• Version
  • Download 294
  • File Size 0.00 KB
  • File Count 1
  • Create Date November 7, 2023
  • Last Updated November 7, 2023

भावनाप्रकाशष्टकम् (1) एक संस्कृत स्तोत्र है जो भगवान कृष्ण की भक्ति में रचित है। इसे 17वीं शताब्दी के कवि श्रीधर भट्टाचार्य ने लिखा था।

स्तोत्र में, कवि भगवान कृष्ण के प्रेम और करुणा के गुणों का वर्णन करते हैं। वे कहते हैं कि भगवान कृष्ण के प्रेम में डूबने से मन को शांति और आनंद मिलता है।

स्तोत्र का अनुवाद इस प्रकार है:

bhaavaprakaashaashtakam (1)

  • श्लोक 1:

हे भगवान कृष्ण! आपके प्रेम में डूबने से मन को शांति और आनंद मिलता है। आपके प्रेम में डूबने से मन सभी दुखों से मुक्त हो जाता है।

  • श्लोक 2:

आपके प्रेम में डूबने से मन सभी बंधनों से मुक्त हो जाता है। आपके प्रेम में डूबने से मन सभी सांसारिक इच्छाओं से मुक्त हो जाता है।

  • श्लोक 3:

आपके प्रेम में डूबने से मन सभी भ्रमों से मुक्त हो जाता है। आपके प्रेम में डूबने से मन सभी ज्ञान प्राप्त कर लेता है।

  • श्लोक 4:

आपके प्रेम में डूबने से मन सभी मोक्ष प्राप्त कर लेता है। आपके प्रेम में डूबने से मन भगवान कृष्ण के साथ एक हो जाता है।

भावनाप्रकाशष्टकम् (1) एक शक्तिशाली भक्ति मंत्र है। इसका पाठ करने से मन को शांति और आनंद मिलता है। यह स्तोत्र अक्सर मंदिरों और घरों में गाया और पढ़ा जाता है।

भावनाप्रकाशष्टकम् (1) के श्लोक इस प्रकार हैं:

भावनाप्रकाशष्टकम् (1)

1. भवान् प्रेमसमुद्रः,
श्रीकृष्ण नन्दनः।
तस्य प्रेमे लीने,
मनः शान्तं भवेत्।।

2. तस्य प्रेमे लीने,
मनः बन्धनात् मुक्तम्।
तस्य प्रेमे लीने,
मनः कामात् मुक्तम्।।

3. तस्य प्रेमे लीने,
मनः भ्रान्त्यात् मुक्तम्।
तस्य प्रेमे लीने,
मनः ज्ञानं लभते।।

4. तस्य प्रेमे लीने,
मनः मोक्षं लभते।
तस्य प्रेमे लीने,
मनः ईश्वरेण एकम्।।

भावनाप्रकाशष्टकम् (1) का पाठ करने के कुछ लाभ इस प्रकार हैं:

  • यह मन को शांति और आनंद प्रदान करता है।
  • यह भक्ति और प्रेम की भावना को बढ़ावा देता है।
  • यह भगवान कृष्ण की कृपा प्राप्त करने में मदद करता है।

यदि आप भगवान कृष्ण की भक्ति में हैं, तो भावनाप्रकाशष्टकम् (1) का पाठ करना एक अच्छा तरीका है।

bhaavaprakaashaashtakam (1)

Download

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *