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  • Create Date October 11, 2023
  • Last Updated October 11, 2023

श्रीवगवादिनीष्टकम एक संस्कृत स्तोत्र है जो देवी लक्ष्मी की स्तुति करता है। यह स्तोत्र 10 छंदों में विभाजित है, और प्रत्येक छंद में देवी लक्ष्मी की एक अलग विशेषता की स्तुति की जाती है।

श्रीवगवादिनीष्टकम की कुछ पंक्तियाँ इस प्रकार हैं:

ओम, देवी लक्ष्मी, आप श्वेत वस्त्र पहने हुए हैं। आप सोने के कमल पर विराजमान हैं। आप हाथों में कमल, धनुष और बाण धारण करती हैं। आप हमें धन, समृद्धि और सौभाग्य प्रदान करती हैं।

आप हमें प्रेम और करुणा प्रदान करती हैं। आप हमारे जीवन को आनंद और शांति से भर देती हैं।

श्रीवगवादिनीष्टकम का पाठ करने से धन, समृद्धि, सौभाग्य, प्रेम और करुणा की शक्ति प्राप्त होती है। यह स्तोत्र सभी के लिए लाभकारी है, चाहे उनकी कोई भी जाति, धर्म या विश्वास हो।

श्रीवगवादिनीष्टकम का पाठ करने के लिए, निम्नलिखित चरणों का पालन करें:

  1. एक स्वच्छ स्थान पर बैठ जाएं।
  2. अपने हाथों को जोड़कर देवी लक्ष्मी को प्रणाम करें।
  3. स्तोत्र को ध्यान से पढ़ें या सुनें।
  4. स्तोत्र को कम से कम तीन बार पढ़ें।
  5. अंत में, देवी लक्ष्मी से अपनी इच्छाओं को पूरा करने की प्रार्थना करें।

श्रीवगवादिनीष्टकम का पाठ नियमित रूप से करने से धन, समृद्धि, सौभाग्य, प्रेम और करुणा की शक्ति प्राप्त होती है।

यहाँ श्रीवगवादिनीष्टकम का एक उदाहरण है:

ओम, देवी लक्ष्मी, आप श्वेत वस्त्र पहने हुए हैं। आप सोने के कमल पर विराजमान हैं। आप हाथों में कमल, धनुष और बाण धारण करती हैं। आप हमें धन, समृद्धि और सौभाग्य प्रदान करती हैं। आप हमें प्रेम और करुणा प्रदान करती हैं। आप हमारे जीवन को आनंद और शांति से भर देती हैं। हम आपके चरणों में नतमस्तक हैं, ओम श्रीवगवादिनीष्टकम।

आप अपनी भाषा और शब्दों का उपयोग करके श्रीवगवादिनीष्टकम कर सकते हैं। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि आप देवी लक्ष्मी की स्तुति करें और उनसे धन, समृद्धि, सौभाग्य, प्रेम और करुणा प्राप्त करने की प्रार्थना करें।

श्रीवगवादिनीष्टकम की रचना 12वीं शताब्दी के कवि और दार्शनिक श्रीजयदेव ने की थी। यह स्तोत्र देवी लक्ष्मी की सबसे लोकप्रिय स्तुतियों में से एक है।


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