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  • Create Date October 11, 2023
  • Last Updated October 11, 2023

गायत्री रामायण वाल्मीकि रामायण के 24,000 श्लोकों को 24 श्लोकों में संक्षिप्त रूप में प्रस्तुत करने का एक प्रयास है। इस स्तोत्र को महर्षि वाल्मीकि ने लिखा था।

गायत्री रामायण में, प्रत्येक श्लोक में वाल्मीकि रामायण के एक श्लोक का सारांश दिया गया है। श्लोकों को गायत्री मंत्र के 24 अक्षरों के आधार पर व्यवस्थित किया गया है।

गायत्री रामायण एक बहुत ही शक्तिशाली स्तोत्र है। इस स्तोत्र के पाठ से भक्तों को भगवान राम का आशीर्वाद प्राप्त होता है और उनके जीवन में सुख और शांति आती है।

गायत्री रामायण के लाभ:

गायत्री रामायण के कुछ लाभ इस प्रकार हैं:

  • यह भक्तों को भगवान राम का आशीर्वाद प्राप्त करने में मदद करता है।
  • यह भक्तों के जीवन में सुख और शांति लाता है।
  • यह भक्तों को अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद करता है।
  • यह भक्तों को बुरी शक्तियों से बचाता है।

गायत्री रामायण का महत्व:

गायत्री रामायण भगवान राम के भक्तों के लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण स्तोत्र है। यह स्तोत्र भगवान राम की महिमा और गुणों का वर्णन करता है। गायत्री रामायण का पाठ करने से भक्तों को भगवान राम का आशीर्वाद प्राप्त होता है और उनके जीवन में सुख और शांति आती है।

गायत्री रामायण के कुछ उदाहरण:

  • प्रथम श्लोक:

राम रामेति रमेति रमेति रमेति ही रामेति रामेति रामेति नमो नमः।।

अनुवाद:

हे राम, हे राम, हे राम, हे राम, हे राम, हे राम, हे राम, हे राम, मैं आपको नमन करता हूँ।

यह श्लोक भगवान राम के नाम का जप है। यह श्लोक भगवान राम की महिमा और गुणों का वर्णन करता है।

  • द्वितीय श्लोक:

जनकसुतायाः पतिः रामः सीतायाः पतिः सीतायाः पतिः रामः रामः पतिः सीतायाः।।

अनुवाद:

राम सीता के पति हैं, और सीता राम की पत्नी हैं। राम और सीता एक दूसरे के पति और पत्नी हैं।

यह श्लोक भगवान राम और सीता के प्रेम और समर्पण का वर्णन करता है।

  • तृतीय श्लोक:

रावण वधं कृत्वा रामः दशरथनन्दनः पुनः अयोध्याम् आगतः प्रियजनैः सह।।

अनुवाद:

रावण को मारकर, दशरथ के पुत्र राम अपने प्रियजनों के साथ अयोध्या लौटे।

यह श्लोक रामायण की कथा का सारांश देता है।

गायत्री रामायण का पाठ करने का तरीका:

गायत्री रामायण को किसी भी समय और किसी भी स्थान पर पढ़ा जा सकता है। इसे ध्यानपूर्वक और श्रद्धापूर्वक पढ़ना चाहिए।

गायत्री रामायण को पढ़ने का सबसे अच्छा तरीका है कि इसे कम से कम एक बार प्रतिदिन पढ़ा जाए। इसे अधिक बार पढ़ने से भक्तों को अधिक लाभ होता

हैं।

यह श्लोक भगवान राम और सीता के प्रेम और समर्पण का वर्णन करता है।


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