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  • Create Date November 10, 2023
  • Last Updated November 10, 2023

ब्राह्मण कृत श्रीकृष्णस्तुति एक संस्कृत स्तोत्र है जो भगवान कृष्ण की महिमा का वर्णन करता है। यह स्तोत्र 24 श्लोकों में रचित है।

ब्राह्मण कृत श्रीकृष्णस्तुति की रचना 14वीं शताब्दी के कवि ब्रह्मानन्दाचार्य ने की थी। यह स्तोत्र "श्रीकृष्णस्तुति" के नाम से भी जाना जाता है।

ब्राह्मण कृत श्रीकृष्णस्तुति के कुछ महत्वपूर्ण श्लोक इस प्रकार हैं:

braahman krta shreekrshnastutih

  • श्लोक 1:

सृजद्रक्षत्संहरद्यद्विश्वमात्मनि मायया । तद्ब्रह्म दद्याद्ब्रह्मास्मीत्यनुभूतिमयीं धियम् ॥

  • अनुवाद:

जो ब्रह्मांड को अपने माया से सृजित, रक्षित और संहार करता है, वह ब्रह्म मुझे ब्रह्म होने का अनुभव दे।

  • श्लोक 2:

अनादिमाद्यं पुरुषोत्तमोत्तमं श्रीकृष्णचन्द्रं निजभक्तवत्सलम् । स्वयं त्वसङ्ख्याण्डपतिं परात्परं राधापतिं त्वां शरणं व्रजाम्यहम् ॥

  • अनुवाद:

अनंत काल से विद्यमान, पुरुषोत्तम, सर्वश्रेष्ठ, अपने भक्तों पर प्रेम करने वाले श्रीकृष्णचंद्र, स्वयं समस्त ब्रह्मांड के स्वामी, परात्पर, राधा के पति, मैं आपको शरण में लेता हूं।

  • श्लोक 24:

यः पठेद्यो स्तोत्रं सदा प्रीत्या कृष्णप्रसादां भजते निष्कंटकम् । तस्य सर्वे मनोरथाः सिध्यंति यमलोकं नैव गच्छति सः ॥

  • अनुवाद:

जो इस स्तुति का सदैव प्रेम से पाठ करता है, वह कृष्ण की कृपा से बिना किसी बाधा के भजता है। उसके सभी मनोरथ सिद्ध होते हैं, और वह यमलोक में नहीं जाता है।

ब्राह्मण कृत श्रीकृष्णस्तुति एक सुंदर और भावपूर्ण स्तोत्र है जो भगवान कृष्ण की महिमा को दर्शाता है। यह स्तोत्र भक्तों को भगवान कृष्ण में भक्ति उत्पन्न करता है।

ब्राह्मण कृत श्रीकृष्णस्तुति का पाठ करने से भगवान कृष्ण की कृपा प्राप्त होती है। यह स्तोत्र भक्तों को भगवान कृष्ण के प्रति भक्ति उत्पन्न करता है और उन्हें भगवान कृष्ण के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करता है।

ब्राह्मण कृत श्रीकृष्णस्तुति के कुछ महत्वपूर्ण तथ्य इस प्रकार हैं:

  • यह स्तोत्र 14वीं शताब्दी के कवि ब्रह्मानन्दाचार्य द्वारा रचित है।
  • यह स्तोत्र 24 श्लोकों में रचित है।
  • यह स्तोत्र भगवान कृष्ण की महिमा का वर्णन करता है।
  • यह स्तोत्र भक्तों को भगवान कृष्ण में भक्ति उत्पन्न करता है।

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