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  • Create Date October 7, 2023
  • Last Updated October 7, 2023
श्रीगणेशशततराष्टरनामावली एक संस्कृत स्तोत्र है जो भगवान गणेश की 108 नामों की स्तुति करता है। यह स्तोत्र 17वीं शताब्दी के कवि और संत, श्रीमद् वामन पंडित द्वारा लिखा गया था। श्रीमद् वामन पंडित, एक प्रमुख वैष्णव संत थे, जिन्होंने कृष्ण भक्ति में महत्वपूर्ण योगदान दिया था। श्रीगणेशशततराष्टरनामावली को वैष्णव संप्रदाय में एक महत्वपूर्ण स्तोत्र माना जाता है।

श्रीगणेशशततराष्टरनामावली के कुछ लाभों में शामिल हैं:

  • भगवान गणेश की कृपा प्राप्त करना
  • सभी बाधाओं को दूर करना
  • सभी पापों को दूर करना
  • सभी प्रकार के धन और समृद्धि प्राप्त करना
  • सभी शत्रुओं को पराजित करना
  • आध्यात्मिक प्रगति करना
  • सफलता और खुशी प्राप्त करना

श्रीगणेशशततराष्टरनामावली को रोजाना पढ़ने या सुनने से कहा जाता है, विशेष रूप से कठिन समय में। यह स्तोत्र लोगों को आध्यात्मिक प्रगति करने, अपने जीवन में बाधाओं को दूर करने और सफलता और खुशी प्राप्त करने में मदद करने के लिए कहा जाता है।

श्रीगणेशशततराष्टरनामावली के कुछ महत्वपूर्ण बिंदु निम्नलिखित हैं:

  • यह स्तोत्र भगवान गणेश की सभी शक्तियों और गुणों की प्रशंसा करता है।
  • यह स्तोत्र भगवान गणेश से अपने जीवन में बाधाओं को दूर करने, सभी पापों को दूर करने, सभी प्रकार के धन और समृद्धि प्राप्त करने, सभी शत्रुओं को पराजित करने, आध्यात्मिक प्रगति करने और सफलता और खुशी प्राप्त करने की प्रार्थना करता है।
  • यह स्तोत्र लोगों को आध्यात्मिक प्रगति करने, अपने जीवन में बाधाओं को दूर करने और सफलता और खुशी प्राप्त करने में मदद करने के लिए कहा जाता है।

श्रीगणेशशततराष्टरनामावली का पाठ इस प्रकार है:

श्रीगणेशशततराष्टरनामावली

1. गजाननं गणपतिं भक्तवत्सलम्

नमामि विघ्नराजेंद्रं सर्वसिद्धिप्रदम्

2. एकदन्तं चतुर्भुजं लंबोदरं

सुमुखं सुरवरं नमस्ते

3. धूम्रवर्णं गजाननं लम्बोदरं

विघ्नविनाशनं नमस्ते

4. वरदकरं सर्वसिद्धिप्रदं

सर्वलोकैकनाथं नमस्ते

5. विनायकं गणपतिं मोदकप्रियं

नमामि सुप्रभातं नमस्ते

6. ऋद्धिसिद्धिदायकं धूम्रवर्णं

स्वस्तिदायकं नमस्ते

7. सुमुखं षडाननं त्रिलोचनं

नमामि वरदं नमस्ते

8. षडबाहुं त्रिशूलधरं मूषकवाहन

नमामि विघ्नविनाशनं नमस्ते

...

108. सर्वागौरीशं नमस्ते

अनुवाद:


1. गजानन, गणपति, भक्तवत्सल, विघ्नराजेंद्र और सर्वसिद्धिप्रद को नमस्कार करता हूं।

2. एक दांत वाले, चार भुजा वाले, लंबोदर, सुंदर और देवताओं के स्वामी को नमस्कार करता हूं।

3. धूम्रवर्ण के, गजानन, लंबोदर, विघ्नों का नाश करने वाले को नमस्कार करता हूं।

4. वर देने वाले, सभी सिद्धियों को प्रदान करने वाले, सभी लोकों के एकमात्र स्वामी को नमस्कार करता हूं।

5. विनायक, गणपति, मोदक के प्यारे, सुप्रभात को नमस्कार करता हूं।

**6. ऋद्धि और सिद्धि को प्रदान करने वाले, धूम्रवर्ण के, कल्याण को प्रदान करने वाले को


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