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  • Create Date October 30, 2023
  • Last Updated July 29, 2024

Govindastotram

गोविन्दस्तोत्रम् एक संस्कृत स्तोत्र है जो भगवान कृष्ण की स्तुति करता है। यह स्तोत्र 10 श्लोकों में रचित है और इसमें भगवान कृष्ण के रूप, गुण और लीलाओं का वर्णन किया गया है।

स्तोत्र का प्रारंभ भगवान कृष्ण के रूप और गुणों के वर्णन से होता है। स्तोत्र में भगवान कृष्ण को एक बालक के रूप में वर्णित किया गया है, जो अपने रूप और गुणों से सभी को मोहित करते हैं।

गोविन्दस्तोत्र का पाठ करने से भगवान कृष्ण की कृपा प्राप्त होती है। यह स्तोत्र भक्तों को भगवान कृष्ण के प्रति प्रेम और भक्ति को बढ़ावा देता है।

गोविन्दस्तोत्रम् के 10 श्लोक इस प्रकार हैं:

1. गोविन्द गोविन्द गोविन्द गोविन्द गोविन्द गोविन्द गोविन्द गोविन्द गोविन्द गोविन्द। मैया बिनवौं तोरी शरण जोई।

अर्थ:

हे गोविन्द, हे गोविन्द, हे गोविन्द, हे गोविन्द, हे गोविन्द, हे गोविन्द, हे गोविन्द, हे गोविन्द, हे गोविन्द, हे गोविन्द। माँ, मैं आपकी शरण में आता हूँ।

2. बालक रूप धरि राधिका सहित। गोकुल धाम में खेलत फिरौ।

अर्थ:

बालक रूप धारण करके राधा के साथ, गोकुल धाम में खेलते फिरते हो।

3. गोपिया संग नन्दनंदन। रास खेलत मधुर नृत्य करत।

अर्थ:

गोपियों के साथ नंदनंदन, मधुर नृत्य करते हैं।

4. गोपी संग प्रेम लीला। करत सदा मधुर रसीला।

अर्थ:

गोपियों के साथ प्रेम लीला, सदैव मधुर रसीला करते हैं।

5. कान्हा कन्हैया बृज बिहारी। श्याम सुन्दर गोपाल मुरारी।

अर्थ:

कान्हा, कन्हैया, बृज बिहारी, श्याम सुन्दर, गोपाल, मुरारी।

6. नन्दनन्दन मुरारि। गोपिका प्रिय राधिका पति।

अर्थ:

नन्द के पुत्र मुरारी, गोपियों के प्रिय राधिका के पति।

7. मधुर मधुर बोल बोलत। सबके मन को मोहत।

अर्थ:

मधुर मधुर बोल बोलते हैं, सबके मन को मोहते हैं।

8. मधुर मधुर वंशी बजावत। सबको आनंदित करावत।

अर्थ:

मधुर मधुर वंशी बजाते हैं, सबको आनंदित कराते हैं।

9. प्रेमी प्रेमिका संग। रास खेलत मधुर नृत्य करत।

अर्थ:

प्रेमी प्रेमिका के साथ, रास खेलते हैं।

10. गोविन्द गोविन्द गोविन्द गोविन्द गोविन्द गोविन्द गोविन्द गोविन्द गोविन्द गोविन्द। मैया बिनवौं तोरी शरण जोई।

अर्थ:

हे गोविन्द, हे गोविन्द, हे गोविन्द, हे गोविन्द, हे गोविन्द, हे गोविन्द, हे गोविन्द, हे गोविन्द, हे गोविन्द। माँ, मैं आपकी शरण में आता हूँ।

गोविन्दस्तोत्रम् एक बहुत ही सुंदर और भावपूर्ण स्तोत्र है। यह स्तोत्र भगवान कृष्ण के प्रति प्रेम और भक्ति को बढ़ावा देता है।


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