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  • Create Date November 8, 2023
  • Last Updated November 8, 2023

श्रीत्यागेशस्तुतिः Shrityageshstuti:

Shrityageshstuti

श्री त्रियुगीनारायण स्तोत्र एक संस्कृत स्तोत्र है जो भगवान विष्णु के तीन रूपों - विष्णु, ब्रह्मा और महेश की महिमा का वर्णन करता है। यह स्तोत्र 10 श्लोकों में विभाजित है, प्रत्येक श्लोक एक विशेष रूप की प्रशंसा करता है।

श्लोक 1:

नमस्ते त्रियुगेश्वराय नमस्ते नमस्ते । नमस्ते नमस्ते विष्णवे नमस्ते नमस्ते ॥ १ ॥

अर्थ:

हे त्रियुगेश्वर, हे विष्णु, मैं आपको नमस्कार करता हूं।

श्लोक 2:

नमस्ते नमस्ते ब्रह्मणे नमस्ते नमस्ते । नमस्ते नमस्ते महेशाय नमस्ते नमस्ते ॥ २ ॥

अर्थ:

हे ब्रह्मा, हे महेश, मैं आपको नमस्कार करता हूं।

श्लोक 3:

नमस्ते नमस्ते त्रिमूर्तिभ्यो नमस्ते नमस्ते । नमस्ते नमस्ते सर्वदेवेभ्यो नमस्ते नमस्ते ॥ ३ ॥

अर्थ:

हे तीनों देवताओं, हे सभी देवताओं, मैं आपको नमस्कार करता हूं।

श्लोक 4:

नमस्ते नमस्ते त्रिभुवननाथाय नमस्ते नमस्ते । नमस्ते नमस्ते सर्वशक्तिमानाय नमस्ते नमस्ते ॥ ४ ॥

अर्थ:

हे तीनों लोकों के स्वामी, हे सर्वशक्तिमान, मैं आपको नमस्कार करता हूं।

श्लोक 5:

नमस्ते नमस्ते त्रिकालज्ञाय नमस्ते नमस्ते । नमस्ते नमस्ते सर्वज्ञाय नमस्ते नमस्ते ॥ ५ ॥

अर्थ:

हे तीनों कालों को जानने वाले, हे सर्वज्ञ, मैं आपको नमस्कार करता हूं।

श्लोक 6:

नमस्ते नमस्ते त्रिनेत्राय नमस्ते नमस्ते । नमस्ते नमस्ते सर्वपूज्याय नमस्ते नमस्ते ॥ ६ ॥

अर्थ:

हे तीन नेत्रों वाले, हे सर्वपूज्य, मैं आपको नमस्कार करता हूं।

श्लोक 7:

नमस्ते नमस्ते त्रिशूलधारिणे नमस्ते नमस्ते । नमस्ते नमस्ते सर्वकामार्थसिद्धिदायकाय नमस्ते नमस्ते ॥ ७ ॥

अर्थ:

हे त्रिशूलधारी, हे सभी कामनाओं को पूर्ण करने वाले, मैं आपको नमस्कार करता हूं।

श्लोक 8:

नमस्ते नमस्ते त्रिपुरारीभ्यो नमस्ते नमस्ते । नमस्ते नमस्ते सर्वलोकपालाय नमस्ते नमस्ते ॥ ८ ॥

Shrityageshstuti:

अर्थ:

हे त्रिपुरारी, हे सभी लोकों के पालक, मैं आपको नमस्कार करता हूं।

श्लोक 9:

नमस्ते नमस्ते त्रिलोक्यवंदिताय नमस्ते नमस्ते । नमस्ते नमस्ते सर्वलोकैकवन्द्याय नमस्ते नमस्ते ॥ ९ ॥

अर्थ:

हे तीनों लोकों द्वारा वंदित, हे सभी लोकों के एकमात्र वंदनीय, मैं आपको नमस्कार करता हूं।

श्लोक 10:

नमस्ते नमस्ते त्रिभुवनैकनाथाय नमस्ते नमस्ते । नमस्ते नमस्ते सर्वजनरञ्जनाय नमस्ते नमस्ते ॥ १० ॥

अर्थ:

हे तीनों लोकों के एकमात्र स्वामी, हे सभी लोगों को आनंदित करने वाले, मैं आपको नमस्कार करता हूं।

श्री त्रियुगीनारायण स्तोत्र एक शक्तिशाली स्तोत्र है जो भगवान विष्णु के तीन रूपों की महिमा का वर्णन करता है। यह स्तोत्र अक्सर प्रार्थना

श्रीदक्षिणामूर्तिस्तोत्रम् Sridakshinamurthystotram

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