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  • Create Date November 14, 2023
  • Last Updated November 14, 2023

श्रीकृष्णाद्वादाशशतनामावली एक संस्कृत स्तोत्र है जो भगवान कृष्ण के बारह नामों की स्तुति करता है। यह स्तोत्र संत रैदास द्वारा रचित है, जो एक विख्यात कृष्ण भक्त थे।

श्रीकृष्णाद्वादाशशतनामावली की कुछ पंक्तियाँ निम्नलिखित हैं:

shreekrshnaadavaadashamanjaree

श्रीकृष्णाद्वादाशशतनामावली

कृष्ण, गोविन्द, माधव, मुरलीधर, राधेश्याम, वंशीवल्लभ, श्यामसुंदर, नन्दलाल, यशोदानंदन, वासुदेव, अर्जुन प्रिय, जगन्नाथ, देवकी नन्दन,

हे कृष्ण, तुम्हें मेरा नमस्कार है। हे गोविन्द, तुम्हें मेरा नमस्कार है। हे माधव, तुम्हें मेरा नमस्कार है। हे मुरलीधर, तुम्हें मेरा नमस्कार है।

हे राधेश्याम, तुम्हें मेरा नमस्कार है। हे वंशीवल्लभ, तुम्हें मेरा नमस्कार है। हे श्यामसुंदर, तुम्हें मेरा नमस्कार है। हे नन्दलाल, तुम्हें मेरा नमस्कार है।

हे यशोदानंदन, तुम्हें मेरा नमस्कार है। हे वासुदेव, तुम्हें मेरा नमस्कार है। हे अर्जुन प्रिय, तुम्हें मेरा नमस्कार है। हे जगन्नाथ, तुम्हें मेरा नमस्कार है।

हे देवकी नन्दन, तुम्हें मेरा नमस्कार है।

श्रीकृष्णाद्वादाशशतनामावली का पाठ करने से भगवान कृष्ण की कृपा प्राप्त होती है। यह स्तोत्र अपने भक्तों को सभी पापों से मुक्त करता है।

श्रीकृष्णाद्वादाशशतनामावली के पाठ के लाभ निम्नलिखित हैं:

  • यह स्तोत्र भगवान कृष्ण की कृपा प्राप्त करने में मदद करता है।
  • यह स्तोत्र सभी पापों से मुक्त करने में मदद करता है।
  • यह स्तोत्र मन को शांत करने और शांति प्रदान करने में मदद करता है।
  • यह स्तोत्र ज्ञान और बुद्धि प्रदान करने में मदद करता है।

श्रीकृष्णाद्वादाशशतनामावली का पाठ करने के लिए, आप इसे किसी भी समय और किसी भी स्थान पर कर सकते हैं। आप इसे ज़ोर से या मन में पढ़ सकते हैं। आप इसे एक निश्चित संख्या में बार भी पढ़ सकते हैं, जैसे कि 108 या 1008 बार।

यदि आप भगवान कृष्ण के भक्त हैं, तो श्रीकृष्णाद्वादाशशतनामावली का पाठ करना एक अच्छा तरीका है। यह स्तोत्र आपको भगवान कृष्ण की कृपा प्राप्त करने और अपने जीवन में शांति और समृद्धि प्राप्त करने में मदद कर सकता है।

श्रीकृष्णाद्वादाशशतनामावली का पाठ करने का एक तरीका निम्नलिखित है:

  1. सबसे पहले, एक शुद्ध स्थान पर बैठें।
  2. अपने हाथों को जोड़ें और भगवान कृष्ण को प्रणाम करें।
  3. श्रीकृष्णाद्वादाशशतनामावली का पाठ शुरू करें।
  4. प्रत्येक नाम का जाप करते समय, भगवान कृष्ण की छवि अपने मन में रखें।
  5. स्तोत्र का पाठ पूरा होने पर, भगवान कृष्ण को धन्यवाद दें।

आप श्रीकृष्णाद्वादाशशतनामावली का पाठ किसी भी समय कर सकते हैं, लेकिन सुबह और शाम का समय इसके लिए सबसे अच्छा माना जाता है।


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