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  • Create Date October 24, 2023
  • Last Updated October 24, 2023

श्रीवीरभद्रमाला महामंत्र एक शक्तिशाली मंत्र है जो भगवान शिव के एक रूप, वीरभद्र की कृपा प्राप्त करने के लिए जपा जाता है। यह मंत्र भगवान वीरभद्र के बीज मंत्र "ॐ ड्रं ह्रौं बं जूं बं हूं बं सः बीर वीरभद्राय प्रस्फुर प्रज्वल आवेशय जाग्रय विध्वंसय क्रुद्धगणाय हूं" से बना है।

मंत्र का प्रारंभ भगवान वीरभद्र के बीज मंत्र से होता है। बीज मंत्र भगवान वीरभद्र की शक्ति और ऊर्जा का प्रतिनिधित्व करता है।

दूसरा श्लोक भगवान वीरभद्र को जागृत करने और उन्हें अपने भक्तों की मदद करने के लिए कहता है।

अंतिम श्लोक भगवान वीरभद्र से अनुरोध के साथ होता है कि वे भक्तों को अपनी कृपा प्रदान करें। भक्त भगवान वीरभद्र से ज्ञान, शक्ति, और मोक्ष प्राप्त करने के लिए प्रार्थना करते हैं।

श्रीवीरभद्रमाला महामंत्र एक शक्तिशाली मंत्र है जो भक्तों को भगवान वीरभद्र की कृपा प्राप्त करने में मदद कर सकता है। यह मंत्र शांति, समृद्धि और मोक्ष प्रदान करने में सक्षम है।

मंत्र का पाठ इस प्रकार है:

ॐ ड्रं ह्रौं बं जूं बं हूं बं सः बीर वीरभद्राय प्रस्फुर प्रज्वल आवेशय जाग्रय विध्वंसय क्रुद्धगणाय हूं॥

मंत्र का जाप विधिवत तरीके से करना चाहिए। मंत्र को सही उच्चारण के साथ जपना चाहिए। मंत्र को नियमित रूप से जपने से भगवान वीरभद्र की कृपा प्राप्त होती है।

मंत्र जपने के लिए निम्नलिखित विधि का पालन किया जा सकता है:

  1. एकांत स्थान में बैठें और आरामदायक स्थिति में बैठें।
  2. अपने हाथों को गले के सामने जोड़ें और भगवान वीरभद्र का ध्यान करें।
  3. मंत्र का जाप 108 बार करें।
  4. मंत्र के जाप के बाद, भगवान वीरभद्र को धन्यवाद दें।

मंत्र जपने के लिए कोई विशेष समय या दिशा की आवश्यकता नहीं है। हालांकि, सुबह जल्दी या शाम को मंत्र जपना सबसे अच्छा माना जाता है।

मंत्र के लाभ:

  • भगवान वीरभद्र की कृपा प्राप्त होती है।
  • शांति, समृद्धि और मोक्ष प्राप्त होता है।
  • भय, चिंता और दुख से मुक्ति मिलती है।
  • शत्रुओं का नाश होता है।
  • सभी इच्छाओं की पूर्ति होती है।

मंत्र जपने के नियम:

  • मंत्र का जाप एकांत स्थान में करना चाहिए।
  • मंत्र का जाप सही उच्चारण के साथ करना चाहिए।
  • मंत्र का जाप नियमित रूप से करना चाहिए।
  • मंत्र का जाप करते समय मन में भगवान वीरभद्र का ध्यान करना चाहिए।

मंत्र जपने से पहले, भगवान वीरभद्र को प्रणाम करें और उनसे अपनी इच्छाओं को बताएं। मंत्र जपने के बाद, भगवान वीरभद्र को धन्यवाद दें।


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