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  • Create Date October 22, 2023
  • Last Updated October 22, 2023

श्रीसिद्धलिंगमहाशिवायोगीसुप्रभातम एक संस्कृत स्तोत्र है जो भगवान शिव के एक रूप, सिद्धलिंगमहाशिव के प्रति समर्पित है। यह स्तोत्र भगवान शिव की स्तुति करता है और उनके आशीर्वाद के लिए प्रार्थना करता है।

स्तोत्र की शुरुआत भगवान शिव की स्तुति से होती है। भक्त भगवान शिव को सर्वशक्तिमान, दयालु और कृपालु भगवान के रूप में स्तुति करते हैं। वे भगवान शिव से अपनी प्रार्थनाओं को सुनने और उनका आशीर्वाद देने के लिए कहते हैं।

स्तोत्र में भगवान शिव के विभिन्न रूपों और अवतारों की भी स्तुति की जाती है। भक्त भगवान शिव के रूपों को उनके गुणों और शक्तियों के प्रतीक के रूप में स्तुति करते हैं।

स्तोत्र की समाप्ति भगवान शिव के लिए प्रार्थना के साथ होती है। भक्त भगवान शिव से अपने जीवन में सुख, शांति और समृद्धि प्रदान करने के लिए कहते हैं।

श्रीसिद्धलिंगमहाशिवायोगीसुप्रभातम एक शक्तिशाली स्तोत्र है जो भक्तों को भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने में मदद कर सकता है। स्तोत्र का पाठ करने से भक्तों को अपने जीवन में आध्यात्मिक और भौतिक दोनों तरह के लाभ मिल सकते हैं।

स्तोत्र के लाभ:

  • भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त करें
  • मार्गदर्शन और सुरक्षा प्राप्त करें
  • आध्यात्मिक और भौतिक दोनों तरह के लाभ प्राप्त करें
  • जीवन में सुख, शांति और समृद्धि प्राप्त करें

स्तोत्र का पाठ कैसे करें:

  • स्तोत्र का पाठ करने से पहले, एक शांत और आरामदायक जगह खोजें।
  • अपने हाथों को जोड़ें और भगवान शिव से प्रार्थना करें।
  • स्तोत्र का पाठ करें, ध्यान से प्रत्येक शब्द का उच्चारण करें।
  • स्तोत्र का पाठ करने के बाद, भगवान शिव से धन्यवाद दें।

स्तोत्र के कुछ महत्वपूर्ण श्लोक निम्नलिखित हैं:

  • प्रथम श्लोक:

नमस्ते सिद्धलिंगमहाशिवाय । नमस्ते सर्वशक्तिमते । नमस्ते सर्वत्रगते । नमस्ते सर्वभूतेषु ।

अर्थ:

हे सिद्धलिंगमहाशिव, आपको नमस्कार। हे सर्वशक्तिमान, आपको नमस्कार। हे सर्वत्रगते, आपको नमस्कार। हे सर्वभूतेषु, आपको नमस्कार।

  • दूसरा श्लोक:

नमस्ते पार्वतीनाथाय । नमस्ते उमाकान्ताय । नमस्ते चिदानन्दरूपाय । नमस्ते सर्वाधाराय ।

अर्थ:

हे पार्वतीनाथ, आपको नमस्कार। हे उमाकान्त, आपको नमस्कार। हे चिदानन्दरूप, आपको नमस्कार। हे सर्वाधार, आपको नमस्कार।

  • तीसरा श्लोक:

नमस्ते त्रिपुरांतकाय । नमस्ते सदाशिवाय । नमस्ते नीलकंठाय । नमस्ते सर्वेश्वराय ।

अर्थ:

हे त्रिपुरांतक, आपको नमस्कार। हे सदाशिव, आपको नमस्कार। हे नीलकंठ, आपको नमस्कार। हे सर्वेश्वर, आपको नमस्कार।

श्रीसिद्धलिंगमहाशिवायोगीसुप्रभातम एक शक्तिशाली स्तोत्र है जो भक्तों को भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने में मदद कर सकता है। स्तोत्र का पाठ करने से भक्तों को अपने जीवन में आध्यात्मिक और भौतिक दोनों तरह के लाभ मिल सकते हैं।


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