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- Create Date November 10, 2023
- Last Updated July 29, 2024
Agastyaproktan paapashamanan naam harishkarastotram
अगस्त्यप्रोक्ता पापशामन नाम हरिश्चंद्रस्तोत्रम् एक संस्कृत स्तोत्र है जो ऋषि अगस्त्य द्वारा रचित है। यह स्तोत्र हरिश्चंद्र के पवित्र जीवन और पापों से मुक्ति की महिमा का वर्णन करता है।
स्तोत्र का हिंदी अनुवाद:
श्लोक 1
स्तोत्रकार कहते हैं, "मैं अगस्त्यप्रोक्ता पापशामन नाम हरिश्चंद्रस्तोत्र का पाठ करता हूं।"
श्लोक 2
"हरिश्चंद्र एक महान राजा थे। वे सत्य और धर्म के लिए जाने जाते थे।"
श्लोक 3
"हरिश्चंद्र ने अपने पुत्र रोहिताश्व को दान में दे दिया था।"
श्लोक 4
"हरिश्चंद्र ने अपने पिता के लिए एक कठिन परीक्षा दी थी।"
श्लोक 5
"हरिश्चंद्र ने अपनी पत्नी तारा को भी दान में दे दिया था।"
श्लोक 6
"हरिश्चंद्र ने अपने सत्य और धर्म के लिए सभी कष्ट सहे।"
श्लोक 7
"हरिश्चंद्र के सत्य और धर्म से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने उन्हें वरदान दिया।"
श्लोक 8
"हरिश्चंद्र को सभी पापों से मुक्ति मिल गई।"
श्लोक 9
"हरिश्चंद्र को अपना पुत्र, पत्नी और राज्य वापस मिल गया।"
श्लोक 10
"हरिश्चंद्र ने एक पवित्र जीवन जिया।"
Agastyaproktan paapashamanan naam harishkarastotram
श्लोक 11
"हरिश्चंद्र के जीवन से हमें प्रेरणा मिलती है कि हमें सत्य और धर्म के लिए कठिनाइयों का सामना करने से नहीं डरना चाहिए।"
श्लोक 12
"हरिश्चंद्र के जीवन से हमें यह भी प्रेरणा मिलती है कि हमें अपने पापों से मुक्ति के लिए भगवान विष्णु की शरण लेनी चाहिए।"
अगस्त्यप्रोक्ता पापशामन नाम हरिश्चंद्रस्तोत्रम् एक महत्वपूर्ण धार्मिक पाठ है जो हरिश्चंद्र के पवित्र जीवन और पापों से मुक्ति की महिमा का वर्णन करता है। यह स्तोत्र हरिश्चंद्र के भक्तों के बीच लोकप्रिय है।
स्तोत्र के कुछ महत्वपूर्ण लाभ निम्नलिखित हैं:
- हरिश्चंद्र के पवित्र जीवन के बारे में जानने में मदद मिलती है।
- पापों से मुक्ति प्राप्त करने में मदद मिलती है।
- सत्य और धर्म के लिए कठिनाइयों का सामना करने की प्रेरणा मिलती है।
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