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  • Create Date October 30, 2023
  • Last Updated October 30, 2023

Shree Madrishyashringeshwarastuti:

श्री माद्रिश्री शृंगेश्वरस्तव एक संस्कृत श्लोकों की एक श्रृंखला है जो भगवान शिव के माद्रिशृंगेश्वर रूप की स्तुति करती है। यह स्तोत्र 17वीं शताब्दी के कवि, श्रीकृष्णदास के नाम पर है।

श्लोकों की श्रृंखला भगवान शिव के माद्रिशृंगेश्वर रूप की महिमा का वर्णन करती है। वे भगवान को मध्य प्रदेश के माद्रिशृंग पर्वत पर स्थित माद्रिशृंगेश्वर मंदिर के देवता के रूप में दर्शाते हैं। श्लोकों में भगवान शिव की विभिन्न विशेषताओं और गुणों की भी प्रशंसा की जाती है।

श्री माद्रिशृंगेश्वरस्तव के कुछ महत्वपूर्ण बिंदु दिए गए हैं:

  • यह एक संस्कृत श्लोकों की एक श्रृंखला है जो भगवान शिव के माद्रिशृंगेश्वर रूप की स्तुति करती है।
  • यह स्तोत्र 17वीं शताब्दी के कवि, श्रीकृष्णदास के नाम पर है।
  • श्लोकों की श्रृंखला भगवान शिव के माद्रिशृंगेश्वर रूप की महिमा का वर्णन करती है।
  • वे भगवान को मध्य प्रदेश के माद्रिशृंग पर्वत पर स्थित माद्रिशृंगेश्वर मंदिर के देवता के रूप में दर्शाते हैं।
  • श्लोकों में भगवान शिव की विभिन्न विशेषताओं और गुणों की भी प्रशंसा की जाती है।
  • श्री माद्रिशृंगेश्वरस्तव एक लोकप्रिय हिंदू भक्ति पाठ है। यह भारत भर के मंदिरों और घरों में पढ़ा जाता है।

श्री माद्रिशृंगेश्वरस्तव के कुछ महत्वपूर्ण श्लोकों का अनुवाद:

  • श्लोक 1:

हे माद्रिशृंगेश्वर, आप मध्य प्रदेश के माद्रिशृंग पर्वत पर स्थित हैं। आप सभी देवताओं के देवता हैं। आप सभी जीवों के रक्षक हैं।

  • श्लोक 2:

आपका स्वरूप अद्भुत है। आपके तीन नेत्र हैं। आपके चार हाथ हैं। आपके हाथों में त्रिशूल, डमरू, कमल और गदा हैं।

  • श्लोक 3:

आप दयालु और कृपालु हैं। आप अपने भक्तों की सभी इच्छाओं को पूरा करते हैं। आप उन्हें सभी दुखों से मुक्ति दिलाते हैं।

श्री माद्रिशृंगेश्वरस्तव का पाठ:

श्लोक 1:

नमस्ते माद्रिशृंगेश्वराय | मध्यप्रदेशे माद्रिशृंगपर्वते | स्थिताय सर्वदेवदेवाय | सर्वजन्तोः रक्षकाय नमः |

श्लोक 2:

त्रिनेत्राय चतुर्बाहुकाय | त्रिशूलडमरूकमलोत्पत्राय | गदाधराय नमः |

श्लोक 3:

दयानिधि नमः | कृपालु नमः | सर्वकामफलप्रदाय नमः | सर्वदुःखहर नमः |

श्री माद्रिशृंगेश्वरस्तव का महत्व:

श्री माद्रिशृंगेश्वरस्तव एक शक्तिशाली भक्ति पाठ है जो भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने में मदद कर सकता है। यह पाठ भक्तों को सभी दुखों से मुक्ति दिलाने में भी मदद कर सकता है।


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