोत्र का जाप एकाग्रचित होकर करें।

वीरेशस्तुतिह - 2 का जाप करने के लिए निम्नलिखित विधि का पालन करें:

Veereshwar Stutih - 2

  1. एक आरामदायक स्थिति में बैठ जाएं।
  2. भगवान शिव की मूर्ति या तस्वीर के सामने बैठें।
  3. स्तोत्र का जाप शुरू करें।
  4. स्तोत्र का जाप 108 बार या अपनी सुविधानुसार करें।
  5. स्तोत्र का जाप करने के बाद, भगवान शिव को धन्यवाद दें।

वीरेशस्तुतिह - 2 का जाप करने से पहले किसी योग्य गुरु से मंत्र दीक्षा प्राप्त करना उचित है।

वीरेशस्तुतिह - 2 का कुछ भाग हिंदी में अनुवादित इस प्रकार है:

"हे भगवान शिव, आप वीरों के स्वामी हैं। आप ही वीरों को शक्ति और साहस प्रदान करते हैं। आप ही युद्ध में विजय प्रदान करते हैं। आप ही वीरों की रक्षा करते हैं।

आप ही सत्य के रक्षक हैं। आप ही न्याय के प्रतीक हैं। आप ही समस्त प्राणियों के कल्याण के लिए कार्य करते हैं।

मैं आपका शरणागत हूं। मैं आपकी शरण में आकर आपसे प्रार्थना करता हूं कि आप मुझे सभी प्रकार के कष्टों से मुक्त करें। आप मेरे सभी पापों को धो दें। आप मुझे सभी प्रकार की सिद्धियों को प्रदान करें। आप मुझे मोक्ष प्रदान करें। मैं हमेशा आपकी शरण में रहूंगा।"

यह स्तोत्र भगवान शिव की महिमा का वर्णन करता है और उनकी कृपा पाने के लिए प्रार्थना करता है। यह स्तोत्र सभी भक्तों के लिए लाभदायक है।

वेदान्तपरभागवतं vedaantaprabhaagavatan


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