• Version
  • Download 4581
  • File Size 0.00 KB
  • File Count 1
  • Create Date October 11, 2023
  • Last Updated October 11, 2023

भद्रगिरिपति स्तुति

जय श्री भद्रगिरिनाथ, तुम हो भवानीनाथ, तुम हो शंकर के अवतार, तुम हो भक्तों के आधार।

तुमने रचा है यह जग, तुम ही हो इसके पालनहार, तुम ही हो इसके रक्षक, तुम ही हो इसके प्रकाश।

तुम हो ज्ञान के भंडार, तुम हो प्रेम के सागर, तुम हो दया के सागर, तुम हो सभी के आधार।

हम सब तुम्हारे शरणागत, तुम हमें सब सुख देना, हम सब तुम्हारी भक्ति में रमाए, तुम हमें सद्मार्ग पर ले जाना।

अर्थ:

इस स्तुति में भद्रगिरिनाथ, जो भगवान शंकर के अवतार हैं, की स्तुति की गई है। उन्हें भवानीनाथ, ज्ञान के भंडार, प्रेम के सागर और दया के सागर के रूप में वर्णित किया गया है। स्तुतिकर्ता उनकी शरण में आकर उनसे सभी सुखों की प्राप्ति की प्रार्थना करता है।

शाब्दिक अर्थ:

  • जय श्री भद्रगिरिनाथ - हे भद्रगिरिनाथ, आपको नमस्कार।
  • तुम हो भवानीनाथ - तुम भवानी के नाथ हो, अर्थात् तुम भगवान शंकर हो।
  • तुम हो शंकर के अवतार - तुम भगवान शंकर के अवतार हो।
  • तुम हो भक्तों के आधार - तुम भक्तों के आधार हो।
  • तुमने रचा है यह जग - तुमने इस संसार को रचा है।
  • तुम ही हो इसके पालनहार - तुम ही इस संसार के पालनहार हो।
  • तुम ही हो इसके रक्षक - तुम ही इस संसार के रक्षक हो।
  • तुम ही हो इसके प्रकाश - तुम ही इस संसार के प्रकाश हो।
  • तुम हो ज्ञान के भंडार - तुम ज्ञान के भंडार हो।
  • तुम हो प्रेम के सागर - तुम प्रेम के सागर हो।
  • तुम हो दया के सागर - तुम दया के सागर हो।
  • हम सब तुम्हारे शरणागत - हम सब तुम्हारी शरण में हैं।
  • तुम हमें सब सुख देना - तुम हमें सभी सुखों को प्रदान करो।
  • हम सब तुम्हारी भक्ति में रमाए - हम सब तुम्हारी भक्ति में रमाए।
  • तुम हमें सद्मार्ग पर ले जाना - तुम हमें सद्मार्ग पर ले जाओ।

Download

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *