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  • Create Date October 24, 2023
  • Last Updated July 29, 2024

प्रेमेन्दुसागरस्तोत्रम् एक संस्कृत स्तोत्र है जो भगवान कृष्ण की प्रशंसा में लिखा गया है। यह स्तोत्र 100 श्लोकों में विभाजित है, प्रत्येक श्लोक में भगवान कृष्ण के विभिन्न रूपों और गुणों की वर्णन है।

प्रथम श्लोक:

कलहान्तरितावृत्ता काचिद् वल्लवसुन्दरी विरहोततापखिन्नाङ्गी सखीं सोत्कण्ठमब्रवीत् । हन्त गौरि स किं गन्तां मन्योः पन्थानं मे श्रीकृष्णः करुणासिन्धुः कृष्णो गोकुलवल्लभः ॥

अनुवाद:

एक दिन, एक गोपी, जो कृष्ण से बहुत प्यार करती थी, विरह की आग से पीड़ित थी। वह अपनी सहेली से बोली, "हे मेरे प्यारे सखी, मैं अब क्या करूँ? मैं कृष्ण के बिना रह नहीं सकती। वह करुणासिन्धु हैं, वह गोकुल के वल्लभ हैं।"

दूसरा श्लोक:

श्रीकृष्णः परमानन्दो नन्दमन्दिरमङ्गलम् । यशोदाखनिमाणिक्यं गोपेन्द्राम्भोधिचन्द्रमाः ॥

अनुवाद:

श्रीकृष्ण परमानंद हैं, नंद मंदिर के मंगल हैं। वह यशोदा की कनिष्ट पुत्र हैं, गोपों के अम्बोधी चंद्रमा हैं।

तीसरा श्लोक:

नवाम्भोधरसंरम्भविडम्बिरुचिद्विभ्रमः । क्षिप्तहाटकशौटीर्यपट्टपीताम्बरावृतः ॥

अनुवाद:

श्रीकृष्ण नौ-अंबुधरों से बने विम्बिर के समान सुंदर हैं। उनका मुख खिलता हुआ कमल है, और उनके बाल पीले रंग के हैं।

चौथा श्लोक:

कन्दर्परूपसन्दर्पहारिपादनखद्युतिः । ध्वजाम्भोरुहदम्भोलि यवाङ्कुशलसत्पदः ॥

अनुवाद:

श्रीकृष्ण के पैरों की चमक प्रेम के देवता कामदेव को भी मात देती है। वह मधुर वाणी बोलते हैं, और उनके पैर मखमल की तरह कोमल हैं।

प्रेमेन्दुसागरस्तोत्रम् का पाठ करने के लाभ:

  • यह स्तोत्र भगवान कृष्ण की कृपा प्राप्त करने में मदद करता है।
  • यह स्तोत्र भक्ति और ध्यान को बढ़ावा देता है।
  • यह स्तोत्र ज्ञान और आत्म-ज्ञान को प्राप्त करने में मदद करता है।
  • यह स्तोत्र जीवन में शांति और आनंद लाता है।

प्रेमेन्दुसागरस्तोत्रम् का पाठ करने का सबसे अच्छा समय सुबह जल्दी या रात को सोने से पहले है। इस स्तोत्र का पाठ करते समय, मन को भगवान कृष्ण के रूप और गुणों पर केंद्रित करना चाहिए।


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