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  • Create Date November 10, 2023
  • Last Updated November 10, 2023

इन्द्रकृत श्रीकृष्णस्तुति एक संस्कृत स्तोत्र है जो भगवान कृष्ण की महिमा का वर्णन करता है। यह स्तोत्र 14 श्लोकों में रचित है।

इन्द्रकृत श्रीकृष्णस्तुति की रचना 16वीं शताब्दी के कवि कृष्णदास कविराय ने की थी। यह स्तोत्र "श्रीकृष्णस्तुति" के नाम से भी जाना जाता है।

इन्द्रकृत श्रीकृष्णस्तुति के कुछ महत्वपूर्ण श्लोक इस प्रकार हैं:

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  • श्लोक 1:

नमो नमो गोविन्द! नमो नमो गोपनाथ! नमो नमो नन्दनन्दन! नमो नमो कृष्ण!

  • अनुवाद:

हे गोविन्द! हे गोपनाथ! हे नन्दनन्दन! हे कृष्ण! आपको बार-बार नमस्कार।

  • श्लोक 14:

इन्द्रकृतं स्तोत्रं पठित्वा यः भक्त्या मनसा नित्यम् तस्य सर्वे मनोरथाः सिद्धिं प्राप्नुवन्ति ध्रुवम् ॥

  • अनुवाद:

जो भक्त इस इन्द्रकृत स्तोत्र का नित्य मन से भक्तिपूर्वक पाठ करता है, उसके सभी मनोरथ अवश्य ही सिद्ध होते हैं।

इन्द्रकृत श्रीकृष्णस्तुति एक सुंदर और भावपूर्ण स्तोत्र है जो भगवान कृष्ण की महिमा का वर्णन करता है। यह स्तोत्र भक्तों को भगवान कृष्ण के प्रति भक्ति उत्पन्न करता है।

इन्द्रकृत श्रीकृष्णस्तुति का पाठ करने से भगवान कृष्ण की कृपा प्राप्त होती है। यह स्तोत्र भक्तों को भगवान कृष्ण के प्रति भक्ति उत्पन्न करता है और उन्हें भगवान कृष्ण के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करता है।

इन्द्रकृत श्रीकृष्णस्तुति के कुछ महत्वपूर्ण तथ्य इस प्रकार हैं:

  • यह स्तोत्र 16वीं शताब्दी के कवि कृष्णदास कविराय द्वारा रचित है।
  • यह स्तोत्र 14 श्लोकों में रचित है।
  • यह स्तोत्र भगवान कृष्ण की महिमा का वर्णन करता है।
  • यह स्तोत्र भक्तों को भगवान कृष्ण के प्रति भक्ति उत्पन्न करता है।

इन्द्रकृत श्रीकृष्णस्तुति का पाठ आमतौर पर भगवान कृष्ण के जन्मदिन या जन्माष्टमी के अवसर पर किया जाता है। यह स्तोत्र भगवान कृष्ण की महिमा का गुणगान करता है और भक्तों को उनके मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करता है।

इन्द्रकृत श्रीकृष्णस्तुति के पाठ के लाभ:

  • भगवान कृष्ण की कृपा प्राप्त होती है।
  • मोक्ष प्राप्त होता है।
  • सभी पापकर्मों से मुक्ति मिलती है।
  • भक्तों को भगवान कृष्ण के प्रति भक्ति उत्पन्न होती है।
  • भक्तों को भगवान कृष्ण के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित मिलता है।

इन्द्रकृत श्रीकृष्णस्तुति का पाठ करने की विधि:

  • एकांत स्थान में बैठें।
  • अपने हाथों को जोड़ें और भगवान कृष्ण का ध्यान करें।
  • स्तोत्र का पाठ करें।
  • स्तोत्र का पाठ करते समय भगवान कृष्ण के प्रति अपनी श्रद्धा और भक्ति व्यक्त करें।

इन्द्रकृत श्रीकृष्णस्तुति का पाठ करने से भक्तों को भगवान कृष्ण की कृपा प्राप्त होती है और वे उनके मार्ग पर चलकर मोक्ष प्राप्त कर सकते हैं।

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