• Version
  • Download 205
  • File Size 0.00 KB
  • File Count 1
  • Create Date November 16, 2023
  • Last Updated November 16, 2023

Chatushshashtyashtakam

चतुःशष्‍टयष्टकम् एक संस्कृत स्तोत्र है जो भगवान विष्णु की स्तुति करता है। यह स्तोत्र 64 छंदों में विभाजित है, और प्रत्येक छंद में भगवान विष्णु के एक अलग गुण या रूप की स्तुति की जाती है।

स्तोत्र की शुरुआत में, भक्त भगवान विष्णु को नमस्कार करते हैं और उनकी कृपा प्राप्त करने की याचना करते हैं। फिर, वे भगवान विष्णु के विभिन्न रूपों की स्तुति करते हैं। वे बताते हैं कि कैसे भगवान विष्णु ब्रह्मांड के सृष्टा, संहारक और संरक्षक हैं। वे बताते हैं कि कैसे भगवान विष्णु भक्तों के लिए एक दयालु और करुणामयी देवता हैं।

स्तोत्र की समाप्ति में, भक्त भगवान विष्णु से प्रार्थना करते हैं कि वे उन्हें सभी प्रकार के कष्टों से मुक्त करें और उन्हें मोक्ष प्राप्त करने में मदद करें।

चतुःशष्‍टयष्टकम् एक महत्वपूर्ण स्तोत्र है जो हिंदू धर्म में भगवान विष्णु की भक्ति का एक महत्वपूर्ण उदाहरण है।

स्तोत्र के कुछ प्रमुख बिंदु निम्नलिखित हैं:

  • भगवान विष्णु ब्रह्मांड के सृष्टा, संहारक और संरक्षक हैं।
  • भगवान विष्णु भक्तों के लिए एक दयालु और करुणामयी देवता हैं।
  • भगवान विष्णु सभी प्रकार के कष्टों से मुक्त कर सकते हैं।

चतुःशष्‍टयष्टकम् का पाठ करने से आपको निम्नलिखित लाभ हो सकते हैं:

  • आपको भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त हो सकती है।
  • आपको मानसिक शांति और सुख प्राप्त हो सकता है।
  • आपको सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति प्राप्त हो सकती है।

Chatushshashtyashtakam

चतुःशष्‍टयष्टकम् का पाठ करने के लिए, आप एक साफ और शांत जगह पर बैठ सकते हैं। अपने सामने एक दीपक जलाकर भगवान विष्णु की तस्वीर या मूर्ति रख सकते हैं। फिर, स्तोत्र का पाठ कर सकते हैं, प्रत्येक पंक्ति के अर्थ को समझने का प्रयास कर सकते हैं। स्तोत्र का पाठ कम से कम 108 बार करना चाहिए।

चतुःशष्‍टयष्टकम् का हिंदी अनुवाद निम्नलिखित है:

प्रथम श्लोक

हे भगवान विष्णु, आप सभी देवताओं के स्वामी हैं। आप ब्रह्मांड के सृष्टा, संहारक और संरक्षक हैं। आप भक्तों के लिए एक दयालु और करुणामयी देवता हैं। मैं आपकी शरण में आया हूं। कृपया मुझे अपनी कृपा प्रदान करें।

द्वितीय श्लोक

हे भगवान विष्णु, आप अजर, अमर और अविनाशी हैं। आप सभी प्रकार की शक्तियों के स्वामी हैं। आप भक्तों के लिए एक शरणस्थली हैं। मैं आपकी शरण में आया हूं। कृपया मुझे अपनी कृपा प्रदान करें।

तृतीय श्लोक

हे भगवान विष्णु, आप सभी प्रकार के पापों से मुक्त कर सकते हैं। आप भक्तों को सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति प्रदान कर सकते हैं। मैं आपकी शरण में आया हूं। कृपया मुझे अपनी कृपा प्रदान करें।

चतुर्थ श्लोक

हे भगवान विष्णु, आप सभी प्रकार के ज्ञान के स्वामी हैं। आप भक्तों को ज्ञान और विवेक प्रदान कर सकते हैं। मैं आपकी शरण में आया हूं। कृपया मुझे अपनी कृपा प्रदान करें।

इत्यादि

चतुःशष्‍टयष्टकम् एक लंबा स्तोत्र है, लेकिन यह एक बहुत ही शक्तिशाली स्तोत्र है। इस स्तोत्र का पाठ नियमित रूप से करने से आपको भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त हो सकती है।

चित्रमालामन्त्रम् Chitramalamantram


Download

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *