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  • Create Date November 9, 2023
  • Last Updated November 9, 2023

Shivastavah 5

शिवस्थावः ५ एक संस्कृत स्तोत्र है जो भगवान शिव की स्तुति करता है। यह स्तोत्र 12वीं शताब्दी के तमिल कवि मणीक्कवासिगर द्वारा लिखा गया था। स्तोत्र में, मणीक्कवासिगर शिव की महिमा का वर्णन करते हैं, और उन्हें "शिवस्थावः" के रूप में वर्णित करते हैं।

शिवस्थावः का अर्थ है "शिव का निवास स्थान"। इस स्तोत्र में, मणीक्कवासिगर शिव को ब्रह्मांड के सभी स्थानों में रहने वाले के रूप में वर्णित करते हैं। वे शिव को ब्रह्मांड के सृष्टिकर्ता, संहारकर्ता और पालनकर्ता के रूप में भी वर्णित करते हैं।

शिवस्थावः को अक्सर शिव की पूजा के दौरान गाया जाता है। यह स्तोत्र शिव के भक्तों के बीच बहुत लोकप्रिय है।

स्तोत्र के कुछ प्रमुख अंश इस प्रकार हैं:

  • "ओ शिव, तुम ब्रह्मांड के सभी स्थानों में निवास करते हो। तुम ब्रह्मांड के सृष्टिकर्ता हो, तुम संहारकर्ता हो, तुम पालनकर्ता हो।"
  • "तुम ज्ञान का स्रोत हो, तुम प्रेम का स्रोत हो, तुम आनंद का स्रोत हो।"
  • "तुम भक्तों के रक्षक हो, तुम मोक्ष का मार्गदर्शक हो।"

शिवस्थावः एक शक्तिशाली और भावपूर्ण स्तोत्र है जो शिव की महिमा का वर्णन करता है। यह स्तोत्र शिव के भक्तों के लिए एक प्रेरणा है।

स्तोत्र का एक अंग्रेजी अनुवाद निम्नलिखित है:

शिवस्तवः 5 एक संस्कृत भजन है जो भगवान शिव की स्तुति करता है। इसे 12वीं सदी के तमिल कवि मणिकावाचकर ने लिखा था। स्तोत्र में मणिकावाचकर ने शिव की महिमा का वर्णन करते हुए उन्हें "शिवस्तवः" कहा है।

शिवस्तवः का अर्थ है "शिव का निवास"। इस भजन में, मणिकवाचकर ने शिव को ब्रह्मांड के सभी स्थानों में निवास करने वाला बताया है। उन्होंने शिव को ब्रह्मांड का निर्माता, संहारक और पालनकर्ता भी बताया है।

शिव की पूजा के दौरान अक्सर शिवस्तवः गाया जाता है। यह शिव भक्तों के बीच बहुत लोकप्रिय भजन है।

भजन के कुछ प्रमुख अंश इस प्रकार हैं:

shivastavah 5

"हे शिव, आप ब्रह्मांड में सभी स्थानों पर निवास करते हैं। आप ब्रह्मांड के निर्माता हैं, आप संहारक हैं, आप पालनकर्ता हैं।"
"आप ज्ञान का स्रोत हैं, आप प्रेम का स्रोत हैं, आप आनंद का स्रोत हैं।"
"आप भक्तों के रक्षक हैं, आप मुक्ति के मार्गदर्शक हैं।"

शिवस्तवः एक शक्तिशाली और मार्मिक भजन है जो शिव की महिमा का वर्णन करता है। यह शिवभक्तों के लिए प्रेरणा है।

शिवस्थावः ५ के कुछ विशेष तत्व इस प्रकार हैं:

  • स्तोत्र में, शिव को "ब्रह्ांड के सभी स्थानों में निवास करने वाले" के रूप में वर्णित किया गया है।
  • स्तोत्र में, शिव को सृष्टि के सृजनकर्ता, संहारकर्ता और पालनकर्ता के रूप में वर्णित किया गया है।
  • स्तोत्र में, शिव को ज्ञान, प्रेम और आनंद के स्रोत के रूप में वर्णित किया गया है।
  • स्तोत्र में, शिव को भक्तों के रक्षक और मोक्ष के मार्गदर्शक के रूप में वर्णित किया गया है।

शिवस्थावः एक महत्वपूर्ण स्तोत्र है जो शिव की महिमा का वर्णन करता है। यह स्तोत्र शिव के भक्तों के लिए एक प्रेरणा है।

शिवस्तुतिः Shivastuti:


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