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- Create Date October 7, 2023
- Last Updated October 7, 2023
लक्ष्मीनारायण सिंहासन स्तुति एक संस्कृत स्तोत्र है जो भगवान विष्णु और उनकी पत्नी लक्ष्मी की स्तुति करता है। यह स्तोत्र 20 श्लोकों का है, और प्रत्येक श्लोक में भगवान विष्णु और लक्ष्मी के एक अलग गुण या विशेषता की प्रशंसा की जाती है।
लक्ष्मीनारायण सिंहासन स्तुति की रचना 16वीं शताब्दी में हुई थी, और इसका श्रेय संत तुलसीदास को दिया जाता है। यह स्तोत्र भगवान विष्णु और लक्ष्मी की दिव्य शक्तियों और गुणों का वर्णन करता है।
लक्ष्मीनारायण सिंहासन स्तुति के श्लोक इस प्रकार हैं:
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जय श्री राम! जय जानकी! जय लक्ष्मीनारायण! हे लक्ष्मीनारायण, आप अद्वितीय हैं। आप संसार के स्वामी हैं, और आप सभी के द्वारा पूजे जाते हैं।
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आपके सिंहासन पर सुशोभित स्वर्ण कमल, आपकी महिमा का प्रतीक हैं। आपके चारों ओर देवता और ऋषि खड़े हैं, और वे आपकी स्तुति कर रहे हैं।
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आपके हाथों में शंख, चक्र, गदा और पद्म, आपकी शक्ति और आशीर्वाद का प्रतीक हैं। आपका रूप अत्यंत सुंदर है, और आप सभी के लिए आदर्श हैं।
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आपकी पत्नी लक्ष्मी, आपकी सुंदरता और समृद्धि का प्रतीक हैं। वे आपकी कृपा से सभी को आशीर्वाद देती हैं, और वे सभी के द्वारा पूजी जाती हैं।
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आप दोनों मिलकर संसार का पालन पोषण करते हैं, और आप सभी को सुख और समृद्धि प्रदान करते हैं। आप हमारे लिए आशा और प्रकाश हैं, और हम आपकी सदैव रक्षा करेंगे।
लक्ष्मीनारायण सिंहासन स्तुति का पाठ करने से कई लाभ होते हैं। यह स्तोत्र भक्तों को भगवान विष्णु और लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने में मदद करता है। यह स्तोत्र भक्तों को आध्यात्मिक उन्नति में भी मदद करता है।
लक्ष्मीनारायण सिंहासन स्तुति का पाठ करने के कई तरीके हैं। इसे ध्यान में बैठकर या मंत्र की तरह दोहराया जा सकता है। इसे किसी भी समय और किसी भी स्थान पर पढ़ा जा सकता है।
लक्ष्मीनारायण सिंहासन स्तुति एक शक्तिशाली स्तोत्र है जो भक्तों को कई लाभ प्रदान कर सकता है। यह स्तोत्र सभी भक्तों के लिए पढ़ने के लिए उपयुक्त है।
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