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- Create Date October 10, 2023
- Last Updated October 10, 2023
आर्याभ्यर्चना के 9 श्लोक हैं, और प्रत्येक श्लोक में देवी पार्वती के एक अलग गुण या रूप का वर्णन किया गया है।
आर्याभ्यर्चना का पहला श्लोक इस प्रकार है:
शोधय मानस-सरणिं, बोधय विज्ञान कोरकाण्यभितः । साधय सकल-मनोरथमपार-करुणानिधे ! मातः ! ॥ १ ॥
इस श्लोक में, स्वामी विवेकानंद देवी पार्वती को "पार-करुणानिधे" कहते हैं, जिसका अर्थ है "असीमित करुणा की निधि"। वे कहते हैं कि देवी पार्वती भक्तों के मन को खोजने और उनकी बुद्धि को प्रबुद्ध करने में मदद करती हैं।
आर्याभ्यर्चना के 9 श्लोकों का अर्थ है:
- श्लोक 1: हे देवी पार्वती, आप अज्ञान के अंधेरे को दूर करने वाली हैं। आप भक्तों के मन को खोजने और उनकी बुद्धि को प्रबुद्ध करने में मदद करती हैं।
- श्लोक 2: आप ज्ञान और विवेक की दाता हैं।
- श्लोक 3: आप करुणा और दया के सागर हैं।
- श्लोक 4: आप भक्तों के रक्षक हैं।
- श्लोक 5: आप सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाली हैं।
- श्लोक 6: आप ब्रह्मांड की कर्ता, धर्ता और हर्ता हैं।
- श्लोक 7: आप सर्वशक्तिमान और सर्वज्ञ हैं।
- श्लोक 8: आप भक्तों के लिए एक आदर्श हैं।
- श्लोक 9: हे देवी पार्वती, आपकी स्तुति करने के लिए हमें शक्ति दें।
आर्याभ्यर्चना एक शक्तिशाली भक्ति भजन है जो भक्तों के दिलों में देवी पार्वती के लिए प्रेम और भक्ति को जगा सकता है। यह भजन देवी पार्वती की महिमा और गुणों को दर्शाता है।
आर्याभ्यर्चना के 9 श्लोकों का हिंदी अनुवाद इस प्रकार है:
- हे देवी पार्वती, आप अज्ञान के अंधेरे को दूर करने वाली हैं। आप भक्तों के मन को खोजने और उनकी बुद्धि को प्रबुद्ध करने में मदद करती हैं।
- आप ज्ञान और विवेक की दाता हैं।
- आप करुणा और दया के सागर हैं।
- आप भक्तों के रक्षक हैं।
- आप सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाली हैं।
- आप ब्रह्मांड की कर्ता, धर्ता और हर्ता हैं।
- आप सर्वशक्तिमान और सर्वज्ञ हैं।
- आप भक्तों के लिए एक आदर्श हैं।
- हे देवी पार्वती, आपकी स्तुति करने के लिए हमें शक्ति दें।
आर्याभ्यर्चना एक लोकप्रिय स्तोत्र है जिसे अक्सर पूजा और अनुष्ठानों के दौरान पढ़ा जाता है। यह भजन भक्तों को देवी पार्वती की कृपा प्राप्त करने और अपने जीवन में आध्यात्मिक और भौतिक दोनों तरह से सफलता प्राप्त करने में मदद कर सकता है।
यहां आर्याभ्यर्चना का एक उदाहरण है:
शोधय मानस-सरणिं, बोधय विज्ञान कोरकाण्यभितः ।
इस श्लोक का अर्थ है:
हे देवी पार्वती, आप अज्ञान के अंधेरे को दूर करने वाली हैं। आप भक्तों के मन को खोजने और उनकी बुद्धि को प्रबुद्ध करने में मदद करती हैं।
यह श्लोक देवी पार्वती की शक्ति और ज्ञान को दर्शाता है। यह भक्तों को आशा और प्रेरणा देता है कि देवी पार्वती उन्हें अपने जीवन में ज्ञान और प्रकाश प्राप्त करने में मदद कर सकती हैं।
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