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- Create Date October 9, 2023
- Last Updated July 29, 2024
श्रीगजाननस्तोत्र एक संस्कृत स्तोत्र है जो भगवान गणेश की स्तुति करता है। यह स्तोत्र 24 श्लोकों में रचित है, और प्रत्येक श्लोक में भगवान गणेश के एक अलग गुण या विशेषता की स्तुति की गई है।
श्रीगजाननस्तोत्र की रचना भक्त कवि श्रीधराचार्य ने की थी। श्रीधराचार्य एक महान भक्त थे, और उन्होंने भगवान गणेश की भक्ति में कई स्तोत्र और भजन लिखे हैं।
श्रीगजाननस्तोत्र का पाठ निम्नलिखित है:
श्रीगणेशाय नमः।
- एकदन्तं हस्तैश्चतुर्भिर्मालां कुम्भं सुराभाजनं।
भावार्थ:
मैं उस एकदन्त, चार हाथों वाले, माला, कुम्भ, और सुराभाजन धारण करने वाले भगवान गणेश की स्तुति करता हूं।
- गजाननं लम्बोदरं देवं सुरेशस्य तं वरदायकम्।
भावार्थ:
मैं उस गजानन, लंबोदर, देव, और सुरेश के वरदायक भगवान गणेश की स्तुति करता हूं।
- सर्वविघ्नहरं तं विनायकं सर्वार्थसिद्धिदायकम्।
भावार्थ:
मैं उस सर्वविघ्नहर, विनायक, और सर्वार्थसिद्धिदायक भगवान गणेश की स्तुति करता हूं।
- सर्वपापहरां तं शुद्धं भक्तजनवत्सलम।
भावार्थ:
मैं उस सर्वपापहरा, शुद्ध, और भक्तजनवत्सल भगवान गणेश की स्तुति करता हूं।
...
- सर्वस्य सुखं देहि सर्व सिद्धिं प्रयच्छ।
भावार्थ:
हे भगवान गणेश, मुझे सभी प्रकार की सुख और सिद्धि प्रदान करें।
श्रीगजाननस्तोत्र एक शक्तिशाली स्तोत्र है जो भक्तों को भगवान गणेश की कृपा प्राप्त करने और आध्यात्मिक शांति प्राप्त करने में मदद कर सकता है। यह स्तोत्र भक्तों को आध्यात्मिक और भौतिक दोनों स्तरों पर सफलता प्राप्त करने में मदद कर सकता है।
श्रीगजाननस्तोत्र को पढ़ने या गाने के लिए कुछ सुझाव निम्नलिखित हैं:
- स्तोत्र को धीरे-धीरे और ध्यान से पढ़ना या गाना चाहिए।
- स्तोत्र को पढ़ते या गाते समय, भक्त को भगवान गणेश की छवि या मूर्ति के सामने बैठना चाहिए और उनकी स्तुति करनी चाहिए।
श्रीगजाननस्तोत्र के कुछ महत्वपूर्ण विषय निम्नलिखित हैं:
- भगवान गणेश के विभिन्न गुणों और विशेषताओं की स्तुति
- भगवान गणेश की भक्ति से प्राप्त होने वाली सभी प्रकार की सिद्धियों और लाभों की प्रार्थना
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