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  • Create Date October 8, 2023
  • Last Updated October 8, 2023

विनायकष्टकम एक संस्कृत स्तोत्र है जो भगवान गणेश की प्रशंसा करता है। यह स्तोत्र 8 श्लोकों में विभाजित है, और प्रत्येक श्लोक में गणेश के विभिन्न रूपों और गुणों की प्रशंसा की जाती है।

स्तोत्र की शुरुआत में, गणेश को "विनायक" (बाधाओं को दूर करने वाला) के रूप में संबोधित किया जाता है। फिर, गणेश के विभिन्न रूपों का वर्णन किया जाता है, जैसे कि उनके लाल रंग, उनके हाथ में पाश और अंकुश, और उनके सिर पर चंद्रमा। स्तोत्र के अंत में, गणेश से प्रार्थना की जाती है कि वे भक्तों को सभी बाधाओं से मुक्त करें और उन्हें सफलता प्रदान करें।

विनायकष्टकम का पाठ करने का सबसे अच्छा समय मंगलवार या रविवार को माना जाता है। भक्त स्तोत्र को घर पर या मंदिर में बैठे हुए पाठ कर सकते हैं। स्तोत्र को पाठ करते समय, भक्तों को गणेश की छवि या मूर्ति के सामने बैठना चाहिए और उनकी पूजा करनी चाहिए।

विनायकष्टकम का पाठ करने से भक्तों को निम्नलिखित लाभ होने की उम्मीद है:

  • सभी बाधाओं से मुक्ति
  • सफलता और समृद्धि
  • आध्यात्मिक विकास

विनायकष्टकम एक शक्तिशाली स्तोत्र है जो भक्तों को कई तरह से लाभ पहुंचा सकता है।

विनायकष्टकम का पाठ निम्नलिखित है:

श्लोक 1

वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा।।

अर्थ

हे वक्रतुण्ड, महाकाय, सूर्य के समान तेजस्वी गणेश, आप मेरे सभी कार्यों में विघ्नों को दूर करें।

श्लोक 2

एकदन्तं चतुर्हस्तं पाशवराभयायुधम्। सर्वारिष्टहरणं तं नमामि विघ्नेश्वरम्।।

अर्थ

हे एकदंत, चतुर्हस्त, पाश, वर, और अभय मुद्रा धारण करने वाले गणेश, आप सभी विघ्नों को दूर करने वाले हैं। आपको नमस्कार है।

श्लोक 3

गजवदनं गजाननं लम्बोदरं शूर्पणख। विघ्ननाशकरं देवं तं नमामि विघ्नेश्वरम्।।

अर्थ

हे गजवदन, गजानन, लम्बोदर, शूर्पणखा के दंतों को तोड़ने वाले गणेश, आप विघ्ननाशक हैं। आपको नमस्कार है।

श्लोक 4

विघ्नेश्वराय वक्रतुण्डाय हुंकारमूर्तये। नमस्ते त्रिशूलाय हुंकारमूर्तये नमः।।

अर्थ

हे विघ्नेश्वर, वक्रतुण्ड, हुंकार स्वरूप, आपको नमस्कार है। हे त्रिशूलधारी, हुंकार स्वरूप, आपको नमस्कार है।

श्लोक 5

गौरीपुत्राय सिद्धिविनायकाय। श्रीवक्रतुण्डाय नमो नमः।।

अर्थ

हे गौरीपुत्र, सिद्धिविनायक, श्रीवक्रतुण्ड, आपको नमस्कार है।

श्लोक 6

भक्तवत्सलाय गणपतये। सर्वकार्यार्थ सिद्धये नमः।।

अर्थ

हे भक्तवत्सल गणेश, सभी कार्यों की सिद्धि के लिए आपको नमस्कार है।

श्लोक 7

सर्वोपद्रवविनाशाय। सिद्धिबुद्धिप्रदायकाय नमः।।

अर्थ

सभी उपद्रवों को दूर करने वाले, सिद्धि और बुद्धि प्रदान करने वाले गणेश को नमस्कार है।

श्लोक 8

नमो जयन्ताय विनायकाय। सर्वार्थसाधिकाय नमः।।

अर्थ

**जयंती स्वरूप, विघ्नेश्वर, सभी कार्यों को


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