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  • Create Date November 8, 2023
  • Last Updated November 8, 2023

Srimadanadisiddhalingastavanam

श्रीमदनादिसिद्धलिंगस्तवनम् एक संस्कृत स्तोत्र है जो भगवान शिव की महिमा का वर्णन करता है। यह स्तोत्र 8 श्लोकों में विभाजित है, प्रत्येक श्लोक भगवान शिव के एक विशेष गुण या स्वरूप की प्रशंसा करता है।

स्तोत्र का प्रारंभिक श्लोक भगवान शिव की महिमा का वर्णन करता है:

नमोस्तु नादिसिद्धलिंगाय । त्रिलोचनाय त्रिगुणात्मने । सर्वलोकनाथाय शंभवे । सर्वपापहरणाय नमः ॥ १ ॥

अर्थ:

हे आदिसिद्धलिंग, हे त्रिलोचन, हे त्रिगुणात्म, हे सर्वलोकनाथ, हे शंभु, हे सर्वपापहर्ता, मैं आपको नमस्कार करता हूं।

अगले श्लोकों में, स्तोत्र भगवान शिव के विभिन्न रूपों और गुणों की प्रशंसा करता है। उदाहरण के लिए, एक श्लोक में, स्तोत्र भगवान शिव को सृष्टिकर्ता के रूप में प्रशंसा करता है:

सृष्टिकर्ता पालककर्ता संहारकर्ता च । आदिसिद्धलिंगाय नमः ॥ २ ॥

अर्थ:

सृष्टिकर्ता, पालककर्ता, और संहारकर्ता, आदिसिद्धलिंग, मैं आपको नमस्कार करता हूं।

एक अन्य श्लोक में, स्तोत्र भगवान शिव को भक्तों के रक्षक के रूप में प्रशंसा करता है:

दुष्टानां भयं हर्ता भक्तानां रक्षकः । आदिसिद्धलिंगाय नमः ॥ ३ ॥

अर्थ:

दुष्टों का भय दूर करने वाले, भक्तों के रक्षक, आदिसिद्धलिंग, मैं आपको नमस्कार करता हूं।

स्तोत्र का अंतिम श्लोक भगवान शिव की शरण में आने की प्रार्थना करता है:

यः पठेत् आदिसिद्धलिंगस्तवम् । सर्वपापमोच्यते सः ॥ ८ ॥

अर्थ:

जो भक्तिपूर्वक आदिसिद्धलिंग स्तोत्र का पाठ करता है, वह सभी पापों से मुक्त हो जाता है।

श्रीमदनादिसिद्धलिंगस्तवनम् एक शक्तिशाली स्तोत्र है जो भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने में मदद कर सकता है। यह स्तोत्र अक्सर प्रार्थना और ध्यान में किया जाता है।

Srimadanadisiddhalingastavanam

श्रीमदनादिसिद्धलिंगस्तवनम् के प्रमुख प्रसंग:

  • स्तोत्र का प्रारंभिक श्लोक भगवान शिव की महिमा का वर्णन करता है।
  • स्तोत्र के अगले श्लोक भगवान शिव के विभिन्न रूपों और गुणों की प्रशंसा करते हैं।
  • स्तोत्र का अंतिम श्लोक भगवान शिव की शरण में आने की प्रार्थना करता है।

श्रीमदनादिसिद्धलिंगस्तवनम् के लाभ:

  • इस स्तोत्र का पाठ करने से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है।
  • यह स्तोत्र सभी कामनाओं की सिद्धि के लिए सहायक है।
  • यह स्तोत्र मानसिक शांति और समृद्धि प्रदान करता है।

श्रीमदनादिसिद्धलिंगस्तवनम् के लेखक अज्ञात हैं। यह स्तोत्र प्राचीन काल से प्रचलित है।

श्रीमदनादिसिद्धलिंगस्तवनम् का सार:

श्रीमदनादिसिद्धलिंगस्तवनम् भगवान शिव की महिमा का वर्णन करता है। यह स्तोत्र उन लोगों के लिए विशेष रूप से उपयोगी है जो भगवान शिव की कृपा प्राप्त करना चाहते हैं। यह स्तोत्र भगवान शिव को प्रसन्न करता है और उनकी कृपा प्राप्त करने में मदद करता है।

श्रीमदनादिसिद्धलिंगस्तवनम् के कुछ महत्वपूर्ण नाम:

  • अदिसिद्धलिंग - आदिकाल से विद्यमान लिंग
  • त्रिलोचन - तीन आंखों वाले
  • त्रिगुणात्म - तीन गुणों से युक्त
  • सर्वलोकनाथ - सभी लोकों के स्वामी
  • शंभु - शुभ के दाता

    श्रीमदनादिसिद्धलिंगस्तवनम् एक संस्कृत स्तोत्र है जो भगवान शिव की महिमा का वर्णन करता है। यह स्तोत्र 8 श्लोकों में विभाजित है, प्रत्येक श्लोक भगवान शिव के एक विशेष गुण या स्वरूप की प्रशंसा करता है।

    स्तोत्र का प्रारंभिक श्लोक भगवान शिव की महिमा का वर्णन करता है:

    नमोस्तु नादिसिद्धलिंगाय । त्रिलोचनाय त्रिगुणात्मने । सर्वलोकनाथाय शंभवे । सर्वपापहरणाय नमः ॥ १ ॥

    अर्थ:

    हे आदिसिद्धलिंग, हे त्रिलोचन, हे त्रिगुणात्म, हे सर्वलोकनाथ, हे शंभु, हे सर्वपापहर्ता, मैं आपको नमस्कार करता हूं।

    अगले श्लोकों में, स्तोत्र भगवान शिव के विभिन्न रूपों और गुणों की प्रशंसा करता है। उदाहरण के लिए, एक श्लोक में, स्तोत्र भगवान शिव को सृष्टिकर्ता के रूप में प्रशंसा करता है:

    सृष्टिकर्ता पालककर्ता संहारकर्ता च । आदिसिद्धलिंगाय नमः ॥ २ ॥

    अर्थ:

    सृष्टिकर्ता, पालककर्ता, और संहारकर्ता, आदिसिद्धलिंग, मैं आपको नमस्कार करता हूं।

    एक अन्य श्लोक में, स्तोत्र भगवान शिव को भक्तों के रक्षक के रूप में प्रशंसा करता है:

    दुष्टानां भयं हर्ता भक्तानां रक्षकः । आदिसिद्धलिंगाय नमः ॥ ३ ॥

    अर्थ:

    दुष्टों का भय दूर करने वाले, भक्तों के रक्षक, आदिसिद्धलिंग, मैं आपको नमस्कार करता हूं।

    स्तोत्र का अंतिम श्लोक भगवान शिव की शरण में आने की प्रार्थना करता है:

    यः पठेत् आदिसिद्धलिंगस्तवम् । सर्वपापमोच्यते सः ॥ ८ ॥

    अर्थ:

    जो भक्तिपूर्वक आदिसिद्धलिंग स्तोत्र का पाठ करता है, वह सभी पापों से मुक्त हो जाता है।

    श्रीमदनादिसिद्धलिंगस्तवनम् एक शक्तिशाली स्तोत्र है जो भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने में मदद कर सकता है। यह स्तोत्र अक्सर प्रार्थना और ध्यान में किया जाता है।

    श्रीमदनादिसिद्धलिंगस्तवनम् के प्रमुख प्रसंग:

    • स्तोत्र का प्रारंभिक श्लोक भगवान शिव की महिमा का वर्णन करता है।
    • स्तोत्र के अगले श्लोक भगवान शिव के विभिन्न रूपों और गुणों की प्रशंसा करते हैं।
    • स्तोत्र का अंतिम श्लोक भगवान शिव की शरण में आने की प्रार्थना करता है।

    श्रीमदनादिसिद्धलिंगस्तवनम् के लाभ:

    • इस स्तोत्र का पाठ करने से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है।
    • यह स्तोत्र सभी कामनाओं की सिद्धि के लिए सहायक है।
    • यह स्तोत्र मानसिक शांति और समृद्धि प्रदान करता है।

    श्रीमदनादिसिद्धलिंगस्तवनम् के लेखक अज्ञात हैं। यह स्तोत्र प्राचीन काल से प्रचलित है।

    श्रीमदनादिसिद्धलिंगस्तवनम् का सार:

    श्रीमदनादिसिद्धलिंगस्तवनम् भगवान शिव की महिमा का वर्णन करता है। यह स्तोत्र उन लोगों के लिए विशेष रूप से उपयोगी है जो भगवान शिव की कृपा प्राप्त करना चाहते हैं। यह स्तोत्र भगवान शिव को प्रसन्न करता है और उनकी कृपा प्राप्त करने में मदद करता है।

    श्रीमदनादिसिद्धलिंगस्तवनम् के कुछ महत्वपूर्ण नाम:

    • अदिसिद्धलिंग - आदिकाल से विद्यमान लिंग
    • त्रिलोचन - तीन आंखों वाले
    • त्रिगुणात्म - तीन गुणों से युक्त
    • सर्वलोकनाथ - सभी लोकों के स्वामी
    • शंभु - शुभ के दाता

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