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  • Create Date November 5, 2023
  • Last Updated November 5, 2023

Skandakrita Shivastutih and Shivaproktam Sthanakalpanvarnanam

स्कंदकृत शिवस्तुतिः

अर्थ:

हे शिव, मैं आपको प्रणाम करता हूं।

श्लोक 1:

नमो देवाय त्रिमूर्तये नमस्ते त्रिनेत्राय च। नमस्ते नमस्ते नमस्ते नमस्ते त्रिलोकनाथाय ॥

अर्थ:

हे तीन रूपों वाले देवता, मैं आपको प्रणाम करता हूं। हे तीन नेत्रों वाले, मैं आपको प्रणाम करता हूं। हे त्रिलोकनाथ, मैं आपको बार-बार प्रणाम करता हूं।

श्लोक 2:

नमस्ते नमस्ते नमस्ते नमस्ते शम्भो नमस्ते। नमस्ते शंकर नमस्ते रुद्र नमस्ते भव ॥

अर्थ:

हे शंभु, मैं आपको प्रणाम करता हूं। हे शंकर, मैं आपको प्रणाम करता हूं। हे रुद्र, मैं आपको प्रणाम करता हूं। हे भव, मैं आपको प्रणाम करता हूं।

श्लोक 3:

नमस्ते नमस्ते नमस्ते नमस्ते नमस्ते नमस्ते। नमस्ते शिवाय नमस्ते शिवाय नमस्ते शिवाय ॥

अर्थ:

मैं आपको बार-बार प्रणाम करता हूं। हे शिव, मैं आपको प्रणाम करता हूं। हे शिव, मैं आपको प्रणाम करता हूं। हे शिव, मैं आपको प्रणाम करता हूं।

शिवप्रोकतं स्थानकल्पनवर्णनं

अर्थ:

शिव द्वारा बताई गई स्थानकल्पना का वर्णन

श्लोक 1:

त्रिभुवनमयं ध्यायित्वा त्रिशूलं त्रिनेत्रं शिवम्। चतुर्भुजं शुभ्रवर्णं द्वादशाक्षरमं ध्यायन् ॥

अर्थ:

त्रिभुवन को धारण करने वाले, त्रिशूलधारी, तीन नेत्रों वाले, चार भुजाओं वाले, शुभ्रवर्ण वाले और द्वादशाक्षर मंत्र वाले भगवान शिव का ध्यान करो।

श्लोक 2:

Skandakrita Shivastutih and Shivaproktam Sthanakalpanvarnanam

पद्ममध्यासनस्थानं षोडशवर्षवयस्कम्। नीलकण्ठं त्रिशूलधारिं ध्यायेत् सदाशिवम् ॥

अर्थ:

पद्म के मध्य में विराजमान, सोलह वर्ष की आयु वाले, नीलकण्ठ, त्रिशूलधारी भगवान सदाशिव का ध्यान करो।

श्लोक 3:

चंद्रमौलिं त्रिनेत्रं च त्रिशूलं त्रिपुरहारिम्। धृतपद्मं त्रिभुवनपतिं ध्यायेत् शिवं सदैव ॥

अर्थ:

चंद्रमा के मुकुट वाले, तीन नेत्रों वाले, त्रिशूलधारी, त्रिपुरहारि, पद्मधारी और त्रिभुवनपति भगवान शिव का हमेशा ध्यान करो।

श्लोक 4:

महादेवं त्रिनेत्रं च त्रिशूलं त्रिपुरहारिम्। धृतपद्मं त्रिभुवनपतिं ध्यायेत् शिवं सदैव ॥

अर्थ:

महादेव, तीन नेत्रों वाले, त्रिशूलधारी, त्रिपुरहारि, पद्मधारी और त्रिभुवनपति भगवान शिव का हमेशा ध्यान करो।

स्कंदकृत शिवस्तुतिः और शिवप्रोकतं स्थानकल्पनवर्णनं दो महत्वपूर्ण स्तोत्र हैं जो भगवान शिव की पूजा और आराधना के लिए उपयोग किए जाते हैं। स्कंदकृत शिवस्तुतिः में, स्कंद भगवान शिव की महिमा का वर्णन करते हैं और उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए प्रार्थना करते हैं। शिवप्रोकतं स्थानकल्पनवर्णनं में, शिव स्वयं एक स्थान की कल्पना का वर्णन करते हैं जिसे भक्तों को ध्यान में रखना चाहिए। यह स्थान भगवान शिव की उपस्थिति का प्रतीक है और भक्तों को उनकी कृपा प्राप्त करने में मदद करता है।

हाकिनी परनाथ स्तोत्रम् Haakini Parnath Stotram


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