• Version
  • Download 140
  • File Size 0.00 KB
  • File Count 1
  • Create Date November 8, 2023
  • Last Updated November 8, 2023

सचिनंदनाष्टकम् एक संस्कृत कविता है जो भगवान कृष्ण के बाल रूप की प्रशंसा में लिखी गई है। यह कविता सच्चिदानंद नामक एक कवि ने लिखी थी।

कविता में भगवान कृष्ण के बाल रूप की सुंदरता और आकर्षण का वर्णन किया गया है। कविता के अनुसार, भगवान कृष्ण के बाल रूप में सभी गुणों का समावेश है। वे सुंदर, आकर्षक, बुद्धिमान, और दयालु हैं। वे सभी के प्रिय हैं, और वे सभी को खुशी और आनंद देते हैं।

सचिनंदनाष्टकम् की कुछ पंक्तियाँ इस प्रकार हैं:

sachinandanaashtakam

**सरसिज-मुख-कमल-नील-नील-लोचन,

हार-कल्पद्रुम-समान-कुन्तल-मण्डल,

मधुर-मधुर-मधुर-मधुर-कंठ-शब्द,

मधुर-मधुर-मधुर-मधुर-हास्य-मण्डल।

sachinandanaashtakam

अर्थ:

उनके होंठ कमल के समान नीले हैं, और उनकी आँखें नीली नीली कमल के समान हैं। उनके बालों की लटें हारों से लदी हुई हैं, और उनकी आवाज़ मधुर मधुर है। उनका हँसता हुआ चेहरा भी मधुर मधुर है।

सचिनंदनाष्टकम् एक सुंदर और भावपूर्ण कविता है जो भगवान कृष्ण के बाल रूप की सुंदरता और आकर्षण का वर्णन करती है। यह कविता कृष्ण भक्ति आंदोलन में एक महत्वपूर्ण कृति है।


Download

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *