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  • Create Date October 10, 2023
  • Last Updated July 29, 2024

विन्ध्यश्वरस्तोत्रम् एक संस्कृत स्तोत्र है जो भगवान विन्ध्यवासिनी के पति, भगवान शिव की स्तुति करता है। यह स्तोत्र 12वीं शताब्दी के कवि और संत, श्रीपदाचार्य द्वारा लिखा गया था।

विन्ध्यश्वरस्तोत्रम् के 10 श्लोक हैं, और प्रत्येक श्लोक में भगवान शिव के एक अलग गुण या रूप का वर्णन किया गया है।

विन्ध्यश्वरस्तोत्रम् का पहला श्लोक इस प्रकार है:

श्रीगणेशाय नमः ।

इस श्लोक में, श्रीपदाचार्य भगवान शिव को "विन्ध्यवासिनीपति" कहते हैं, जिसका अर्थ है "विन्ध्यवासिनी के पति"। वे कहते हैं कि भगवान शिव विन्ध्यवासिनी के साथ मिलकर सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं।

विन्ध्यश्वरस्तोत्रम् के 10 श्लोकों का अर्थ है:

  • श्लोक 1: भगवान शिव को नमस्कार।
  • श्लोक 2: भगवान शिव को सृष्टिकर्ता, पालनकर्ता और संहारकर्ता के रूप में वर्णित किया गया है।
  • श्लोक 3: भगवान शिव को ज्ञान और विवेक के दाता के रूप में वर्णित किया गया है।
  • श्लोक 4: भगवान शिव को करुणा और दया के सागर के रूप में वर्णित किया गया है।
  • श्लोक 5: भगवान शिव को भक्तों के रक्षक के रूप में वर्णित किया गया है।
  • श्लोक 6: भगवान शिव की पूजा और आराधना का महत्व।
  • श्लोक 7: भगवान शिव की कृपा से प्राप्त होने वाले लाभ।
  • श्लोक 8: भगवान शिव की स्तुति के लिए एक प्रार्थना।

विन्ध्यश्वरस्तोत्रम् एक शक्तिशाली भक्ति भजन है जो भक्तों के दिलों में भगवान शिव के लिए प्रेम और भक्ति को जगा सकता है। यह भजन भगवान शिव की महिमा और गुणों को दर्शाता है।

विन्ध्यश्वरस्तोत्रम् के 10 श्लोकों का हिंदी अनुवाद इस प्रकार है:

  1. हे गणेश, आपको नमस्कार।
  2. भगवान शिव, आप सृष्टिकर्ता, पालनकर्ता और संहारकर्ता हैं।
  3. आप ज्ञान और विवेक के दाता हैं।
  4. आप करुणा और दया के सागर हैं।
  5. आप भक्तों के रक्षक हैं।
  6. आपकी पूजा और आराधना करना सभी के लिए लाभदायक है।
  7. आपकी कृपा से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
  8. हे भगवान शिव, आपकी स्तुति करने के लिए हमें शक्ति दें।

विन्ध्यश्वरस्तोत्रम् एक लोकप्रिय स्तोत्र है जिसे अक्सर पूजा और अनुष्ठानों के दौरान पढ़ा जाता है। यह भजन भक्तों को भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने और अपने जीवन में आध्यात्मिक और भौतिक दोनों तरह से सफलता प्राप्त करने में मदद कर सकता है।

यहां विन्ध्यश्वरस्तोत्रम् का एक उदाहरण है:

श्रीगणेशाय नमः ।

इस श्लोक का अर्थ है:

हे गणेश, आपको नमस्कार।

यह श्लोक भगवान शिव की स्तुति करने से पहले भगवान गणेश को प्रणाम करता है।


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