• Version
  • Download 121
  • File Size 0.00 KB
  • File Count 1
  • Create Date November 17, 2023
  • Last Updated November 17, 2023

शचीसुतष्टकम् एक संस्कृत स्तोत्र है, जिसे आदि शंकराचार्य द्वारा रचित माना जाता है। यह स्तोत्र भगवान शंकर के पुत्र कार्तिकेय की स्तुति करता है।

शचीसुतष्टकम् के छंद निम्नलिखित हैं:

Shachisutashtakam

  1. शचीसुतष्टकम्

  2. नमस्ते कार्तिकेयाय हे कार्तिकेय को नमस्कार है।

  3. वरदे वारुणे पुत्रे हे वरदान देने वाले, हे वारुणी के पुत्र।

  4. सर्वेश्वराय शंकरात्मने हे सर्वेश्वर, हे शंकर के आत्मा।

  5. भगवते त्रिलोकनाथाय हे भगवान, हे त्रिलोक के स्वामी।

  6. नमस्ते षडाननयते हे षडानन, हे छह मुख वाले।

  7. नमस्ते त्रिशूलधारिणे हे त्रिशूलधारी, हे त्रिशूल धारण करने वाले।

  8. नमस्ते स्कन्दरूपिणे हे स्कन्द रूपी, हे कार्तिकेय रूपी।

शचीसुतष्टकम् का अर्थ निम्नलिखित है:

  1. हे कार्तिकेय को नमस्कार है।

  2. हे वरदान देने वाले, हे वारुणी के पुत्र।

  3. हे सर्वेश्वर, हे शंकर के आत्मा।

  4. हे भगवान, हे त्रिलोक के स्वामी।

  5. हे षडानन, हे छह मुख वाले।

  6. हे त्रिशूलधारी, हे त्रिशूल धारण करने वाले।

  7. हे स्कन्द रूपी, हे कार्तिकेय रूपी।

शचीसुतष्टकम् एक बहुत ही सुंदर और भावपूर्ण स्तोत्र है। यह स्तोत्र भगवान कार्तिकेय की सभी लीलाओं और गुणों की स्तुति करता है। यह स्तोत्र भगवान कार्तिकेय के भक्तों के बीच बहुत लोकप्रिय है।

इस स्तोत्र का पाठ करने से भक्तों को निम्नलिखित लाभ प्राप्त होते हैं:

  • भगवान कार्तिकेय की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त होता है।
  • भक्ति में वृद्धि होती है।
  • मन शांत और प्रसन्न होता है।
  • दुख और कष्ट दूर होते हैं।
  • सुख और समृद्धि प्राप्त होती है।

शचीसुतष्टकम् के छंदों में भगवान कार्तिकेय के विभिन्न नामों का उल्लेख किया गया है। ये नाम उनके विभिन्न गुणों और शक्तियों को दर्शाते हैं।

  • नमस्ते कार्तिकेयाय - यह नाम कार्तिकेय के पिता शिव के साथ उनके संबंध को दर्शाता है।
  • वरदे वारुणे पुत्रे - यह नाम कार्तिकेय के माता वारुणी के साथ उनके संबंध को दर्शाता है।
  • सर्वेश्वराय शंकरात्मने - यह नाम कार्तिकेय की सर्वेश्वरता और शंकर के आत्मा होने को दर्शाता है।
  • भगवते त्रिलोकनाथाय - यह नाम कार्तिकेय की त्रिलोकनाथ होने को दर्शाता है।
  • नमस्ते षडाननयते - यह नाम कार्तिकेय के छह मुखों को दर्शाता है।
  • नमस्ते त्रिशूलधारिणे - यह नाम कार्तिकेय के त्रिशूल को दर्शाता है।
  • नमस्ते स्कन्दरूपिणे - यह नाम कार्तिकेय के स्कन्द रूप को दर्शाता है।

शचीसुतष्टकम् एक शक्तिशाली स्तोत्र है जो भगवान कार्तिकेय की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करने में मदद कर सकता है।


Download

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *