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  • Create Date October 16, 2023
  • Last Updated July 29, 2024

श्रीभक्तिविजयतेस्तोत्रम् एक संस्कृत स्तुति है जो भगवान कृष्ण की भक्ति की महिमा का वर्णन करती है। यह स्तुति श्रीमद्भागवत पुराण पर आधारित है, और इसे श्रीकृष्ण भक्त, श्री मधुकराचार्य द्वारा रचित है।

श्रीभक्तिविजयतेस्तोत्रम् में, श्री मधुकराचार्य भगवान कृष्ण की भक्ति की शक्ति का वर्णन करते हैं। वे कहते हैं कि भक्ति ही मोक्ष का मार्ग है, और यह सभी दुखों और कष्टों को दूर कर सकती है।

श्रीभक्तिविजयतेस्तोत्रम् एक शक्तिशाली स्तुति है जो भक्तों को भगवान कृष्ण की भक्ति में निमग्न होने में मदद कर सकती है। यह भक्तों को प्रेम, आनंद और मोक्ष की प्राप्ति में मदद कर सकती है।

श्रीभक्तिविजयतेस्तोत्रम् का पाठ करने के कई तरीके हैं। कुछ लोग इसे एक बार में सभी श्लोकों का पाठ करके करते हैं, जबकि अन्य इसे एक समय में एक श्लोक करके करते हैं। कुछ लोग इसे मंत्र की तरह दोहराते हैं, जबकि अन्य इसे एक भजन के रूप में गाते हैं।

श्रीभक्तिविजयतेस्तोत्रम् का पाठ करने का सबसे अच्छा तरीका वह है जो आपके लिए सबसे अच्छा काम करता है। महत्वपूर्ण बात यह है कि आपके पास एक भक्ति भाव हो और आप भगवान कृष्ण के श्लोकों का अर्थ समझने का प्रयास करें।

श्रीभक्तिविजयतेस्तोत्रम् के श्लोक:

1. हे भगवान कृष्ण, आप ही भक्ति के सागर हैं। आपकी भक्ति में निमग्न होकर, मैं मोक्ष प्राप्त करूँ।

2. आपकी भक्ति ही जीवन का आधार है, और आपकी कृपा ही मोक्ष का मार्ग है। मुझे अपनी भक्ति प्रदान करें, ताकि मैं आपके प्रेम में लीन रह सकूँ।

3. हे भगवान कृष्ण, आप ही मेरे आराध्य हैं। मैं आपकी भक्ति में निमग्न रहूँ, और आपके चरणों में लीन रहूँ।

4. हे भगवान कृष्ण, आप ही मेरे भगवान हैं। मैं आपकी कृपा से मोक्ष प्राप्त करूँ, और आपकी चरणों में निवास करूँ।

5. हे भगवान कृष्ण, आप ही मेरे गुरु हैं। मुझे अपने ज्ञान से प्रकाशित करें, और मुझे सही मार्ग दिखाएं।

6. हे भगवान कृष्ण, आप ही मेरे मित्र हैं। मैं आपके साथ सदा रहूँ, और आपके प्रेम में रम जाऊँ।

7. हे भगवान कृष्ण, आप ही मेरे जीवन हैं। मैं आपके बिना नहीं रह सकता, मुझे अपनी कृपा प्रदान करें।

8. हे भगवान कृष्ण, आप ही मेरे सर्वस्व हैं। मैं आपकी भक्ति में निमग्न रहूँ, और आपके प्रेम में सदा डूबा रहूँ।

श्रीभक्तिविजयतेस्तोत्रम् के कुछ महत्वपूर्ण श्लोकों का अर्थ:**

  • पहला श्लोक: इस श्लोक में, श्री मधुकराचार्य भगवान कृष्ण की भक्ति की महिमा का वर्णन करते हैं। वे कहते हैं कि भगवान कृष्ण ही भक्ति के सागर हैं, और उनकी भक्ति में निमग्न होकर भक्त मोक्ष प्राप्त कर सकता है।
  • दूसरा श्लोक: इस श्लोक में, श्री मधुकराचार्य भगवान कृष्ण की भक्ति की शक्ति का वर्णन करते हैं। वे कहते हैं कि भक्ति ही जीवन का आधार है, और यह सभी दुखों और कष्टों को दूर कर सकती है।
  • तीसरा श्लोक: इस श्लोक में, श्री मधुकराचार्य भगवान कृष्ण से प्रार्थना करते हैं कि वे उन्हें अपनी भक्ति प्रदान करें। वे कहते हैं कि वे केवल भगवान कृष्ण की भक्ति में ही निमग्न रहना चाहते हैं।

श्रीभक्तिविजयतेस्तोत्रम् एक शक्तिशाली स्तुति है जो भक्तों को भगवान कृष्ण की भक्ति में निमग्न होने में मदद कर सकती है। यह भक्तों को प्रेम, आनंद


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