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  • Create Date October 8, 2023
  • Last Updated October 8, 2023

पंचशलोकी गणेशपुराण एक संस्कृत ग्रन्थ है जो भगवान गणेश की महिमा का वर्णन करता है। यह ग्रन्थ केवल पाँच श्लोकों का है, लेकिन इसमें भगवान गणेश की सभी प्रमुख विशेषताओं का वर्णन किया गया है।

पंचशलोकी गणेशपुराण की शुरुआत भगवान गणेश के नमस्कार के साथ होती है। इसके बाद, प्रत्येक श्लोक में भगवान गणेश की एक विशेषता का वर्णन किया गया है। श्लोकों के अर्थ इस प्रकार हैं:

1. नमस्ते गणपतये वक्रतुण्डाय हवामहे।

अर्थ: मैं आपको नमस्कार करता हूं, हे वक्रतुण्ड गणेश!

2. कपिलाय धीमहि तन्नो दंष्ट्रो प्रचोदयात्।

अर्थ: मैं आपके कपिल रंग की पूजा करता हूं, हे गणेश! आपकी सूंड मुझे प्रेरित करे।

3. एकदन्ताय विद्महे।

अर्थ: मैं आपकी एक दांत वाली महिमा को जानता हूं, हे गणेश!

4. महाकायाय धीमहि।

अर्थ: मैं आपके विशाल शरीर की पूजा करता हूं, हे गणेश!

5. विनायकाय नमो नमः।

अर्थ: हे विनायक! मैं आपको नमस्कार करता हूं।

पंचशलोकी गणेशपुराण एक बहुत ही सरल और संक्षिप्त ग्रन्थ है, लेकिन इसमें भगवान गणेश की महिमा का सुंदर वर्णन किया गया है। यह ग्रन्थ सभी भक्तों के लिए पढ़ने योग्य है।

पंचशलोकी गणेशपुराण के कुछ महत्वपूर्ण बिंदु इस प्रकार हैं:

  • यह ग्रन्थ भगवान गणेश की महिमा का वर्णन करता है।
  • यह ग्रन्थ केवल पाँच श्लोकों का है।
  • इसमें भगवान गणेश की सभी प्रमुख विशेषताओं का वर्णन किया गया है।
  • यह ग्रन्थ सभी भक्तों के लिए पढ़ने योग्य है।

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