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  • Create Date November 5, 2023
  • Last Updated November 5, 2023

Ardhanarishvarashtakam

अर्धनारीश्वराष्टकम एक संस्कृत स्तोत्र है जो भगवान शिव के अर्धनारीश्वर रूप की प्रशंसा करता है। अर्धनारीश्वर रूप में, भगवान शिव के शरीर का आधा भाग पुरुष का है और आधा भाग महिला का। यह रूप शिव और शक्ति के मिलन का प्रतीक है।

अर्धनारीश्वराष्टकम में, भगवान शिव की अर्धनारीश्वर रूप की सुंदरता, शक्ति और दया की प्रशंसा की जाती है। स्तोत्र में, भगवान शिव को ब्रह्मांड के निर्माता, संहारक और संरक्षक के रूप में भी दर्शाया गया है।

अर्धनारीश्वराष्टकम एक शक्तिशाली स्तोत्र है जो भक्तों को भगवान शिव की अर्धनारीश्वर रूप की आराधना और उनके आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए प्रेरित करता है।

अर्धनारीश्वराष्टकम के आठ श्लोक निम्नलिखित हैं:

श्लोक 1:

अम्भोधरश्यामलकुन्तलायै तटित्प्रभाताम्रजटाधराय । निरीश्वरायै निखिलेश्वराय नमः शिवायै च नमः शिवाय ॥

अर्थ:

"हे भगवान शिव, आपके शरीर का आधा भाग काला है और आधा भाग सफेद है। आपके दाढ़ी और बालों में पानी की बूंदें हैं। आप ब्रह्मांड के निर्माता और संहारक हैं। मैं आपको प्रणाम करता हूं।"

श्लोक 2:

प्रदीप्तरत्नोज्वलकुण्डलायै स्फुरन्महापन्नगभूषणाय । शिवप्रियायै च शिवाप्रियाय नमः शिवायै च नमः शिवाय ॥

अर्थ:

"हे भगवान शिव, आपके शरीर पर चमकदार रत्नों के कुंडल हैं। आपके शरीर पर सांपों की माला है। आप शिव के प्रिय हैं और शिवा के प्रिय हैं। मैं आपको प्रणाम करता हूं।"

श्लोक 3:

मन्दारमालाकलितालकायै कपालमालाङ्कितकन्धराय । दिव्याम्बरायै च दिगम्बराय नमः शिवायै च नमः शिवाय ॥

Ardhanarishvarashtakam

अर्थ:

"हे भगवान शिव, आपके सिर पर चंदन की माला है। आपके कंधे पर खोपड़ी की माला है। आप दिव्य रूप धारण करते हैं और कभी भी नग्न रहते हैं। मैं आपको प्रणाम करता हूं।"

श्लोक 4:

कस्तूरिकाकुङ्कुमलेपनायै श्मशानभस्मात्तविलेपनाय । कृतस्मरायै विकृतस्मराय नमः शिवायै च नमः शिवाय ॥

अर्थ:

"हे भगवान शिव, आपके शरीर पर कस्तूरी और कुमकुम का लेप है। आपके शरीर पर श्मशान की राख का लेप है। आप अपने प्रियजनों को याद करते हैं और अपने दुश्मनों को याद करते हैं। मैं आपको प्रणाम करता हूं।"

श्लोक 5:

पादारविन्दार्पितहंसकायै पादाब्जराजत्फणिनूपुराय । कलामयायै विकलामयाय नमः शिवायै च नमः शिवाय ॥

अर्थ:

"हे भगवान शिव, आपके पैरों के पास हंस बैठा है। आपके पैरों में चमकदार नूपुर हैं। आप सुंदर हैं और विकृत हैं। मैं आपको प्रणाम करता हूं।"

श्लोक 6:

प्रपञ्चसृष्ट्युन्मुखलास्यकायै समस्तसंहारकताण्डवाय । समेक्षणायै विषमेक्षणाय नमः शिवायै च नमः शिवाय ॥

अर्थ:

"हे भगवान शिव, आपके चेहरे पर एक मुस्कान है। आप ब्रह्मांड का सृजन और विनाश करते हैं। आप समान रूप से देखते हैं और असमान रूप से देखते हैं। मैं आपको प्रणाम करता हूं।"

श्लोक 7:

प्रफुल्लनीलॊत्पललॊचनायै विकासिपङ्कॆरुहलॊचनाय । जगज्जनन्यै जगदेकपित्रे नमः शिवायै च नमः शिवाय ॥

अर्थ:

अष्टमूर्तिस्तवः Ashtamurtistavah


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