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  • Create Date October 9, 2023
  • Last Updated October 9, 2023

ज़रूर, श्रीराधाप्रार्थना उद्द्वेगित एक संस्कृत प्रार्थना है जो राधा और कृष्ण के प्रेम को समर्पित है। यह प्रार्थना 16वीं शताब्दी के संत और कवि, नंददास द्वारा रचित की गई थी।

श्रीराधाप्रार्थना उद्द्वेगित की शुरुआत राधा और कृष्ण के प्रेम की प्रशंसा से होती है। प्रार्थना में, भक्त राधा और कृष्ण के प्रेम को सर्वोच्च प्रेम मानते हैं। यह प्रेम अनन्य और अडिग है।

श्रीराधाप्रार्थना उद्द्वेगित में, भक्त राधा और कृष्ण से अपने प्रेम को प्राप्त करने के लिए प्रार्थना करते हैं। भक्त राधा और कृष्ण को अपने आराध्य मानते हैं और उनके प्रेम को प्राप्त करना चाहते हैं।

श्रीराधाप्रार्थना उद्द्वेगित एक लोकप्रिय भक्ति प्रार्थना है। यह अक्सर राधा और कृष्ण के प्रेम को समर्पित भजनों और आरती में गाया जाता है।

श्रीराधाप्रार्थना उद्द्वेगित का पाठ इस प्रकार है:

श्रीराधाप्रार्थना उद्द्वेगित

श्रीराधाकृष्णायै नमः

अर्थ:

हे राधाकृष्ण, मैं आपको नमन करता हूं।

प्रथम श्लोक:

राधिका कृष्णाम्बुजयोः प्रेमं कथं न वर्णयेत्। प्रेमेण तौ द्रवन्तौ सदा हृदये वसन्तौ॥

अर्थ:

राधा और कृष्ण के प्रेम को कैसे वर्णन किया जाए? वे प्रेम में बहते हैं और हमेशा हृदय में निवास करते हैं।

दूसरा श्लोक:

कृष्णे राधा वन्दते राधे कृष्णं वन्दते। वन्दे तौ परस्परं प्रेमेण युगलं शुभम्॥

अर्थ:

कृष्ण राधा की वंदना करते हैं, और राधा कृष्ण की वंदना करती हैं। मैं उन दोनों को प्रेम में युगल के रूप में वंदित करता हूं।

तीसरा श्लोक:

कृष्णे राधा प्रेमेण क्रीडादिकं वृन्दावने। भक्तास्ते सुखं लभन्ते कृष्णराधा नामेण॥

अर्थ:

कृष्ण और राधा प्रेम में वृंदावन में क्रीड़ा करते हैं। उनके भक्त कृष्णराधा नाम से सुख प्राप्त करते हैं।

चौथा श्लोक:

राधाप्रेमं न मे मिलति तदर्थं करुणया भव। राधाप्रेमं प्रदास्यामि तदर्थं भव भक्तो मे॥

अर्थ:

मुझे राधा का प्रेम नहीं मिल रहा है, इसलिए दया करके प्रकट हो। मैं आपको राधा का प्रेम प्रदान करूंगा, इसलिए मेरे भक्त बनो।

पांचवां श्लोक:

राधाप्रेमं प्रदास्यामि तदर्थं भव प्रियकर। राधाप्रेमं प्रदास्यामि तदर्थं भव दयाकर॥

अर्थ:

मैं आपको राधा का प्रेम प्रदान करूंगा, इसलिए मेरे प्रिय बनो। मैं आपको राधा का प्रेम प्रदान करूंगा, इसलिए मेरे दयालु बनो।

श्रीराधाप्रार्थना उद्द्वेगित एक शक्तिशाली भक्ति प्रार्थना है जो राधा और कृष्ण के प्रेम को समर्पित है। यह एक ऐसा प्रार्थना है जो भक्तों को ज्ञान, प्रेम, और मुक्ति प्रदान कर सकता है।


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