• Version
  • Download 67
  • File Size 0.00 KB
  • File Count 1
  • Create Date November 18, 2023
  • Last Updated July 29, 2024

Sribatukabhairavaparadhakshamapanastotram

श्रीबटुकभैरवपरदक्षक्षमपनस्तोत्रम् एक संस्कृत स्तोत्र है जो भगवान बटुकभैरव को समर्पित है। यह स्तोत्र भगवान बटुकभैरव से अपने सभी पापों और दोषों को क्षमा करने की प्रार्थना करता है।

स्तोत्र इस प्रकार है:

नमो बटुकभैरवाय सर्वपापनाशनाय। सर्वकल्मशकलुषक्षयकारकाय च॥

सर्वदुष्टग्रहनिवारणाय च। सर्वशत्रुक्षयकारकाय च॥

सर्वरोगनिवारणाय च। सर्वसुखप्रदायकाय च॥

सर्वविद्याप्रदायकाय च। सर्वसिद्धिप्रदायकाय च॥

सर्वकामप्रदायकाय च। सर्वविघ्ननिवारणाय च॥

सर्वपापक्षयकारकाय च। सर्वशुभफलप्रदायकाय च॥

इति श्रीबटुकभैरवपरदक्षक्षमपनस्तोत्रम्॥

इस स्तोत्र का पाठ करने से भगवान बटुकभैरव प्रसन्न होते हैं और भक्त के सभी पापों और दोषों को क्षमा कर देते हैं। भक्त को सभी प्रकार के सुख, समृद्धि और सिद्धि प्राप्त होती है।

यहां स्तोत्र के प्रत्येक श्लोक का अर्थ दिया गया है:

Sribatukabhairavaparadhakshamapanastotram

  • श्लोक 1: मैं बटुकभैरव को नमस्कार करता हूं, जो सभी पापों को नष्ट करते हैं।
  • श्लोक 2: मैं बटुकभैरव को नमस्कार करता हूं, जो सभी प्रकार के पाप और दोषों को नष्ट करते हैं।
  • श्लोक 3: मैं बटुकभैरव को नमस्कार करता हूं, जो सभी बुरे ग्रहों को दूर करते हैं।
  • श्लोक 4: मैं बटुकभैरव को नमस्कार करता हूं, जो सभी शत्रुओं का नाश करते हैं।
  • श्लोक 5: मैं बटुकभैरव को नमस्कार करता हूं, जो सभी रोगों को दूर करते हैं।
  • श्लोक 6: मैं बटुकभैरव को नमस्कार करता हूं, जो सभी सुखों को प्रदान करते हैं।
  • श्लोक 7: मैं बटुकभैरव को नमस्कार करता हूं, जो सभी विद्याओं को प्रदान करते हैं।
  • श्लोक 8: मैं बटुकभैरव को नमस्कार करता हूं, जो सभी सिद्धियों को प्रदान करते हैं।
  • श्लोक 9: मैं बटुकभैरव को नमस्कार करता हूं, जो सभी कामनाओं को पूर्ण करते हैं।
  • श्लोक 10: मैं बटुकभैरव को नमस्कार करता हूं, जो सभी विघ्नों को दूर करते हैं।
  • श्लोक 11: मैं बटुकभैरव को नमस्कार करता हूं, जो सभी पापों को नष्ट करते हैं।
  • श्लोक 12: मैं बटुकभैरव को नमस्कार करता हूं, जो सभी शुभ फलों को प्रदान करते हैं।

इस स्तोत्र का पाठ करने के लिए, भक्त को एक शांत और पवित्र स्थान पर बैठना चाहिए। भक्त को अपने मन को शांत करना चाहिए और भगवान बटुकभैरव पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। भक्त को स्तोत्र को ध्यानपूर्वक और स्पष्ट रूप से पढ़ना चाहिए। स्तोत्र को कम से कम 11 बार पढ़ना चाहिए।

भक्त को इस स्तोत्र का पाठ नियमित रूप से करना चाहिए। इससे भक्त के जीवन में सभी प्रकार के सुख, समृद्धि और सिद्धि प्राप्त होती है।

श्रीबाणाष्टकम् Sribanashtakam


Download

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *