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- Create Date October 16, 2023
- Last Updated October 16, 2023
श्रीभगवत्स्तुतिः सायङ्कालीन एक प्रसिद्ध भक्तिगीत है जो भगवान कृष्ण की भक्ति का वर्णन करता है। यह गीत श्रीमद्भागवत पुराण पर आधारित है, और इसे श्री विष्णु प्रसाद शर्मा ने रचा था।
श्रीभगवत्स्तुतिः सायङ्कालीन के कुछ महत्वपूर्ण श्लोकों में शामिल हैं:
- पहला श्लोक: इस श्लोक में, भक्त भगवान कृष्ण की सुंदरता और प्रेम का वर्णन करते हैं। वे कहते हैं कि वे उनकी भक्ति में निमग्न रहना चाहते हैं।
- दूसरा श्लोक: इस श्लोक में, भक्त भगवान कृष्ण की भक्ति की शक्ति का वर्णन करते हैं। वे कहते हैं कि उनकी भक्ति सभी दुखों और कष्टों को दूर कर सकती है।
- तीसरा श्लोक: इस श्लोक में, भक्त भगवान कृष्ण से प्रार्थना करते हैं कि वे उन्हें उनकी भक्ति में निमग्न होने के लिए शक्ति प्रदान करें।
श्रीभगवत्स्तुतिः सायङ्कालीन एक शक्तिशाली भक्तिगीत है जो भक्तों को भगवान कृष्ण की भक्ति में निमग्न होने में मदद कर सकता है। यह भक्तों को प्रेम, आनंद और मोक्ष की प्राप्ति में मदद कर सकता है।
श्रीभगवत्स्तुतिः सायङ्कालीन का पाठ करने के कई तरीके हैं। कुछ लोग इसे एक बार में सभी श्लोकों का पाठ करके करते हैं, जबकि अन्य इसे एक समय में एक श्लोक करके करते हैं। कुछ लोग इसे मंत्र की तरह दोहराते हैं, जबकि अन्य इसे एक भजन के रूप में गाते हैं।
श्रीभगवत्स्तुतिः सायङ्कालीन का पाठ करने का सबसे अच्छा तरीका वह है जो आपके लिए सबसे अच्छा काम करता है। महत्वपूर्ण बात यह है कि आपके पास एक भक्ति भाव हो और आप भगवान कृष्ण के श्लोकों का अर्थ समझने का प्रयास करें।
श्रीभगवत्स्तुतिः सायङ्कालीन के श्लोक:**
1. श्याम वर्ण, मुकुंद रूप, गोपियों के प्रिय, कृष्ण। मैं आपकी भक्ति में निमग्न रहूँ, और आपके दर्शन पाऊँ।
2. आपकी भक्ति ही मोक्ष का मार्ग है, और आपकी कृपा ही जीवन का आधार है। मुझे आपकी भक्ति में निमग्न होने के लिए शक्ति प्रदान करें, ताकि मैं आपके प्रेम में लीन रह सकूँ।
3. हे भगवान कृष्ण, आप ही मेरे आराध्य हैं। मैं आपकी भक्ति में निमग्न रहूँ, और आपके चरणों में लीन रहूँ।
4. हे भगवान कृष्ण, आप ही मेरे भगवान हैं। मैं आपकी कृपा से मोक्ष प्राप्त करूँ, और आपकी चरणों में निवास करूँ।
5. हे भगवान कृष्ण, आप ही मेरे गुरु हैं। मुझे अपने ज्ञान से प्रकाशित करें, और मुझे सही मार्ग दिखाएं।
6. हे भगवान कृष्ण, आप ही मेरे मित्र हैं। मैं आपके साथ सदा रहूँ, और आपके प्रेम में रम जाऊँ।
7. हे भगवान कृष्ण, आप ही मेरे जीवन हैं। मैं आपके बिना नहीं रह सकता, मुझे अपनी कृपा प्रदान करें।
8. हे भगवान कृष्ण, आप ही मेरे सर्वस्व हैं। मैं आपकी भक्ति में निमग्न रहूँ, और आपके प्रेम में सदा डूबा रहूँ।
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