रोहिणी व्रत के दिन सर्वप्रथम वणिज करण का निर्माण हो रहा है। वणिज करण सुबह 09 बजकर 51 मिनट तक है। इसके बाद विष्टि करण का निर्माण हो रहा है जो रात 09 बजकर 30 मिनट तक है। इस दौरान कोई भी शुभ काम करने की मनाही होती है। वहीं रात्रि में 09 बजकर 30 मिनट के बाद बव करण का निर्माण हो रहा है।
1 अक्टूबर को रोहिणी व्रत है। यह दिन भगवान वासुपूज्य स्वामी को समर्पित होता है। अतः विधि विधान और श्रद्धा भाव से भगवान वासुपूज्य स्वामी की पूजा की जाती है। साथ ही विशेष कार्य में सफलता पाने हेतु व्रत भी रखा जाता है। स्त्री और पुरुष दोनों रोहिणी व्रत कर सकते हैं। धार्मिक मान्यता है कि इस व्रत के पुण्य प्रताप से विवाहित महिलाओं को सुख और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। ज्योतिषियों की मानें तो रोहिणी व्रत पर दुर्लभ भद्रावास का निर्माण हो रहा है। आइए, शुभ मुहूर्त और शुभ योग जानते हैं
Rohini Vrat 2023 Kab hai शुभ मुहूर्त
कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की तृतीया 31 अक्टूबर को रात 09 बजकर 30 मिनट तक है। इसके पश्चात, चतुर्थी शुरू हो जाएगी। हर महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी मनाई जाती है।
Rohini Vrat 2023
भद्रावास योग
कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को दुर्लभ ‘भद्रावास’ का निर्माण हो रहा है। इस योग का निर्माण सुबह 09 बजकर 51 मिनट से लेकर रात्रि 09 बजकर 30 मिनट तक है। इस दौरान वासुपूज्य की पूजा करने से अक्षय फल की प्राप्ति होगी। धार्मिक मान्यता है कि भद्रा के स्वर्ग में रहने के दौरान पृथ्वी पर रहने वाले सभी जीव जंतु, पशु पक्षी, मानव जगत का कल्याण होता है।
करण
रोहिणी व्रत के दिन सर्वप्रथम वणिज करण का निर्माण हो रहा है। वणिज करण सुबह 09 बजकर 51 मिनट तक है। इसके बाद विष्टि करण का निर्माण हो रहा है, जो रात 09 बजकर 30 मिनट तक है। इस दौरान कोई भी शुभ काम करने की मनाही होती है। वहीं, रात्रि में 09 बजकर 30 मिनट के बाद बव करण का निर्माण हो रहा है। बव और वणिज दोनों करण शुभ माने जाते हैं। इस योग में मां की पूजा करने से साधक को सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है।