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  • Create Date October 16, 2023
  • Last Updated October 16, 2023

श्रीभवमंगलमष्टकम्, जिसे श्रीभवमंगलमष्टक भी कहा जाता है, भगवान शिव और माता पार्वती की आठ श्लोकों वाली एक स्तुति है। यह स्तुति भगवान शिव और माता पार्वती की भक्ति और प्रेम का वर्णन करती है। यह स्तुति श्री हरिदास द्वारा रचित है।

श्रीभवमंगलमष्टकम् में, श्री हरिदास भगवान शिव और माता पार्वती की भक्ति और प्रेम की महिमा का वर्णन करते हैं। वे उन्हें पूर्ण प्रेम और आनंद के प्रतीक के रूप में देखते हैं, और वे भक्तों को उनकी भक्ति में निमग्न होने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।

श्रीभवमंगलमष्टकम् के कुछ महत्वपूर्ण श्लोकों में शामिल हैं:

  • पहला श्लोक: इस श्लोक में, श्री हरिदास भगवान शिव और माता पार्वती की भक्ति की शक्ति का वर्णन करते हैं। वे कहते हैं कि उनकी भक्ति सभी दुखों और कष्टों को दूर कर सकती है।
  • दूसरा श्लोक: इस श्लोक में, श्री हरिदास भगवान शिव और माता पार्वती के प्रेम का वर्णन करते हैं। वे कहते हैं कि उनका प्रेम सभी जीवों को एकता में जोड़ता है।
  • तीसरा श्लोक: इस श्लोक में, श्री हरिदास भक्तों को भगवान शिव और माता पार्वती की भक्ति में निमग्न होने के लिए प्रोत्साहित करते हैं। वे कहते हैं कि उनकी भक्ति ही मोक्ष प्राप्त करने का एकमात्र तरीका है।

श्रीभवमंगलमष्टकम् एक शक्तिशाली स्तुति है जो भक्तों को भगवान शिव और माता पार्वती की भक्ति में निमग्न होने में मदद कर सकती है। यह भक्तों को प्रेम, आनंद और मोक्ष की प्राप्ति में मदद कर सकती है।

श्रीभवमंगलमष्टकम् का पाठ करने के कई तरीके हैं। कुछ लोग इसे एक बार में सभी श्लोकों का पाठ करके करते हैं, जबकि अन्य इसे एक समय में एक श्लोक करके करते हैं। कुछ लोग इसे मंत्र की तरह दोहराते हैं, जबकि अन्य इसे एक भजन के रूप में गाते हैं।

श्रीभवमंगलमष्टकम् का पाठ करने का सबसे अच्छा तरीका वह है जो आपके लिए सबसे अच्छा काम करता है। महत्वपूर्ण बात यह है कि आपके पास एक भक्ति भाव हो और आप भगवान शिव और माता पार्वती के श्लोकों का अर्थ समझने का प्रयास करें।

श्रीभवमंगलमष्टकम् के श्लोक:

1. हे शिव-पार्वती, आप ही पूर्ण प्रेम और आनंद के प्रतीक हैं। मुझे आपकी भक्ति प्रदान करें, ताकि मैं सभी दुखों और कष्टों से मुक्त हो सकूं।

2. हे शिव-पार्वती, आप ही सभी जीवों को एकता में जोड़ने वाले हैं। मुझे आपके प्रेम में निमग्न कर दें, ताकि मैं आपके साथ एक हो जाऊँ।

3. हे शिव-पार्वती, आप ही मेरे आराध्य हैं। मैं आपकी भक्ति में निमग्न रहूँ, और आपके दर्शन पाऊँ।

4. हे शिव-पार्वती, आप ही मेरे भगवान हैं। मैं आपकी कृपा से मोक्ष प्राप्त करूँ, और आपकी चरणों में निवास करूँ।

5. हे शिव-पार्वती, आप ही मेरे गुरु हैं। मुझे अपने ज्ञान से प्रकाशित करें, और मुझे सही मार्ग दिखाएं।

6. हे शिव-पार्वती, आप ही मेरे मित्र हैं। मैं आपके साथ सदा रहूँ, और आपके प्रेम में रम जाऊँ।

7. हे शिव-पार्वती, आप ही मेरे जीवन हैं। मैं आपके बिना नहीं रह सकता, मुझे अपनी कृपा प्रदान करें।

8. हे शिव-पार्वती, आप ही मेरे सर्वस्व हैं। मैं आपकी भक्ति में निमग्न रहूँ, और आपके चरणों में लीन रहूँ।


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